16 अगस्त 2025 की शाम बिहार के बक्सर रेलवे स्टेशन के पास एक मालगाड़ी का इंजन पटरी से उतर गया, जिसने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा और रखरखाव व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह हादसा शाम करीब 6:00 बजे हुआ, जब शंटिंग के दौरान मालगाड़ी का इंजन अचानक पटरी से हट गया। गनीमत रही कि इस घटना में केवल इंजन प्रभावित हुआ और बाकी बोगियां सुरक्षित रहीं, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई। लेकिन इस हादसे ने स्थानीय लोगों में अफरातफरी मचा दी और रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि रेलवे अधिकारियों ने इस घटना की लाइव कवरेज को बीच में ही रोकने का प्रयास किया, जिसने उनकी पारदर्शिता पर और सवाल खड़े कर दिए।

शनिवार की शाम बक्सर रेलवे स्टेशन के पास, पंडित दीनदयाल उपाध्याय-दानापुर रेल खंड पर मालगाड़ी का इंजन शंटिंग के दौरान पटरी से उतर गया। यह हादसा पूर्वी गुमटी (इटाढ़ी गुमटी) के नजदीक हुआ, जब इंजन का एक पहिया ट्रैक से हट गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के बाद तेज आवाज हुई, जिससे स्थानीय लोग डर गए और मौके पर भीड़ जमा हो गई। रेलवे प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू की, और अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंचे। तकनीकी टीम ने इंजन को पटरी पर लाने और मरम्मत कार्य शुरू कर दिया।
गनीमत रही कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ। रेलवे ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत यात्री ट्रेनों को प्लेटफॉर्म नंबर 3 से संचालित किया, जिससे दिल्ली-हावड़ा रूट पर यातायात सामान्य रहा। हालांकि, डाउन लाइन पर मालगाड़ी के परिचालन में कुछ समय के लिए रुकावट आई। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि मरम्मत कार्य रात 8:00 बजे तक जारी था, और जल्द ही इंजन को पटरी पर लाकर ट्रेन को रवाना कर दिया जाएगा।

