बक्सर, बिहार की पवित्र धरती, जहां 4 सितंबर 2025 को वामन द्वादशी के अवसर पर भगवान विष्णु के पांचवें और प्रथम मानव अवतार भगवान वामन की प्राकट्य जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस खास दिन पर सिद्धाश्रम (बक्सर) की पवित्र धरती पर वामन ग्लोबल फाउंडेशन के तत्वावधान में भव्य रथयात्रा और झांकी का आयोजन किया गया। रामलीला मंच, किला मैदान से शुरू हुई इस रथयात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। गाजे-बाजे, वैदिक मंत्रोच्चारण और भगवान वामनेश्वर नाथ के जयकारों ने पूरे बक्सर को भक्तिमय बना दिया।

वामन द्वादशी: भगवान वामन का प्राकट्य दिवस
वामन द्वादशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार के जन्मोत्सव के रूप में विशेष महत्व रखता है। भागवत पुराण के अनुसार, भगवान वामन ने इस दिन माता अदिति और कश्यप ऋषि के पुत्र के रूप में अवतार लिया था। बक्सर, जो सिद्धाश्रम के नाम से जाना जाता है, भगवान वामन की जन्मस्थली मानी जाती है। इसीलिए यहां वामन द्वादशी का उत्सव विशेष उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
इस वर्ष 4 सितंबर 2025 को वामन द्वादशी के अवसर पर बक्सर में भगवान वामन की भव्य रथयात्रा निकाली गई। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि बक्सर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को भी उजागर करता है।
भव्य रथयात्रा: भक्ति का अनुपम संगम
वामन ग्लोबल फाउंडेशन द्वारा आयोजित यह रथयात्रा पूर्व निर्धारित समय पर रामलीला मंच, किला मैदान से शुरू हुई। गाजे-बाजे और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रथयात्रा ने नगर का भ्रमण किया। रथ पर सजी भगवान वामन की मनमोहक मूर्ति ने सभी का मन मोह लिया। जगह-जगह शंखनाद और भजनों की स्वरलहरियों ने माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया।
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रथयात्रा रामरेखाघाट से शुरू होकर पी.पी. रोड, मुनीम चौक, यमुना चौक, ठठेरी बाजार, सत्यदेवगंज, पुलिस चौकी, चरित्रवन कॉलेज गेट होते हुए सुमेश्वर स्थान स्थित केंद्रीय कारा के पास भगवान वटुक वामन मंदिर पहुंची। रास्ते में सड़कों के किनारे और घरों की छतों पर खड़े लोग भगवान वामन की नयनाभिराम छवि का दर्शन कर रहे थे। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने इस रथयात्रा को और भी भव्य बना दिया।
भक्तिमय माहौल: जयकारों से गूंजा बक्सर
रथयात्रा के दौरान भगवान वामनेश्वर नाथ के जयकारे और भक्ति भजनों ने बक्सर की गलियों को भक्तिमय बना दिया। विद्वान पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण और शंखनाद ने आयोजन को और भी पवित्रता प्रदान की। श्रद्धालु भगवान वामन की मूर्ति के सामने नतमस्तक होकर अपनी मनोकामनाएं मांग रहे थे। कई लोगों ने रथयात्रा में शामिल होकर भगवान के दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया।
रथयात्रा के समापन के बाद सुमेश्वर स्थान स्थित भगवान वटुक वामन मंदिर में भव्य आरती का आयोजन किया गया। इसके बाद आयोजक मंडल द्वारा हजारों श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया। प्रसाद वितरण के दौरान श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था।
आयोजन की सफलता में योगदान
वामन ग्लोबल फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित इस रथयात्रा की सफलता में कई लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। आयोजन समिति के प्रमुख सदस्यों में अध्यक्ष मनमन पाण्डेय, कार्यक्रम अध्यक्ष दीपक सिंह, कोषाध्यक्ष प्रेम मिश्रा उर्फ भाई जी, सचिव सिकंदर सिंह, अधिवक्ता राघव कुमार पाण्डेय, राकेश राय उर्फ कल्लू राय, मुकेश दास उर्फ बिरप्पन जी, अविनाश राय उर्फ बबुआ, राहुल राय, सागर सिंह, तूफानी यादव, मुकेश सिंह, सचिन पाण्डेय, गणेश पाण्डेय, शिक्षक नेता शिवजी दुबे, राकेश रंजन सिंह उर्फ गुड्डू, निक्कू ओझा, जय शंकर राय, प्रेम तिवारी, ओपोलो अल्ट्रासाउंड डायरेक्टर कमलाकर मिश्रा, छोटू तिवारी, दीपाली यादव, पंकज उपाध्याय, श्याम जी यादव, भोलू राय, और अन्य हजारों श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इन सभी ने मिलकर इस भव्य रथयात्रा को सुचारू रूप से संचालित करने में दिन-रात मेहनत की। उनके प्रयासों ने बक्सर की इस धार्मिक परंपरा को और भी गौरवशाली बना दिया।
बक्सर की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान
बक्सर को सिद्धाश्रम के रूप में जाना जाता है, जहां भगवान वामन का अवतार हुआ था। यह वह पवित्र भूमि है, जहां च्यवन ऋषि का आश्रम था और आयुर्वेद का प्रसार हुआ। वामन द्वादशी का यह उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि बक्सर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को भी मजबूत करता है।
इस रथयात्रा ने बक्सर के लोगों को एकजुट होने का अवसर प्रदान किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के आयोजन उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं। साथ ही, यह बक्सर को पर्यटन के नक्शे पर और भी प्रमुखता देता है।
श्रद्धालुओं की भावनाएं
रथयात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने इसे अपने लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बताया। कई लोगों ने कहा कि भगवान वामन के दर्शन और रथयात्रा में शामिल होने से उन्हें आध्यात्मिक शांति मिली। एक श्रद्धालु ने बताया, “यह रथयात्रा हमारे लिए गर्व का विषय है। बक्सर की पवित्र धरती पर भगवान वामन की जयंती को इस तरह मनाना हमें गौरवान्वित करता है।”
वहीं, कई लोगों ने आयोजकों की तारीफ करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन बक्सर को धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में और मजबूत करेंगे।

सितंबर 2025 को बक्सर में वामन द्वादशी के अवसर पर निकाली गई भगवान वामन की रथयात्रा ने पूरे शहर को भक्ति के रंग में रंग दिया। वामन ग्लोबल फाउंडेशन के प्रयासों और हजारों श्रद्धालुओं की भागीदारी ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। यह रथयात्रा न केवल बक्सर की धार्मिक परंपराओं को जीवित रखती है, बल्कि इस पवित्र भूमि की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को भी दुनिया के सामने लाती है। भगवान वामन के जयकारों और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच बक्सर ने एक बार फिर अपनी आध्यात्मिक शक्ति का प्रदर्शन किया।
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