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धान रोपनी के लिए सांसद सुधाकर सिंह का बड़ा कदम: ऊर्जा मंत्री को पत्र, 18 घंटे बिजली आपूर्ति की मांग!

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पटना, बिहार – राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद सुधाकर सिंह ने बिहार के किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव को एक पत्र लिखकर कृषि फीडरों में बिजली आपूर्ति को मौजूदा 8 घंटे से बढ़ाकर 18 घंटे करने की मांग की है। यह मांग धान रोपनी के मौजूदा सीजन को देखते हुए की गई है, जो बिहार जैसे कृषि-प्रधान राज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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पत्र में क्या कहा गया?

सांसद सुधाकर सिंह ने अपने पत्र में बताया कि बिहार में इस समय धान की रोपनी का सीजन चल रहा है, जो राज्य की अर्थव्यवस्था और किसानों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है। इस वर्ष कम वर्षा के कारण खेतों की सिंचाई पूरी तरह से बिजली आधारित नलकूपों पर निर्भर हो गई है। उन्होंने लिखा, “वर्तमान में कृषि फीडरों में केवल 8 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है, जो धान रोपनी के लिए अपर्याप्त है। अपर्याप्त बिजली आपूर्ति के कारण किसानों को सिंचाई में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे धान की बुआई प्रभावित हो रही है।”

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उन्होंने ऊर्जा मंत्री से अनुरोध किया कि कृषि फीडरों में कम से कम 18 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए ताकि किसान समय पर रोपनी और सिंचाई का कार्य पूरा कर सकें। सिंह ने यह भी जोड़ा कि यदि समय पर बिजली आपूर्ति नहीं बढ़ाई गई, तो धान की फसल को भारी नुकसान हो सकता है, जिसका असर बिहार के लाखों किसानों की आजीविका पर पड़ेगा।

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धान रोपनी और बिजली की कमी का संकट

बिहार में जुलाई और अगस्त का महीना धान रोपनी के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस वर्ष औसत से कम बारिश के कारण किसान नलकूपों और बोरवेल पर निर्भर हैं, जो बिजली से चलते हैं। मधुबनी जिले में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जिले में 89% धान रोपनी हो चुकी है, लेकिन अगस्त में 61% कम वर्षा के कारण बिजली की मांग बढ़ गई है।

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सुधाकर सिंह ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की स्थिति अक्सर अनियमित रहती है, जिससे किसानों को रात में भी खेतों में जाकर सिंचाई करनी पड़ती है। उन्होंने कहा, “कम बिजली आपूर्ति के कारण न केवल फसल को नुकसान हो रहा है, बल्कि किसानों का समय और श्रम भी बर्बाद हो रहा है।”

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सियासी संदर्भ और विपक्ष की रणनीति

सुधाकर सिंह का यह पत्र बिहार में महागठबंधन के व्यापक आंदोलन का हिस्सा माना जा रहा है, जो बिहार बंद और मतदाता सत्यापन (SIR) के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के साथ जुड़ा है। RJD और कांग्रेस जैसे महागठबंधन के दल नीतीश कुमार सरकार पर किसान-विरोधी नीतियों का आरोप लगा रहे हैं। तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा, “नीतीश सरकार किसानों को बुनियादी सुविधाएं देने में नाकाम रही है। बिजली की कमी और SIR जैसे कदम बिहार के किसानों और गरीबों के खिलाफ साजिश हैं।”

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सुधाकर सिंह, जो पहले बिहार के कृषि मंत्री रह चुके हैं, किसान समुदाय में अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं। उनके इस पत्र को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले किसानों के बीच समर्थन जुटाने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।

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बिहार में बिजली आपूर्ति की स्थिति

बिहार में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की स्थिति लंबे समय से एक ज्वलंत मुद्दा रही है। मधुबनी में 2022 में डीडीसी विशाल राज ने कृषि फीडरों में 16 घंटे बिजली आपूर्ति का निर्देश दिया था, लेकिन कई क्षेत्रों में यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। बस्ती जिले के हरैया ब्लॉक में 2025 में केवल 14 घंटे बिजली आपूर्ति की शिकायतें सामने आईं, जिससे धान की नर्सरी सूखने की कगार पर पहुंच गई।

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ऊर्जा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बिहार में बिजली की मांग जुलाई और अगस्त में चरम पर होती है, क्योंकि गर्मी और कम बारिश के कारण नलकूपों का उपयोग बढ़ जाता है। बिहार सरकार ने दावा किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 20-22 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है, लेकिन स्थानीय किसानों और नेताओं का कहना है कि वास्तविक स्थिति इससे अलग है।

सरकार का जवाब और भविष्य

ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने अभी तक सांसद सुधाकर सिंह के पत्र पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, ऊर्जा विभाग इस मांग पर विचार कर रहा है और जल्द ही कृषि फीडरों में बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। बिहार सरकार ने हाल ही में सौर ऊर्जा आधारित कृषि फीडरों को बढ़ावा देने की घोषणा की है, जिसके तहत किसानों को सस्ती और निर्बाध बिजली आपूर्ति देने का लक्ष्य रखा गया है।

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किसानों की आवाज और सरकार की जिम्मेदारी

सांसद सुधाकर सिंह का यह पत्र बिहार के किसानों की वास्तविक समस्याओं को उजागर करता है। धान रोपनी का सीजन बिहार के लिए न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। कम वर्षा और बिजली की कमी ने किसानों की चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। इस पत्र के जरिए सुधाकर सिंह ने न केवल सरकार का ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि बिहार के लाखों किसानों की आवाज को भी बुलंद किया है।

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अब सवाल यह है कि क्या बिहार सरकार इस मांग को पूरा कर पाएगी और क्या किसानों को समय पर पर्याप्त बिजली मिल सकेगी। बिहार की जनता और किसान समुदाय की नजर ऊर्जा विभाग के अगले कदम पर टिकी है।

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