बिहार विशेष सर्वेक्षण सम्विदा कर्मी एवं अभियंता संघ ने अपनी पांच सूत्री मांगों की अनदेखी और 9000 कर्मियों की सेवा समाप्ति के विरोध में रविवार को पटना में भाजपा कार्यालय का घेराव किया। यह धरना आंदोलन के पांचवें दिन आयोजित हुआ, जिसमें हजारों कर्मियों ने हिस्सा लिया। संघ ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि बर्खास्त कर्मियों की बहाली हो और लंबित मांगों पर मुख्यमंत्री स्तर की वार्ता हो। यह आंदोलन न केवल कर्मियों की नियमितीकरण की मांग पर केंद्रित है, बल्कि यह बिहार में सर्वेक्षण योजनाओं के भविष्य पर भी सवाल उठा रहा है। आइए, इस आंदोलन के विवरण और मांगों को विस्तार से जानते हैं।

धरना-प्रदर्शन का पांचवां दिन
बिहार विशेष सर्वेक्षण सम्विदा कर्मी एवं अभियंता संघ ने 16 अगस्त 2025 से पटना में अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू किया है। इस आंदोलन के पांचवें दिन 11 कर्मियों द्वारा आमरण अनशन भी शुरू किया गया। रविवार को संघ ने भाजपा कार्यालय का घेराव कर अपनी मांगों को जोरदार तरीके से उठाया। हजारों कर्मियों की भीड़ ने सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की और बर्खास्त कर्मियों की बहाली की मांग की।

संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि यह आंदोलन उनकी नियमितीकरण और अन्य मांगों के समर्थन में है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द सकारात्मक पहल नहीं की, तो आंदोलन और तेज होगा। संघ ने राज्य सरकार से सहानुभूतिपूर्वक हस्तक्षेप करने की अपील की है, ताकि विशेष सर्वेक्षण योजना जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम बाधित न हों।
संघ की पांच सूत्री मांगें
संघ की मांगें मुख्य रूप से कर्मियों की सेवा शर्तों, सुरक्षा और भविष्य से जुड़ी हैं। इनमें शामिल हैं:

- धरना-सत्याग्रह में बर्खास्त किए गए सभी कर्मियों की तत्काल सेवा बहाली: संघ का कहना है कि आंदोलन के दौरान की गई सेवा समाप्ति अनुचित है और इसे वापस लिया जाए।
- नियमितीकरण और 60 वर्ष तक सेवा: विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, विशेष सर्वेक्षण कानूनगो, विशेष सर्वेक्षण अमीन, और विशेष सर्वेक्षण लिपिक को नियमित किया जाए या अभियंत्रण/अन्य विभागों में समायोजित किया जाए।
- अनुभव आधारित अधिमानता: सहायक अभियंता असैनिक (AE), कनीय अभियंता असैनिक (JE), और उच्चवर्गीय लिपिक (UDC) पदों पर नियमित नियुक्तियों में प्रतिवर्ष कार्य अनुभव के लिए 5 अंक की अधिमानता दी जाए।
- वेतन वृद्धि पर पुनर्विचार: समकक्ष योग्यता वाले विभिन्न विभागों के कर्मियों जैसा वेतनमान किया जाए।
- महंगाई भत्ता: कर्मियों को महंगाई भत्ता प्रदान किया जाए।
ये मांगें संघ की लंबे समय से चली आ रही मांगों का हिस्सा हैं, जो अब आंदोलन का रूप ले चुकी हैं।
यह भी पढ़ें
- बक्सर में धूमधाम से नामांकन: मुन्ना तिवारी और विश्वनाथ राम ने ली महागठबंधन की सौगात, विशाल सभा में गूंजा सेवा का संकल्प
- बक्सर का तनिष्क ज्योति चौक चमक उठा: धनतेरस-दिवाली पर ट्रेडिशनल और मॉडर्न ज्वेलरी की नई रेंज, 600 रुपये तक प्रति ग्राम छूट!
- बक्सर का गौरव: आरपीएफ उप निरीक्षक दिनेश चौधरी को मिला भारतीय पुलिस पदक, 36 वर्षों की सेवा का सम्मान
अन्य मांगें और संघ का रुख
संघ की कुल 10 मांगें हैं, जो कर्मियों की सेवा शर्तों से जुड़ी हैं। इनमें शामिल हैं:
- नए पदनामों पर विचार, जैसे विशेष सर्वेक्षण अमीन का पदनाम ग्रामीण राजस्व अधिकारी और विशेष सर्वेक्षण कानूनगो का पदनाम राजस्व अधिकारी कानूनगो करना।
- मौजा भ्रमण के लिए ईंधन भत्ता 3000 रुपये एकमुश्त करने की मांग।
- 7 जून 2022 और 21 जनवरी 2023 को हुई वार्ता में बनी सहमति के आधार पर आदेश निर्गत करना।
- सभी कर्मियों को ESIC कार्ड उपलब्ध कराना और EPFO में सरकार की ओर से अंशदान प्रदान करना।
- धरना-सत्याग्रह की अवधि को अर्जित अवकाश में परिवर्तित करना और मानदेय का भुगतान करना।

संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि जब तक सरकार इन मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं करती, आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “यह लड़ाई केवल रोजगार की नहीं, बल्कि सम्मान और न्याय की है।”#
सरकार की कार्रवाई और कर्मियों की सेवा समाप्ति
संघ ने आरोप लगाया कि सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए अब तक लगभग 9000 कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है, जो एक निर्मम और अमानवीय कदम है। इससे हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट आ गया है। संघ का कहना है कि यह कार्रवाई आंदोलन को दबाने का प्रयास है, लेकिन इससे कर्मियों का हौसला और बढ़ा है।

संघ ने सरकार से मांग की है कि बर्खास्त कर्मियों की बिना शर्त बहाली की जाए और लंबित मांगों पर मुख्यमंत्री स्तर की वार्ता हो।
संघ का संदेश और अपील
संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि कार्यपालक सहायक बिहार के डिजिटलीकरण और विकास योजनाओं के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा, “हमारे बिना बिहार का विकास अधूरा है। सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना चाहिए।”
संघ ने राज्य सरकार से सहानुभूतिपूर्वक हस्तक्षेप करने की अपील की है, ताकि विशेष सर्वेक्षण योजना जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम बाधित न हों।

बिहार विशेष सर्वेक्षण सम्विदा कर्मी एवं अभियंता संघ का यह आंदोलन कर्मियों की नियमितीकरण और सेवा शर्तों में सुधार की मांग पर केंद्रित है। 16 अगस्त 2025 से जारी अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन और आमरण अनशन ने सरकार की ध्यानाकर्षण की कोशिश की है, लेकिन 9000 कर्मियों की सेवा समाप्ति ने आंदोलन को और तेज कर दिया है। संघ की पांच सूत्री मांगें, जिसमें नियमितीकरण, समान वेतन, सामाजिक सुरक्षा, अनुभव आधारित वरीयता, और भविष्य की योजनाओं में समायोजन शामिल हैं, बिहार के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
क्या सरकार संघ की मांगों पर ध्यान देगी और कर्मियों की बहाली करेगी? यह सवाल बिहार के हजारों कर्मियों और उनके परिवारों के मन में है। आने वाले दिन इस आंदोलन की दिशा और परिणाम को तय करेंगे।
jansancharbharat.com पर पढ़ें ताजा एंटरटेनमेंट, राष्ट्रीय समाचार (National News), खेल, मनोरंजन, धर्म, लाइस्टाइल, हेल्थ, शिक्षा से जुड़ी हर खबर। ब्रेकिंग न्यूज और हर खबर की अपडेट के लिए जनसंचार भारत को होम पेज पर जोड़ कर अपना अनुभव शानदार बनाएं।
Discover more from Jansanchar Bharat
Subscribe to get the latest posts sent to your email.