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बक्सर नगर परिषद में कचड़े का घोटाला: अधिकारियों के काले कारनामे ने शहर को किया कलंकित

Garbage scam in Buxar Municipal Council
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बिहार के बक्सर जिले में नगर परिषद के कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। 13 करोड़ 80 लाख रुपये की राशि शहर की सफाई और कचरा प्रबंधन के लिए खर्च करने के बावजूद, बक्सर स्वच्छता रैंकिंग में बिहार में 76वें स्थान पर है। आरोप है कि नगर परिषद ने ऐतिहासिक राजा रुद्रदेव के किले की खाई में 39,872 टन कचरे का ढेर लगाया और फिर उसे दबाने के लिए बिना टेंडर के मिट्टी भराई की। इस मामले को छिपाने के लिए मिट्टी के ऊपर फिर से कचरा डाल दिया गया।

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बक्सर नगर परिषद पर आरोप है कि उसने सफाई और कचरा प्रबंधन के नाम पर 13 करोड़ 80 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन शहर की स्वच्छता व्यवस्था बदहाल है। सबसे गंभीर आरोप ऐतिहासिक राजा रुद्रदेव के किले की खाई से जुड़ा है, जिसे 1054 ईस्वी में बनाया गया था। इस खाई में कथित तौर पर 39,872 टन कचरा डाला गया। जब यह मामला उजागर हुआ, तो बिना टेंडर या निविदा के रातोंरात कचरे के ऊपर मिट्टी डाल दी गई। मिट्टी भराई का खर्च भी नगर परिषद ने कथित रूप से हजम कर लिया। जब मिट्टी भराई का मामला चर्चा में आया, तो उस पर फिर से कचरा डालकर मामले को दबाने की कोशिश की गई।

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नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने इस मामले में सफाई एजेंसी मौर्यन कार्स ऑटो सर्विस एलएलपी को 8 अगस्त 2025 को शोकॉज नोटिस जारी किया। नोटिस में कहा गया कि शहर के कई इलाकों जैसे समाहरणालय रोड, बारी टोला, धोबी घाट, गौरीशंकर मंदिर, और बाईपास रोड नहर किनारे नियमों के खिलाफ कचरा डंप किया जा रहा है। बरसात के कारण कचरे से बदबू और बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। साथ ही, सफाई कर्मियों को समय पर वेतन न देने का भी आरोप लगाया गया। नोटिस में एजेंसी को 24 घंटे में जवाब देने और सुधार करने का निर्देश दिया गया, अन्यथा भुगतान में कटौती और ब्लैकलिस्ट करने की चेतावनी दी गई।

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ऐतिहासिक किले की खाई पर संकट

1054 ईस्वी में स्थापित राजा रुद्रदेव का किला बक्सर की ऐतिहासिक धरोहर है, जो 1764 के बक्सर युद्ध की कहानियों को जीवंत करता है। इस किले की सुरक्षा के लिए बनाई गई खाई को कचरे से भरने और फिर मिट्टी डालने के कथित प्रयास ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा किया है। एक स्थानीय छात्रा ने बताया कि यह खाई पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकती थी। यदि इसमें पानी भरकर नौका विहार शुरू किया जाता, तो यह बक्सर के पर्यटन को बढ़ावा दे सकता था। लेकिन इसके बजाय, कचरे और मिट्टी भराई से किले की पहचान को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि यह केवल सफाई घोटाले का मामला नहीं है, बल्कि यह बक्सर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंचाने की साजिश भी है। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि इस जमीन को भू-माफियाओं के हवाले करने की योजना थी, लेकिन विवाद बढ़ने से यह योजना विफल हो गई।

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प्रशासन की चुप्पी और जनता का गुस्सा

इस कथित घोटाले ने स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में गुस्सा पैदा किया है। एक युवा नेता ने जिला प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि इतना बड़ा घोटाला जिला मुख्यालय में हो रहा है, फिर भी जिला प्रशासन खामोश है। उन्होंने पूछा कि आखिर इस साजिश के पीछे किसकी मौन सहमति है। लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

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नगर परिषद की सफाई व्यवस्था पहले भी सवालों के घेरे में रही है। स्वच्छता रैंकिंग में बक्सर का 76वां स्थान इस बात का सबूत है कि भारी-भरकम बजट के बावजूद शहर की सफाई व्यवस्था दयनीय है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़कों पर कचरे का ढेर, नालियों में जलजमाव और बदबू आम बात हो गई है।

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शोकॉज नोटिस: सच्चाई या दिखावा?

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने सफाई एजेंसी को शोकॉज नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। लेकिन स्थानीय लोग इसे केवल दिखावा मान रहे हैं। उनका कहना है कि असली दोषी अधिकारी और उनके सहयोगी हैं, जो एजेंसी को बलि का बकरा बना रहे हैं। नोटिस में कचरा डंपिंग, बदबू और बीमारियों के खतरे का जिक्र है, लेकिन लोग पूछ रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर कचरा प्रबंधन में गड़बड़ी कैसे हो रही है।

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पिछले कुछ महीनों में सफाई कर्मियों ने भी न्यूनतम मजदूरी और बकाया वेतन की मांग को लेकर विरोध किया है। इससे साफ है कि नगर परिषद की व्यवस्था में गहरी खामियां हैं।

सफाई बजट और हकीकत का अंतर

नगर परिषद का दावा है कि शहर की सफाई के लिए प्रतिमाह 1 करोड़ 16 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जो पहले 84 लाख रुपये था। लेकिन बजट में इस वृद्धि का शहर की स्वच्छता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। सड़कों पर कचरा, नालियों में जलजमाव और बदबू की समस्या बरकरार है। यह सवाल उठता है कि इतनी बड़ी राशि कहां जा रही है? क्या यह केवल कागजों पर खर्च हो रही है?

जनता की मांग और भविष्य

इस कथित घोटाले ने बक्सर की जनता में आक्रोश पैदा किया है। लोग चाहते हैं कि:

  • 13 करोड़ 80 लाख रुपये के खर्च की निष्पक्ष जांच हो।
  • किले की खाई में कचरा और मिट्टी भराई की साजिश की जांच की जाए।
  • दोषी अधिकारियों और एजेंसियों पर सख्त कार्रवाई हो।
  • शहर की सफाई व्यवस्था को बेहतर करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले को लेकर मुखर हैं। उनका कहना है कि बक्सर जैसे ऐतिहासिक शहर की पहचान को बचाना जरूरी है।

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बक्सर नगर परिषद में 13 करोड़ 80 लाख रुपये के कथित सफाई घोटाले ने न केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर किया है, बल्कि शहर की ऐतिहासिक धरोहर को खतरे में डालने की साजिश को भी सामने लाया है। राजा रुद्रदेव के किले की खाई में कचरा और मिट्टी भराई का मामला गंभीर सवाल उठाता है। नगर परिषद का शोकॉज नोटिस इस मामले को दबाने का प्रयास लगता है, लेकिन जनता की नजरें अब प्रशासन पर टिकी हैं। यह समय है कि जिला प्रशासन और नगर परिषद इस मामले की निष्पक्ष जांच करें और दोषियों को सजा दें, ताकि बक्सर की स्वच्छता और सांस्कृतिक धरोहर को बचाया जा सके।


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