लाइव कवरेज पर रोक: सच्चाई छिपाने की कोशिश?
इस हादसे के दौरान एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। स्थानीय मीडिया द्वारा घटना की लाइव कवरेज शुरू की गई थी, लेकिन रेलवे अधिकारियों ने इसे बीच में ही रोकने का प्रयास किया। यह कदम कई सवाल खड़े करता है। क्या रेलवे कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा था? क्या इस हादसे में ऐसी कोई जानकारी थी, जिसे रेलवे सार्वजनिक नहीं करना चाहता था? यह पहली बार नहीं है जब रेलवे पर इस तरह के आरोप लगे हैं। बक्सर में अक्टूबर 2023 में हुए नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे के दौरान भी रेलवे ने मीडिया कवरेज पर दबाव बनाने की कोशिश की थी।
स्थानीय लोगों ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “रेलवे को पारदर्शी होना चाहिए। अगर यह सिर्फ एक तकनीकी चूक थी, तो कवरेज रोकने की क्या जरूरत थी? इससे तो शक और बढ़ता है।” यह घटना रेलवे की जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल उठाती है।
हादसे का कारण: तकनीकी चूक या लापरवाही?
रेलवे की प्रारंभिक जांच में हादसे का कारण शंटिंग के दौरान तकनीकी खराबी बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, ट्रैक की फिश प्लेट में ढीलापन या इंजन की तकनीकी गड़बड़ी इस हादसे का कारण हो सकती है। रेलवे ने इसकी विस्तृत जांच के लिए एक समिति गठित की है, जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
हालांकि, यह घटना रेलवे के रखरखाव और तकनीकी जांच व्यवस्था पर सवाल उठाती है। बक्सर में पहले भी मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाएं हो चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पुराने ट्रैक, अपर्याप्त रखरखाव और शंटिंग के दौरान लापरवाही इस तरह के हादसों को बढ़ावा दे सकती है। रेलवे को अपने ट्रैक और इंजन की नियमित जांच को और सख्त करना होगा।
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यह घटना बक्सर रेलवे स्टेशन पर पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी इस स्टेशन पर मालगाड़ी के पटरी से उतरने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसके बाद रेलवे की तकनीकी जांच व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं।
बक्सर में रेल हादसों का इतिहास
बक्सर रेलवे स्टेशन और इसके आसपास का क्षेत्र पहले भी रेल हादसों का गवाह रहा है। अक्टूबर 2023 में रघुनाथपुर स्टेशन के पास नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस के 21 डिब्बे पटरी से उतर गए थे, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी और दर्जनों घायल हुए थे। उस हादसे में रेल फ्रैक्चर को एक प्रमुख कारण बताया गया था। उस समय भी रेलवे की लापरवाही और रखरखाव की कमी पर सवाल उठे थे।
अब 2025 में हुए इस हादसे ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोग पूछ रहे हैं कि अगर रेलवे ने पहले के हादसों से सबक लिया होता, तो क्या यह घटना टल सकती थी? रेलवे को अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे न हों।
स्थानीय लोगों और यात्रियों की प्रतिक्रिया
हादसे के बाद बक्सर रेलवे स्टेशन के आसपास अफरातफरी का माहौल रहा। स्थानीय लोगों ने बताया कि इंजन के पटरी से उतरने की आवाज सुनकर वे मौके पर पहुंचे, लेकिन रेलवे कर्मचारियों ने स्थिति को जल्दी संभाल लिया। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह देखकर राहत मिली कि कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन रेलवे को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और सख्ती बरतनी चाहिए।”
यात्रियों ने भी इस घटना पर चिंता जताई। एक यात्री ने कहा, “दिल्ली-हावड़ा रूट पर रोजाना हजारों लोग सफर करते हैं। अगर रेलवे की लापरवाही के कारण कोई बड़ा हादसा हो गया, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?” लोग रेलवे से अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
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दिल्ली-हावड़ा रूट का महत्व
दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग देश के सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण रेल रूटों में से एक है। यह उत्तर भारत को पूर्वी भारत से जोड़ता है और रोजाना सैकड़ों यात्री और मालगाड़ियां इस मार्ग पर चलती हैं। बक्सर रेलवे स्टेशन इस रूट का एक अहम पड़ाव है, जो पूर्व मध्य रेलवे जोन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस रूट पर किसी भी तरह की रुकावट यात्रियों और माल परिवहन के लिए बड़ी समस्या बन सकती है। इस हादसे ने रेलवे के सामने सुरक्षा और रखरखाव को और मजबूत करने की चुनौती खड़ी की है।
रेलवे की जवाबदेही और भविष्य के कदम
यह हादसा रेलवे की सुरक्षा और रखरखाव व्यवस्था में सुधार की जरूरत को उजागर करता है। लाइव कवरेज पर रोक लगाने का फैसला रेलवे की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- ट्रैक और इंजन की नियमित और गहन जांच।
- शंटिंग प्रक्रिया में लापरवाही रोकने के लिए कर्मचारियों का प्रशिक्षण।
- हादसों की जांच में पारदर्शिता और समयबद्ध रिपोर्ट।
- मीडिया और जनता के साथ खुला संवाद।
रेलवे प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि इस हादसे के कारणों की गहन जांच की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

बक्सर रेलवे स्टेशन के पास मालगाड़ी के इंजन के पटरी से उतरने की घटना ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। रेलवे की त्वरित कार्रवाई और वैकल्पिक व्यवस्था से यातायात सामान्य रहा, लेकिन लाइव कवरेज पर रोक लगाने का फैसला चिंता का विषय है। यह घटना केवल एक तकनीकी चूक नहीं, बल्कि रेलवे की जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। बक्सर के लोग और यात्री मांग कर रहे हैं कि रेलवे अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से ले और भविष्य में इस तरह के हादसों को रोके। रेलवे को अपनी सुरक्षा और रखरखाव व्यवस्था को मजबूत करना होगा, ताकि यात्रियों का भरोसा बना रहे।
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