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सड़क न बनने पर ग्रामीणों का अनोखा विरोध, सांसद-विधायक को दी ‘श्रद्धांजलि’

unique protest against the non-construction of roads
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बिहार के बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड में गंगौली पंचायत के डुभा गांव में सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश चरम पर है। आजादी के 79 साल बाद भी गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली पक्की सड़क का अभाव है, जिससे ग्रामीणों का जीवन मुश्किलों से भरा हुआ है। इस स्थिति से नाराज ग्रामीणों ने अनोखा विरोध प्रदर्शन किया और गांव में पोस्टर लगाकर स्थानीय सांसद, विधायक और मुख्यमंत्री को ‘श्रद्धांजलि’ अर्पित की। यह प्रदर्शन जिले में चर्चा का विषय बन गया है।

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विरोध प्रदर्शन का स्वरूप

डुभा गांव में सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने गांव के प्रमुख स्थानों पर पोस्टर लगाए, जिनमें स्थानीय सांसद, विधायक और मुख्यमंत्री को ‘श्रद्धांजलि’ देने की बात लिखी थी। यह कदम नेताओं के चुनावी वादों को पूरा न करने के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध था। ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में नेता सड़क निर्माण का वादा करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद उनकी अनदेखी करते हैं।

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विरोध प्रदर्शन में ग्रामीणों ने एकजुट होकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने नारे लगाए और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की। इस प्रदर्शन ने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया।

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सड़क न होने की समस्याएं

डुभा गांव में पक्की सड़क का अभाव ग्रामीणों के लिए एक बड़ी समस्या है। बरसात के मौसम में कीचड़ और जलजमाव के कारण गांव से बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह से कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं:

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  • बच्चों की पढ़ाई पर असर: स्कूल जाने वाले बच्चों को कीचड़ भरे रास्तों से गुजरना पड़ता है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है।
  • मरीजों की परेशानी: आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है।
  • रोजमर्रा का कामकाज: बाजार, कार्यालय या अन्य जरूरी कामों के लिए ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क न होने से उनकी जिंदगी हर दिन चुनौतीपूर्ण बन गई है। उन्होंने बताया कि बारिश के दिनों में गांव पूरी तरह कट जाता है, और लोग घंटों तक कीचड़ में फंसकर रह जाते हैं।

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ग्रामीणों की शिकायत और मांग

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई सालों से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से सड़क निर्माण की मांग की है। बार-बार आवेदन, पत्र और मुलाकात के बावजूद उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं। उनकी मुख्य शिकायतें हैं:

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  • वादाखिलाफी: चुनाव के दौरान सड़क निर्माण के वादे किए जाते हैं, लेकिन कार्यकाल खत्म होने तक कोई काम नहीं होता।
  • उपेक्षा: ग्रामीण इलाकों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जाता है, जबकि शहरों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।
  • प्रशासन की उदासीनता: प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उनकी शिकायतों पर गंभीरता से विचार नहीं किया जाता।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही सड़क निर्माण शुरू नहीं हुआ, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। उन्होंने कहा कि वे सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे और जरूरत पड़ने पर बड़ा आंदोलन करेंगे।

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प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस अनोखे विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया है। अधिकारियों का कहना है कि डुभा गांव की सड़क निर्माण की मांग की जांच की जा रही है और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पहले भी ऐसे आश्वासन मिल चुके हैं, और अब वे ठोस कार्रवाई चाहते हैं।

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प्रशासन ने यह भी कहा कि सड़क निर्माण के लिए बजट और तकनीकी मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि ये जवाब केवल समय टालने के लिए दिए जा रहे हैं।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

डुभा गांव के इस विरोध प्रदर्शन ने पूरे बक्सर जिले में हलचल मचा दी है। लोग इसे नेताओं की वादाखिलाफी के खिलाफ एक मजबूत संदेश मान रहे हैं। कई स्थानीय लोगों ने ग्रामीणों के इस कदम की सराहना की और कहा कि इस तरह के प्रदर्शन जनप्रतिनिधियों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाते हैं।

कुछ लोगों ने यह भी कहा कि डुभा गांव की समस्या पूरे बिहार के ग्रामीण इलाकों की स्थिति को दर्शाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी एक गंभीर मुद्दा है, जिसे सरकार को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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डुभा गांव में सड़क निर्माण की मांग को लेकर किया गया यह अनोखा विरोध प्रदर्शन न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है। सांसद, विधायक और मुख्यमंत्री को ‘श्रद्धांजलि’ देने वाले पोस्टरों ने नेताओं की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं। यह प्रदर्शन ग्रामीणों की हताशा और उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। जिला प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा और जल्द से जल्द सड़क निर्माण शुरू करना होगा, ताकि ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हो सके। यह घटना बिहार के ग्रामीण विकास की चुनौतियों को उजागर करती है और सरकार को तत्काल कार्रवाई के लिए प्रेरित करती है।


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