बिहार के बक्सर जिले में वीर कुँवर सिंह गंगा सेतु चेकपोस्ट पर उत्पाद विभाग ने एक सनसनीखेज कार्रवाई में चप्पल की आड़ में विदेशी शराब की तस्करी को नाकाम कर दिया। राजस्थान नंबर के एक कंटेनर से भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद की गई, और राजस्थान के झुंझुनू निवासी तस्कर नरेश कुमार को गिरफ्तार किया गया। यह घटना बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद तस्करों की बढ़ती हिम्मत को दर्शाती है। उत्पाद विभाग की इस कार्रवाई ने तस्करी के नए तरीकों को उजागर किया है, और पूछताछ में तस्कर ने कई अहम खुलासे किए हैं।

चप्पल की आड़ में तस्करी: कैसे हुआ खुलासा
22 जून 2025 को वीर कुँवर सिंह गंगा सेतु चेकपोस्ट पर उत्पाद विभाग को गुप्त सूचना मिली कि राजस्थान नंबर (RJ-18-CB-XXXX) के एक कंटेनर में चप्पल की आड़ में विदेशी शराब की तस्करी हो रही है। तस्करों ने कंटेनर में चप्पल के कार्टन में शराब की पेटी को पैक करके शराब की बोतलें छिपाई थीं। यह नया तरीका बिहार में शराबबंदी को चकमा देने की कोशिश थी। उत्पाद विभाग की टीम ने कंटेनर को रोका और तलाशी के दौरान पेटी से प्रीमियम ब्रांड की विदेशी शराब बरामद की।
वीर कुँवर सिंह सेतु पर कार्रवाई: उत्पाद विभाग की सतर्कता
उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त रजनीश कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम ने चेकपोस्ट पर सघन जाँच अभियान चलाया। कंटेनर को संदिग्ध मानकर रोका गया, और चप्पल के कार्टन हटाने पर पैक किये हुए शराब की कार्टन सामने आया। टीम ने तुरंत कंटेनर और शराब को जब्त कर लिया। इस कार्रवाई में शामिल निरीक्षक रवि कुमार ने बताया, “तस्करों ने चप्पल के कार्टन का इस्तेमाल कर शराब को छिपाने की चालाकी दिखाई, लेकिन हमारी सतर्कता ने उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया।” यह कार्रवाई बिहार में शराब तस्करी के खिलाफ उत्पाद विभाग की बढ़ती सख्ती को दर्शाती है।
नरेश कुमार की गिरफ्तारी: पूछताछ में क्या खुलासा
गिरफ्तार तस्कर नरेश कुमार, जो राजस्थान के झुंझुनू का निवासी है, ने पूछताछ में बताया कि शराब की खेप राजस्थान से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के रास्ते बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, और समस्तीपुर में डिलीवरी के लिए थी। उसने एक बड़े अंतरराज्यीय तस्करी नेटवर्क का हिस्सा होने की बात कबूली। नरेश ने बताया कि चप्पल के कार्टन का इस्तेमाल इसलिए किया गया ताकि चेकपोस्ट पर शक न हो। उत्पाद विभाग अब नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रहा है। नरेश को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
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शराब की मात्रा और मूल्य: गणना जारी
बरामद शराब की गणना अभी जारी है, लेकिन प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, कंटेनर में करीब 50 कार्टन शराब होने का अनुमान है। उत्पाद विभाग ने शराब को सुरक्षित स्थान पर रखकर गिनती शुरू कर दी है, और अंतिम रिपोर्ट जल्द तैयार होगी।
सोशल मीडिया पर चर्चा: जनता की प्रतिक्रियाएँ
सोशल मिडिया पर इस कार्रवाई ने तीव्र चर्चा छेड़ दी है। कुछ यूजर्स ने उत्पाद विभाग की तारीफ की, जैसे एक यूजर ने लिखा, “बिहार पुलिस और उत्पाद विभाग की सतर्कता ने तस्करों को सबक सिखाया।” वहीं, कुछ ने शराबबंदी की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए, जैसे, “जब तक मांग रहेगी, तस्करी रुकेगी नहीं।” वायरल तस्वीरों और वीडियो में कंटेनर से शराब निकालते अधिकारियों को देखा गया, जिसने इस मामले को और सुर्खियों में ला दिया।
बिहार में शराबबंदी: तस्करी की चुनौती
बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है, लेकिन तस्कर लगातार नए-नए तरीके अपनाकर शराब की तस्करी कर रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों से शराब की खेप बिहार में लाई जा रही है। हाल के महीनों में, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, और भोजपुर में भी तस्करी के कई मामले सामने आए हैं। उत्पाद विभाग ने 2025 में अब तक कई करोड़ रुपये से अधिक की शराब जब्त की है, और 700 से अधिक तस्करों को गिरफ्तार किया है। फिर भी, तस्करी की घटनाएँ शराबबंदी की चुनौतियों को उजागर करती हैं।
सख्ती की जरूरत
वीर कुँवर सिंह सेतु पर चप्पल की आड़ में शराब तस्करी का यह मामला बिहार में शराबबंदी को लागू करने की जटिलता को दर्शाता है। उत्पाद विभाग की सतर्कता ने एक बड़े तस्करी नेटवर्क को उजागर किया, लेकिन यह स्पष्ट है कि तस्करों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई की जरूरत है। नरेश कुमार की गिरफ्तारी और पूछताछ से नेटवर्क के अन्य सदस्यों तक पहुँचने की उम्मीद है। यह घटना समाज और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि शराबबंदी को प्रभावी बनाने के लिए न केवल सख्ती, बल्कि जागरूकता और सामाजिक सहयोग भी जरूरी है।
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