बिहार के बक्सर जिले में भगवान वामन की जन्मस्थली, सिद्धाश्रम, धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर साल वामन द्वादशी के अवसर पर लाखों श्रद्धालु भगवान वामन के दर्शन के लिए केंद्रीय कारा परिसर में स्थित मंदिर पहुंचते हैं। इस वर्ष 4 सितंबर 2025 को वामन द्वादशी के मौके पर 1.5 लाख श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन किए। लेकिन यह सवाल एक बार फिर जोर पकड़ रहा है कि क्या भगवान वामन का मंदिर जेल की दीवारों में कैद रहना चाहिए? विश्वामित्र सेना और स्थानीय लोग इस मुद्दे को लेकर आंदोलन तेज कर रहे हैं, जबकि बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी द्वारा महर्षि विश्वामित्र पार्क के लिए 24.42 करोड़ रुपये की घोषणा ने इस चर्चा को नया आयाम दिया है।

वामन द्वादशी: भक्ति और आस्था का उत्सव
4 सितंबर 2025 को बक्सर में वामन द्वादशी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दिन भगवान विष्णु के पांचवें अवतार, भगवान वामन, की जन्मस्थली सिद्धाश्रम में 1.5 लाख श्रद्धालुओं ने केंद्रीय कारा परिसर में स्थित भगवान वटुक वामन मंदिर में दर्शन किए। यह मंदिर बक्सर की धार्मिक पहचान का प्रतीक है, लेकिन जेल परिसर में होने के कारण आम दिनों में श्रद्धालुओं को दर्शन में कई तरह की परेशानियां होती हैं।

वामन द्वादशी के मौके पर मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। श्रद्धालुओं ने गंगा और ठोरा नदी के संगम पर स्नान कर मंदिर में पूजा-अर्चना की। लेकिन इस भव्य उत्सव के बीच एक सवाल बार-बार उठ रहा है कि भगवान वामन का मंदिर जेल की चारदीवारी से मुक्त क्यों नहीं किया जा रहा?
भगवान वामन मंदिर: जेल परिसर में कैद
बक्सर का भगवान वामन मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने बक्सर की पवित्र धरती पर वामन अवतार लिया था। यह मंदिर सिद्धाश्रम में स्थित है, जो महर्षि कश्यप और माता अदिति का आश्रम था। लेकिन ब्रिटिश काल में इस स्थान पर केंद्रीय कारा का निर्माण होने से मंदिर जेल परिसर के अंदर चला गया।

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वर्तमान में मंदिर का प्रबंधन जेल प्रशासन के पास है, और आम दिनों में श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए जेलर की अनुमति लेनी पड़ती है। यह स्थिति न केवल श्रद्धालुओं के लिए असुविधाजनक है, बल्कि सनातन धर्म की आस्था को भी ठेस पहुंचाती है। विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज कुमार चौबे ने इसे सनातन धर्म की आस्थाओं का अपमान बताया है।
विश्वामित्र सेना की मांग: मंदिर को मुक्त करें
विश्वामित्र सेना इस मुद्दे को लेकर लंबे समय से आंदोलन चला रही है। संगठन की प्रमुख मांग है कि भगवान वामन मंदिर को जेल परिसर से बाहर लाया जाए, ताकि श्रद्धालु बिना किसी बाधा के दर्शन कर सकें। राज कुमार चौबे ने कहा, “विश्वामित्र सेना की लड़ाई भगवान वामन को कैद से मुक्त कराने की है। बक्सर की पावन भूमि पर स्वयं विष्णु भगवान ने अवतार लिया, लेकिन आज सरकार ने उन्हें जेल की दीवारों में कैद कर रखा है। यह सनातन धर्म का अपमान है।”

विश्वामित्र सेना ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस मुद्दे पर तुरंत संज्ञान नहीं लेती, तो बक्सर की जनता अब चुप नहीं बैठेगी। संगठन ने अपनी 10 मांगों में से एक मांग के रूप में मंदिर को मुक्त करने की बात को प्रमुखता से रखा है।
महर्षि विश्वामित्र पार्क: सरकार का जवाब
9 अगस्त 2025 को बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बक्सर में महर्षि विश्वामित्र पार्क के निर्माण के लिए 24.42 करोड़ रुपये की घोषणा की। इस परियोजना के पहले चरण में 8.11 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस पार्क को सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से भव्य बनाने की योजना है, जिसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने पक्ष में एक बचाव के रूप में पेश कर रही है।

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि यह पार्क बक्सर की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देगा और महर्षि विश्वामित्र के योगदान को सम्मान देगा। विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज कुमार चौबे ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी 10 मांगों में से एक मांग को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि भगवान वामन मंदिर को जेल परिसर से मुक्त करना उनकी प्राथमिक मांग है, जिसे सरकार को जल्द पूरा करना चाहिए।
चुनावी मौसम में फिर गर्माया मुद्दा
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, और भगवान वामन मंदिर का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। हर चुनाव में यह मुद्दा उठता है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विपक्षी नेता इस मुद्दे पर सरकार की नाकामियों को उजागर कर रहे हैं, जबकि सत्ताधारी दल यह दावा कर रहे हैं कि उनकी सरकार सत्ता में आने पर इस मांग को प्राथमिकता देगी।

स्थानीय लोग इस बार ठोस कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि भगवान वामन मंदिर को जेल परिसर से मुक्त करना न केवल धार्मिक आस्था का सम्मान है, बल्कि बक्सर को पर्यटन और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने का अवसर भी है।
जनता की भावनाएं और मांगें
बक्सर की जनता इस मुद्दे को लेकर गहरी भावनाएं रखती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान वामन मंदिर को जेल परिसर से बाहर लाना उनकी आस्था का सवाल है। एक श्रद्धालु ने कहा, “वामन द्वादशी पर तो लाखों लोग दर्शन करने आते हैं, लेकिन बाकी समय मंदिर तक पहुंचना मुश्किल होता है। यह हमारे लिए दुख की बात है।”
विश्वामित्र सेना ने इस मुद्दे को जन-आंदोलन का रूप देने की बात कही है। संगठन का कहना है कि बक्सर की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बचाने के लिए यह जरूरी है कि मंदिर को मुक्त किया जाए। साथ ही, मंदिर के बाहर लाने से बक्सर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

बक्सर में भगवान वामन मंदिर का जेल परिसर में होना न केवल धार्मिक आस्था का सवाल है, बल्कि यह बिहार सरकार की प्राथमिकताओं पर भी सवाल उठाता है। विश्वामित्र सेना की मांग और जनता की भावनाएं इस मुद्दे को और गंभीर बनाती हैं। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की महर्षि विश्वामित्र पार्क की घोषणा एक सकारात्मक कदम है, लेकिन भगवान वामन मंदिर को मुक्त करने की मांग अब भी अनसुलझी है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आने के साथ यह मुद्दा और गर्म होने की संभावना है। बक्सर की जनता अब केवल वादों से संतुष्ट नहीं है; वे ठोस कार्रवाई चाहते हैं। क्या इस बार भगवान वामन का मंदिर जेल की दीवारों से मुक्त होगा? यह सवाल बक्सर की जनता और विश्वामित्र सेना के लिए सबसे बड़ा है।
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