सैलरीड कर्मचारियों के लिए टैक्स बचाना और इन-हैंड सैलरी बढ़ाना एक बड़ी चुनौती हो सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डिजिटल टैक्स बेनिफिट्स और स्मार्ट सैलरी स्ट्रक्चर की मदद से आप अपनी टैक्स देनदारी को काफी कम कर सकते हैं? विशेषज्ञों का कहना है कि सही जानकारी और डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल न केवल टैक्स बचाने में मदद करता है, बल्कि आपकी जेब में ज्यादा पैसे भी लाता है।
डिजिटल टैक्स बेनिफिट्स क्या हैं?
डिजिटल टैक्स बेनिफिट्स पारंपरिक टैक्स छूटों का आधुनिक और तकनीकी रूप हैं। ये बेनिफिट्स कंपनियां अपने कर्मचारियों को प्रीपेड कार्ड्स, ऑनलाइन क्लेम पोर्टल्स, और लीजिंग प्लेटफॉर्म्स के जरिए देती हैं। इनका मकसद कर्मचारियों की टैक्सेबल इनकम को कम करना और उनकी इन-हैंड सैलरी को बढ़ाना है।
उदाहरण के लिए:
- फ्यूल और मील कार्ड: कई कंपनियां टैक्सेबल अलाउंस की जगह फ्यूल या मील कार्ड देती हैं। इन कार्ड्स पर तय सीमा तक किया गया खर्च टैक्स-मुक्त होता है।
- डिजिटल क्लेम्स: इंटरनेट, फोन बिल, किताबें, या यूनिफॉर्म जैसे खर्चों की रसीदें डिजिटल पोर्टल पर अपलोड करके टैक्स-मुक्त क्लेम किया जा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत इन खर्चों को टैक्सेबल इनकम से घटाया जाता है।
ये डिजिटल टूल्स न केवल प्रक्रिया को आसान बनाते हैं, बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित करते हैं।
गैजेट लीजिंग: टैक्स बचाने का नया तरीका
आजकल कई कंपनियां गैजेट लीजिंग की सुविधा दे रही हैं, जिसके तहत कर्मचारी लैपटॉप, स्मार्टफोन, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस खरीदने की बजाय लीज पर ले सकते हैं। इस प्रक्रिया में लीज रेंटल का खर्च टैक्स से पहले कट जाता है, जिससे कर्मचारी की टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है।
लीज की अवधि पूरी होने पर कर्मचारी डिवाइस को मामूली कीमत पर खरीद भी सकते हैं। यह तरीका न केवल टैक्स बचाता है, बल्कि महंगे गैजेट्स को किफायती तरीके से इस्तेमाल करने का मौका भी देता है।
वर्क फ्रॉम होम खर्चों पर टैक्स छूट
कोविड-19 के बाद वर्क फ्रॉम होम (WFH) का चलन बढ़ा है, और इसके साथ ही WFH से जुड़े खर्चों पर टैक्स छूट भी मिलने लगी है। अगर कर्मचारी ऑफिस फर्नीचर, UPS, वाई-फाई, या अन्य जरूरी उपकरणों पर खर्च करते हैं और इसके लिए रसीदें जमा करते हैं, तो ये खर्च टैक्स-मुक्त क्लेम किए जा सकते हैं।
उदाहरण के लिए:
- ऑफिस डेस्क और कुर्सी: घर से काम करने के लिए खरीदे गए फर्नीचर पर खर्च।
- इंटरनेट और बिजली: वाई-फाई और UPS जैसे खर्चों पर भी छूट मिल सकती है।
ये छूट कर्मचारियों की टैक्स देनदारी को कम करने में मदद करती है, जिससे उनकी इन-हैंड सैलरी बढ़ती है।
सैलरीड कर्मचारियों की आम गलतियां
कई कर्मचारी जागरूकता की कमी के कारण डिजिटल टैक्स बेनिफिट्स का पूरा फायदा नहीं उठा पाते। कुछ आम गलतियां इस प्रकार हैं:
- लचीले सैलरी स्ट्रक्चर का इस्तेमाल न करना: कर्मचारी अपने सैलरी स्ट्रक्चर को टैक्स-फ्रेंडली बनाने के लिए एचआर से बात नहीं करते।
- क्लेम लिमिट का उपयोग न करना: कई लोग फ्यूल कार्ड, मील वाउचर, या अन्य टैक्स-मुक्त क्लेम्स की पूरी लिमिट तक खर्च नहीं करते।
- टैक्सेबल पर्क्स की गलत समझ: कुछ पर्क्स, जैसे क्लब मेंबरशिप, को टैक्स-मुक्त समझने की गलती करते हैं, जिससे टैक्स देनदारी बढ़ती है।
- नए टैक्स रिजीम का गलत चुनाव: नया टैक्स रिजीम कम टैक्स दरें देता है, लेकिन इसमें डिडक्शंस नहीं मिलते। पुराना रिजीम लचीले सैलरी स्ट्रक्चर और छूटों के साथ ज्यादा बचत दे सकता है।
इन गलतियों से बचकर कर्मचारी अपनी टैक्स देनदारी को काफी कम कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें
- बक्सर में धूमधाम से नामांकन: मुन्ना तिवारी और विश्वनाथ राम ने ली महागठबंधन की सौगात, विशाल सभा में गूंजा सेवा का संकल्प
- बक्सर का तनिष्क ज्योति चौक चमक उठा: धनतेरस-दिवाली पर ट्रेडिशनल और मॉडर्न ज्वेलरी की नई रेंज, 600 रुपये तक प्रति ग्राम छूट!
