बिहार के बक्सर जिले में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। 26 मई 2025 को चौसा थाना क्षेत्र में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट (Power Plant) के मुख्य गेट के पास राजद मजदूर प्रकोष्ठ के बक्सर जिला अध्यक्ष अर्जुन यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना अहियापुर तिहरे हत्याकांड के ठीक दो दिन बाद हुई, जिसने जिले में पहले ही दहशत फैला रखी थी। तीन बाइक सवार अपराधियों ने अर्जुन यादव की काले रंग की थार गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें उनकी वाराणसी जाने के दोरान मौत हो गई। इस हत्याकांड ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अर्जुन यादव हत्याकांड: क्या हुआ?
26 मई 2025 की दोपहर करीब 12 बजे, अर्जुन यादव अपनी काले रंग की थार जीप से चौसा गोला स्थित अपने घर से चौसा थर्मल पावर प्लांट (Power Plant) की ओर जा रहे थे। वह 1320 मेगावाट के निर्माणाधीन पावर प्रोजेक्ट में वॉटर पाइपलाइन के ठेकेदार थे और राजद मजदूर प्रकोष्ठ के सक्रिय नेता भी। जैसे ही वह पावर प्लांट के मुख्य गेट के पास पहुंचे, एक बाइक पर सवार तीन अज्ञात अपराधियों ने उनकी गाड़ी का पीछा किया। अपराधियों ने एक दुकान के पास गाड़ी रुकने पर अर्जुन पर ताबड़तोड़ तीन गोलियां दागीं, जो उनके सिर, जांघ, और पीठ में लगीं। स्थानीय लोगों ने उन्हें तुरंत बक्सर सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां से गंभीर हालत में वाराणसी रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई।
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अहियापुर तिहरे हत्याकांड से संबंध
यह हत्या अहियापुर तिहरे हत्याकांड के ठीक दो दिन बाद हुई, जिसमें 24 मई 2025 को राजपुर थाना क्षेत्र के अहियापुर गांव में अवैध बालू खनन के विवाद में तीन लोगों की गोली मारकर हत्या की गई थी। उस घटना में पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि मनोज यादव और संतोष यादव सहित 19 लोगों को नामजद किया गया। बक्सर में छापेमारी के क्रम में गठित टीम द्वारा एक अभियुक्त ओम प्रकाश सिंह को गिरफ्तार किया गया है और एक अन्य को हिरासत में लिया गया है। अर्जुन यादव की हत्या ने जिले में अपराध की इस श्रृंखला को और गंभीर बना दिया। कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि ये घटनाएं आपस में जुड़ी हो सकती हैं, क्योंकि अर्जुन यादव पावर प्लांट (Power Plant) के प्रभावित किसानों और मजदूरों के हक में आवाज उठाते थे, जो बालू माफिया के हितों से टकरा सकता था।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
घटना के बाद बक्सर एसपी शुभम आर्य मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की। पुलिस ने घटनास्थल से तीन खोखे बरामद किए और थार वाहन को सील कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा। एक लावारिस यामहा बाइक भी जब्त की गई। एसपी ने कहा,
हर एंगल से जांच की जा रही है, और जल्द ही अपराधियों की पहचान कर ली जाएगी।
— शुभम आर्य, एसपी, बक्सर

पुलिस सीसीटीवी फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों की मदद से हमलावरों का पता लगाने में जुटी है। हालांकि, परिजनों का दावा है कि अर्जुन की किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी, जिससे हत्या का मकसद अस्पष्ट है।

घटना के हर एंगल की जांच की जा रही है। कुछ सुराग हाथ लगे हैं, जल्द ही अपराधियों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी।
— शुभम आर्य, एसपी, बक्सर
राजद का गुस्सा और राजनीतिक प्रतिक्रिया
अर्जुन यादव की हत्या के बाद राजद कार्यकर्ताओं और महागठबंधन नेताओं में गुस्सा फूट पड़ा। डुमरांव विधायक अजित कुशवाहा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने चौसा-कोचस-मोहनिया स्टेट हाईवे जाम कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने बिहार में ध्वस्त कानून-व्यवस्था का आरोप लगाया। राजद नेता तेजस्वी यादव ने X पर लिखा,
“बक्सर में दो दिन में सात हत्याएं हुईं, लेकिन सरकार कुंभकर्णी नींद में है।”
बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने भी हत्या को पार्टी और व्यक्तिगत क्षति बताया।
बक्सर में बढ़ता अपराध और बालू माफिया
अर्जुन यादव की हत्या बक्सर में तीन दिनों में तीसरी बड़ी आपराधिक घटना है। अहियापुर तिहरे हत्याकांड के अलावा 25 मई को नवानगर के अमीरपुर गांव में एक मजदूर ठेकेदार की हत्या हुई थी। बिहार में बालू माफिया का जाल प्रशासनिक संरक्षण के बिना संभव नहीं है। अहियापुर में बालू खनन विवाद और अर्जुन यादव की पावर प्लांट (Power Plant) से जुड़ी गतिविधियां इस माफिया से टकराव की ओर इशारा करती हैं। ग्रामीणों के अनुसार, अर्जुन प्रभावित किसानों की आवाज उठाते थे, जो कुछ प्रभावशाली लोगों के लिए खतरा बन सकता था।
राजद नेता अर्जुन यादव की हत्या ने बक्सर में अपराध की गंभीर स्थिति को उजागर किया है। अहियापुर तिहरे हत्याकांड के बाद यह दूसरी बड़ी घटना है, जिसने जिले में दहशत और आक्रोश फैलाया। पुलिस की त्वरित कार्रवाई और ओम प्रकाश सिंह की गिरफ्तारी से कुछ उम्मीद जगी, लेकिन अर्जुन यादव के हत्यारों की गिरफ्तारी अभी बाकी है। बिहार में बालू माफिया और अपराधियों के बुलंद हौसले को रोकने के लिए सख्त प्रशासनिक कदम जरूरी हैं। क्या बक्सर पुलिस इस मामले में न्याय दिला पाएगी, या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
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