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मां मूवी रिव्यू 2025: काजोल की दमदार एक्टिंग, लेकिन ‘शैतान’ की तुलना में कमजोर हॉरर

Maa vs Shaitaan
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मां मूवी रिव्यू 2025 काजोल शैतान में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह फिल्म ‘शैतान’ जितनी डरावनी और प्रभावशाली है? ट्रेलर रिलीज के बाद से ही दर्शकों में इस बात की उत्सुकता थी कि ‘मां’ और ‘शैतान’ के बीच क्या कनेक्शन है। आर. माधवन ने ट्रेलर लॉन्च पर फिल्म को प्रमोट किया, जिसने इस कनेक्शन की चर्चा को और हवा दी। लेकिन सच्चाई यह है कि दोनों फिल्मों का कनेक्शन केवल थीम तक सीमित है—दोनों में एक शैतानी शक्ति बच्चों को निशाना बनाती है। ‘शैतान’ और ‘मां’ अलग-अलग कहानियाँ हैं, जो एक ही यूनिवर्स में सेट हैं। यह फिल्म अपने आप में एक mythological thriller है, न कि पूरी तरह हॉरर, जैसा कि इसके ट्रेलर में प्रचारित किया गया।

माँ काली और रक्तबीज की पौराणिक लड़ाई

‘मां’ की कहानी पश्चिम बंगाल के एक काल्पनिक गाँव चंद्रपुर में शुरू होती है। शुभांकर (इंद्रनील सेनगुप्ता) और अंबिका (काजोल) अपनी बेटी श्वेता (खेरिन शर्मा) के साथ शहर में खुशहाल जीवन जी रहे हैं। श्वेता की जिद के कारण वे अपने पैतृक गाँव चंद्रपुर जाने का फैसला करते हैं, जहाँ एक भयावह रहस्य छिपा है। यह रहस्य माँ काली और रक्तबीज की पौराणिक कहानी से जुड़ा है, जिसमें एक राक्षस हर उस लड़की को निशाना बनाता है, जिसके पीरियड्स शुरू हुए हैं। शुभांकर की अचानक मौत के बाद अंबिका और श्वेता चंद्रपुर पहुँचती हैं, जहाँ राक्षस श्वेता को अपना शिकार बनाना चाहता है। अंबिका माँ काली की शक्ति के साथ इस शैतान से टकराती है। कहानी का यह mythological आधार इसे अनूठा बनाता है, लेकिन हॉरर तत्वों की कमी इसे ‘शैतान’ से कमजोर बनाती है।

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क्या है ‘शैतान’ से कनेक्शन?

‘मां’ को ‘शैतान’ यूनिवर्स का हिस्सा बताया गया, लेकिन दोनों फिल्मों का कनेक्शन केवल थीम आधारित है। फिल्म के अंत में आर. माधवन की एक झलक दिखाई जाती है, जो ‘शैतान’ यूनिवर्स को आगे बढ़ाने का संकेत है।

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काजोल की परफॉर्मेंस: फिल्म का मजबूत आधार

मां मूवी रिव्यू 2025 काजोल शैतान में काजोल का अभिनय सबसे बड़ा आकर्षण है। एक माँ के रूप में उनकी स्क्रीन प्रेजेंस और भावनात्मक गहराई दर्शकों को बाँधे रखती है। खासकर क्लाइमेक्स में, जब वह माँ काली का रूप लेकर राक्षस से भिड़ती हैं, उनकी परफॉर्मेंस रोंगटे खड़े कर देती है। काजोल की यह भूमिका उनकी रोमांटिक और ड्रामैटिक छवि से अलग है, और वह इस नए जॉनर में पूरी तरह फिट बैठती हैं। उनकी आँखों में डर, गुस्सा और ममता का मिश्रण फिल्म को एक अलग स्तर पर ले जाता है। हालांकि, कुछ समीक्षकों का मानना है कि उनकी परफॉर्मेंस भी कमजोर स्क्रिप्ट को पूरी तरह बचा नहीं पाई।

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VFX और क्लाइमेक्स: कहानी का सबसे मजबूत हिस्सा

