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बक्सर में गंगा ने पार किया खतरे का निशान: बाढ़ से दियारा में तबाही, फसलें डूबीं

Ganga water level
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बिहार के बक्सर जिले में गंगा नदी ने रविवार, 3 अगस्त 2025 को खतरे का लाल निशान पार कर लिया है। सुबह 11 बजे गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को छू गया, और दोपहर 1 बजे यह 60.35 मीटर तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान 60.32 मीटर से 3 सेंटीमीटर अधिक है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, जलस्तर 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। इस स्थिति ने बक्सर के दियारा और तटीय इलाकों में बाढ़ का गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। गंगा की सहायक नदियों ठोरा, कर्मनाशा और धर्मावती भी उफान पर हैं, जिससे सैकड़ों बीघा धान की फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। आइए, इस गंभीर स्थिति की पूरी जानकारी सरल हिंदी में जानते हैं।

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गंगा का जलस्तर और खतरे की स्थिति

केंद्रीय जल आयोग के सहायक अभियंता के अनुसार, बक्सर में गंगा का चेतावनी बिंदु 59.32 मीटर और खतरे का निशान 60.32 मीटर है। रविवार को दोपहर 1 बजे जलस्तर 60.35 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से ऊपर है। यह इस मौसम में दूसरी बार है जब गंगा ने चेतावनी बिंदु को पार किया। जलस्तर में 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की वृद्धि जारी है, जिससे अगले 24-48 घंटों में स्थिति और गंभीर होने की आशंका है।

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2016 में गंगा का जलस्तर बक्सर में 62.09 मीटर तक पहुंचा था, जो अब तक का उच्चतम स्तर है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने बाढ़ की आशंका को गंभीरता से लिया है। गंगा के साथ-साथ सहायक नदियां ठोरा, कर्मनाशा और धर्मावती भी खतरनाक स्तर पर हैं, जिससे बक्सर और पड़ोसी जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

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प्रभावित इलाके और नुकसान

गंगा और उसकी सहायक नदियों के बढ़ते जलस्तर ने बक्सर के कई प्रखंडों में तबाही मचानी शुरू कर दी है। खास तौर पर दियारा और तटीय इलाकों में स्थिति गंभीर है। निम्नलिखित क्षेत्र और गांव प्रभावित हैं:

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  • सदर प्रखंड: करहसी, जरिगांवा, भटवलिया, हरिपुर, नावागांव जैसे गांवों के संपर्क मार्ग जलमग्न हो गए हैं।
  • सिमरी, चक्की, ब्रह्मपुर: इन प्रखंडों के दियारा इलाकों में पानी गांवों और खेतों में घुस गया है।
  • चौसा: बनारपुर, सिकरौल, सोनपा जैसे गांव कर्मनाशा नदी के उफान से प्रभावित हैं।
  • कैमूर सीमा: धर्मावती नदी के कारण सैकड़ों बीघा धान की फसलें डूब गई हैं।
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किसानों को भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि धान और अन्य फसलों के खेत पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। ठोरा नदी के उफान से पुलिया और बलुआ के रास्ते पर पानी चढ़ गया है, जिससे आवागमन ठप हो गया है। कर्मनाशा नदी ने भी बनारपुर और सिकरौल जैसे गांवों में पानी धकेल दिया है।

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प्रशासन की तैयारियां

बक्सर जिला प्रशासन बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए अलर्ट मोड में है। जिला पदाधिकारी ने रामरेखा घाट और अन्य प्रमुख घाटों का निरीक्षण कर राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा की है। निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

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  • तटबंधों की सुरक्षा: बक्सर-कोईलवर तटबंध की निगरानी बढ़ा दी गई है। 5 लाख सैंड बैग तैयार रखे गए हैं।
  • राहत शिविर: प्रभावित गांवों के लिए राहत शिविरों की पहचान की जा रही है।
  • एसडीआरएफ तैनाती: रामरेखा घाट और अन्य संवेदनशील स्थानों पर एसडीआरएफ टीमें तैनात हैं।
  • बैरिकेडिंग और चेतावनी: सभी प्रमुख घाटों पर मजबूत बैरिकेडिंग और लाल झंडियां लगाई गई हैं।
  • नावों पर रोक: गंगा में नावों का परिचालन बंद कर दिया गया है।

जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने अनुमान लगाया है कि बाढ़ की स्थिति बनी तो करीब 1.25 लाख लोग प्रभावित हो सकते हैं। प्रशासन ने राहत सामग्री, नावों की उपलब्धता और मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था शुरू कर दी है।

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जनता के लिए सावधानियां

प्रशासन और मौसम विशेषज्ञों ने बक्सर के लोगों से निम्नलिखित सावधानियां बरतने की अपील की है:

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  • सुरक्षित स्थान: नदी किनारे और दियारा इलाकों के लोग ऊंचे स्थानों पर जाएं।
  • जरूरी सामान: सूखा खाना, दवाएं, माचिस, मोमबत्ती और टॉर्च का इंतजाम करें।
  • जहरीले जानवरों से सावधान: रात में सांप और बिच्छू जैसे जीवों का खतरा बढ़ सकता है।
  • आवागमन से बचें: जलमग्न सड़कों पर यात्रा न करें।
  • आपात संपर्क: बक्सर पुलिस नियंत्रण कक्ष (9031826744) या स्थानीय थानों से संपर्क करें।

किसानों को सलाह दी गई है कि वे मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाएं और खेतों में पानी निकासी की व्यवस्था करें।

पड़ोसी जिलों में स्थिति

गंगा का जलस्तर न केवल बक्सर, बल्कि पड़ोसी जिलों और उत्तर प्रदेश में भी खतरे के निशान को पार कर चुका है।

  • गाजीपुर: गंगा का जलस्तर 63.500 मीटर पर है, जो खतरे के निशान 63.105 मीटर से ऊपर है। नसीरपुर, हसनपुरा, वीरऊपुर जैसे गांवों में पानी घुस गया है।
  • वाराणसी: गंगा खतरे के निशान के करीब है, और नमो घाट सहित कई घाट डूब चुके हैं।
  • बलिया: गंगा खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर बह रही है।

नेपाल और ऊपरी इलाकों में हुई भारी बारिश ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में उफान ला दिया है, जिससे बिहार और उत्तर प्रदेश के तटीय जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

बाढ़ का प्रभाव और भविष्य की आशंका

गंगा के जलस्तर में 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की वृद्धि लाखों लीटर पानी को मैदानी इलाकों में फैला रही है। इससे न केवल खेत और फसलें डूब रही हैं, बल्कि गांवों का संपर्क भी टूट रहा है। बक्सर के श्मशान घाट जैसे रामरेखा घाट पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, जिससे शवदाह में भी दिक्कत हो रही है।

मौसम विभाग ने अगले 7 दिनों तक बिहार में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे गंगा का जलस्तर और बढ़ सकता है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो बक्सर, भोजपुर, पटना और अन्य तटीय जिलों में बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है।

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बक्सर में गंगा नदी के खतरे का निशान पार करने से दियारा और तटीय इलाकों में बाढ़ का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। सैकड़ों बीघा फसलें जलमग्न हो चुकी हैं, और कई गांवों का संपर्क टूट गया है। प्रशासन ने राहत और बचाव के लिए व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। गंगा की सहायक नदियां भी उफान पर हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। स्थानीय लोग सूखा खाना, दवाएं और अन्य जरूरी सामान तैयार रखें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। बिहार में मानसून और बाढ़ का यह दौर अगले कुछ दिनों तक चुनौतीपूर्ण बना रहेगा।


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