- बक्सर का गौरव: आरपीएफ उप निरीक्षक दिनेश चौधरी को मिला भारतीय पुलिस पदक, 36 वर्षों की सेवा का सम्मान
इन-हैंड सैलरी बढ़ाने के स्मार्ट तरीके
टैक्स बचाने और इन-हैंड सैलरी बढ़ाने के लिए कुछ आसान और प्रभावी उपाय हैं:
- टैक्स-ऑप्टिमाइज्ड सैलरी स्ट्रक्चर: अपने एचआर से बात करके सैलरी में LTA (लीव ट्रैवल अलाउंस), मील वाउचर, गैजेट लीज, और प्रोफेशनल कोर्स जैसे रीइंबर्समेंट्स शामिल करवाएं।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग: क्लेम्स को समय पर जमा करें, लिमिट को ट्रैक करें, और बिल्स को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखें।
- सेक्शन 80C और 80D का लाभ: ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम), NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम), और हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश करके अतिरिक्त डिडक्शंस लें।
- एजुकेशन लोन पर छूट: सेक्शन 80E के तहत एजुकेशन लोन के ब्याज पर टैक्स छूट का फायदा उठाएं।
इन उपायों से न केवल टैक्स बचेगा, बल्कि आपकी मासिक सैलरी भी बढ़ेगी।
ITR फाइलिंग का महत्व
चाहे आपकी आय टैक्सेबल सीमा से कम हो, फिर भी समय पर इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना जरूरी है। इसके कई फायदे हैं:
- जल्द रिफंड: समय पर ITR फाइल करने से टैक्स रिफंड जल्दी मिलता है।
- मजबूत फाइनेंशियल रिकॉर्ड: यह होम लोन, वीजा, या अन्य वित्तीय जरूरतों के लिए उपयोगी होता है।
- दस्तावेजों का मिलान: फॉर्म 16, फॉर्म 26AS, और AIS का मिलान करके गलतियों से बचें। अगर इनमें त्रुटि रहती है, तो एडवांस टैक्स की कमी पर ब्याज देना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दस्तावेजों में किसी भी तरह की गड़बड़ी से पेनल्टी का खतरा हो सकता है, इसलिए सावधानी बरतें।

डिजिटल टैक्स बेनिफिट्स और स्मार्ट सैलरी स्ट्रक्चर की मदद से सैलरीड कर्मचारी अपनी टैक्स देनदारी को कम कर सकते हैं और इन-हैंड सैलरी बढ़ा सकते हैं। फ्यूल कार्ड, गैजेट लीजिंग, वर्क फ्रॉम होम खर्चों पर छूट, और सेक्शन 80C जैसे निवेश विकल्पों का सही इस्तेमाल आपको आर्थिक रूप से मजबूत बना सकता है। समय पर ITR फाइल करना और अपने सैलरी स्ट्रक्चर को टैक्स-फ्रेंडली बनाना भी जरूरी है। अगर आप इन उपायों को अपनाते हैं, तो न केवल आपका टैक्स बचेगा, बल्कि आपकी जेब में ज्यादा पैसा भी आएगा।
jansancharbharat.com पर पढ़ें ताजा एंटरटेनमेंट, राष्ट्रीय समाचार (National News), खेल, मनोरंजन, धर्म, लाइस्टाइल, हेल्थ, शिक्षा से जुड़ी हर खबर। ब्रेकिंग न्यूज और हर खबर की अपडेट के लिए जनसंचार भारत को होम पेज पर जोड़ कर अपना अनुभव शानदार बनाएं।
Discover more from Jansanchar Bharat
Subscribe to get the latest posts sent to your email.