हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पवित्र माह में पड़ने वाले सोमवार, जिन्हें सावन सोमवार कहा जाता है, भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी होते हैं। इस वर्ष 2025 में सावन माह 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा, जिसमें चार सावन सोमवार पड़ेंगे। ये तिथियां हैं: 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई और 4 अगस्त। यदि आप पहली बार सावन सोमवार व्रत रखने की सोच रहे हैं या अपनी पूजा को और प्रभावी बनाना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत के नियम, पूजा विधि और इसके धार्मिक महत्व के बारे में।

सावन सोमवार व्रत का महत्व
सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए सावन माह में कठोर तपस्या की थी। उनकी इस भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। यही कारण है कि सावन सोमवार का व्रत विशेष रूप से सौभाग्य, वैवाहिक सुख और मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा से करने पर भोलेनाथ अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। विशेष रूप से अविवाहित कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए और विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं।
इसके अलावा, सावन माह में भगवान विष्णु के योगनिद्रा में चले जाने के बाद सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में होता है। इसलिए इस दौरान की गई पूजा और व्रत का विशेष फल प्राप्त होता है। यह व्रत न केवल मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं को भी दूर करता है।
सावन सोमवार व्रत के नियम
सावन सोमवार व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। इन नियमों का उल्लंघन करने से व्रत भंग हो सकता है और मनोकामना पूर्ति में बाधा आ सकती है। नीचे कुछ प्रमुख नियम दिए गए हैं:
- सात्विक आचरण: व्रत के दौरान तन और मन से शुद्ध रहें। झूठ, क्रोध, और विवाद से दूर रहें। किसी के लिए अपशब्द का उपयोग न करें।
- फलाहार: इस व्रत में अन्न (चावल, गेहूं आदि) का सेवन वर्जित है। फलाहार के रूप में फल, दूध, दही, और सेंधा नमक से बने व्यंजन खाए जा सकते हैं।
- ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
- दिन में न सोएं: सावन सोमवार के दिन दोपहर में सोना वर्जित है, क्योंकि यह व्रत की सात्विकता को प्रभावित कर सकता है।
- तामसिक भोजन से बचें: मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज, और मसालेदार भोजन का सेवन न करें। इसके अलावा, आयोडीन युक्त नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग करें।
- साफ-सफाई: पूजा के लिए स्वच्छ वस्त्र धारण करें। जिस कपड़े में आपने भोजन किया हो या सोया हो, उसे पूजा के समय न पहनें।
- संकल्प: व्रत शुरू करने से पहले भगवान शिव के समक्ष व्रत का संकल्प लें। यह संकल्प आपकी भक्ति को और दृढ़ करता है।
सावन सोमवार व्रत की पूजा विधि
सावन सोमवार व्रत की पूजा विधि सरल और प्रभावी है। इसे विधि-विधान से करने पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नीचे पूजा की विस्तृत विधि दी गई है:
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पूजा सामग्री
- शिवलिंग या शिव-पार्वती की मूर्ति
- गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, पंचामृत
- बेलपत्र, धतूरा, भांग, आक के फूल, सफेद फूल
- चंदन, अक्षत, धूप, दीप, कपूर
- फल, मिठाई, पंच मेवा, नारियल
- पूजा के लिए स्वच्छ चौकी और लाल या सफेद कपड़ा
- पान, सुपारी, जल, और सिक्का (संकल्प के लिए)
पूजा की विधि
- प्रातः स्नान: सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। नहाने के पानी में काले तिल डालना शुभ माना जाता है। स्वच्छ वस्त्र धारण करें, विशेष रूप से सफेद वस्त्र पहनना उत्तम है।
- पूजा स्थान की शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। एक चौकी पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर शिवलिंग या शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- संकल्प: हाथ में पान का पत्ता, सुपारी, अक्षत, जल, और सिक्का लेकर व्रत का संकल्प करें। मंत्र पढ़ें: ॐ शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्। उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्।। इसके बाद सामग्री भगवान शिव को समर्पित करें।
- अभिषेक: शिवलिंग का जल, दूध, दही, शहद, और घी से अभिषेक करें। अभिषेक के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। इसके बाद गंगाजल से स्नान करवाएं।
- पूजा: शिवलिंग पर सफेद चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, धतूरा, भांग, आक के फूल, और सफेद फूल अर्पित करें। धूप, दीप, और कपूर जलाएं।
- व्रत कथा और मंत्र जाप: सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। इसके बाद ॐ नमः शिवाय, ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः, या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा और आरती का पाठ करें।
- भोग: भगवान शिव को फल, मिठाई, और पंचामृत का भोग लगाएं। भोग में सात्विक चीजें जैसे खीर, साबूदाना, या फल शामिल करें।
- शाम की पूजा: सूर्यास्त से पहले प्रदोष काल में दोबारा पूजा करें। यह समय भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
- व्रत खोलना: शाम को फलाहार करें। सेंधा नमक से बनी साबूदाना खिचड़ी, आलू की सब्जी, लौकी, या फल खाएं। अगले दिन सूर्योदय के बाद विधिवत व्रत का पारण करें।
सावन सोमवार व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं
खाएं:
- फल: केला, सेब, आम, नारियल पानी, और मौसमी फल।
- दूध और दूध से बने पदार्थ: दही, छाछ, लस्सी, और मखाने की खीर।
- साबूदाना: साबूदाना खिचड़ी, वड़ा, या खीर।
- सब्जियां: लौकी, कद्दू, या आलू की सात्विक सब्जी।
- सेंधा नमक: आयोडीन युक्त नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग करें।
न खाएं:
- अन्न (चावल, गेहूं, आदि)।
- तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, लहसुन, और प्याज।
- हरी सब्जियां जैसे बैंगन, पालक, और फूलगोभी।
- कच्चा दूध (अभिषेक के बाद बचे दूध का सेवन न करें)।
- मसालेदार और तला हुआ भोजन।
सावन सोमवार व्रत का उद्यापन
व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए उद्यापन करना आवश्यक है। यदि आपने सावन के चारों सोमवार का व्रत रखा है, तो अंतिम सोमवार (4 अगस्त 2025) को उद्यापन करें। उद्यापन की विधि इस प्रकार है:
- सुबह स्नान कर स्वच्छ सफेद वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- शिव-पार्वती और चंद्र देव की मूर्ति स्थापित करें।
- पंचामृत से अभिषेक करें और सफेद मिठाई, फल, और पंच मेवा का भोग लगाएं।
- व्रत कथा, शिव चालीसा, और आरती का पाठ करें।
- यथाशक्ति दान करें, जैसे सफेद वस्त्र, चावल, या दूध का दान।
- अंत में परिवार और ब्राह्मणों को भोजन करवाकर व्रत का पारण करें।
सावन सोमवार व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष अवसर है। इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से करने पर न केवल वैवाहिक सुख और समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि जीवन की सभी बाधाएं भी दूर होती हैं। इस वर्ष 2025 में 14 जुलाई से शुरू होने वाले सावन सोमवार व्रत को अपनाकर आप भी भोलेनाथ की कृपा के पात्र बन सकते हैं। नियमों का पालन करें, सात्विक रहें, और पूजा को पूरे भक्तिभाव से करें।
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