मां मूवी रिव्यू 2025 काजोल शैतान में फिल्म का क्लाइमेक्स सबसे प्रभावशाली हिस्सा है। लगभग 15 मिनट का यह सीन, जिसमें काजोल माँ काली की शक्ति के साथ राक्षस से लड़ती हैं, VFX और सिनेमैटोग्राफी का शानदार नमूना है। अजय देवगन की कंपनी NY-VFXWAALA ने स्पेशल इफेक्ट्स में कमाल किया है, जो चंद्रपुर के जंगल और हवेली को जीवंत बनाता है। पुष्कर सिंह की सिनेमैटोग्राफी भी इस डरावने माहौल को और गहरा करती है। यह हिस्सा दर्शकों को सीट से बाँधे रखता है और फिल्म की सारी कमियों को भुला देता है। हालांकि, पोस्ट-क्रेडिट सीन में आर. माधवन की झलक ‘शैतान यूनिवर्स’ को आगे बढ़ाने का संकेत देती है, लेकिन यह कहानी से सीधे तौर पर जुड़ा नहीं है।

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कमजोर स्क्रीनप्ले: कहाँ रह गई कमी?

फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसका स्क्रीनप्ले है। पहले हाफ में कहानी को सेट करने में जरूरत से ज्यादा समय लिया गया है, जिसके कारण फिल्म खिंचती हुई लगती है। विशाल फुरिया, जिन्होंने ‘छोरी’ और ‘छोरी 2’ जैसी फिल्मों में बेहतरीन हॉरर दिखाया, यहाँ हॉरर मोमेंट्स क्रिएट करने में चूक गए। ट्रेलर में दिखाए गए डरावने सीन पूरी फिल्म में बिखरे हुए हैं, जिससे हॉरर का वह प्रभाव नहीं बन पाता, जो ‘शैतान’ में था। दूसरा हाफ, खासकर क्लाइमेक्स के करीब, जरूर गति पकड़ता है, लेकिन तब तक दर्शक कुछ हद तक बोरियत महसूस कर चुके होते हैं। इसके अलावा, पीरियड्स और राक्षस के बीच का कनेक्शन कुछ दर्शकों को अतार्किक और हास्यास्पद लग सकता है।

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सहायक कलाकार और संगीत

काजोल के अलावा, खेरिन शर्मा (श्वेता) ने अपनी भूमिका में अच्छा काम किया है, लेकिन उनकी उम्र से ज्यादा परिपक्वता कुछ दृश्यों में खटकती है। रोनित रॉय (जॉयदेव) का अभिनय ठीक है, लेकिन उनका बंगाली एक्सेंट बनावटी लगता है। इंद्रनील सेनगुप्ता और दिवेन्दु भट्टाचार्य जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों को स्क्रिप्ट में ज्यादा मौका नहीं मिला। तकनीकी पक्ष में, अमर मोहिले का बैकग्राउंड स्कोर माहौल को और डरावना बनाता है, लेकिन मनोज मुंतशिर के गाने प्रभावहीन हैं। संदीप फ्रांसिस की एडिटिंग अगर और कसी होती, तो फिल्म का पहला हाफ अधिक रोचक हो सकता था।

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सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाएँ

सोशल मीडिया पर मां मूवी रिव्यू 2025 काजोल शैतान को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली हैं। कुछ यूजर्स ने काजोल की परफॉर्मेंस की तारीफ की, जैसे, “काजोल का अभिनय ‘मां’ को देखने लायक बनाता है। क्लाइमेक्स में रोंगटे खड़े हो गए!” (@AlwaysBollywood)। वहीं, कुछ ने फिल्म को औसत बताया, “हॉरर के नाम पर निराशा। ‘शैतान’ का स्तर नहीं छू पाई।” (@BorntobeAshwani)। कई यूजर्स ने mythological कॉन्सेप्ट और VFX की सराहना की, लेकिन स्क्रीनप्ले की कमजोरी पर सवाल उठाए। कुल मिलाकर, काजोल के प्रशंसक और हॉरर प्रेमी इसे एक बार देखने की सलाह दे रहे हैं।

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देखें या छोड़ें?

मां मूवी रिव्यू 2025 काजोल शैतान में यह साफ है कि काजोल का दमदार अभिनय और शानदार क्लाइमेक्स फिल्म की सबसे बड़ी ताकत हैं। यह एक mythological thriller के रूप में प्रभावी है, लेकिन हॉरर के मामले में ‘शैतान’ से पीछे रह जाती है। अगर आप काजोल की प्रशंसक हैं या पौराणिक कहानियों और VFX से भरपूर फिल्में पसंद करते हैं, तो ‘मां’ आपके लिए एक बार देखने लायक है। लेकिन अगर आप ‘शैतान’ जैसी डरावनी और गहन हॉरर अनुभव की उम्मीद कर रहे हैं, तो यह फिल्म आपको निराश कर सकती है।

रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5)


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