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गाजियाबाद में फर्जी दूतावास का पर्दाफाश: काल्पनिक देशों का राजदूत बनकर कोठी से चल रहा था ठगी का खेल

Fake Embassy
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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक सनसनीखेज मामले ने सभी को चौंका दिया है। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) की नोएडा यूनिट ने 22 जुलाई 2025 की रात को कवि नगर थाना क्षेत्र में एक किराए के मकान पर छापा मारकर एक अवैध दूतावास का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई में मुख्य आरोपी हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया गया, जो काल्पनिक देशों जैसे वेस्ट आर्कटिका, सेबोर्गा, पौल्विया, और लोडोनिया का राजदूत बनकर लोगों को ठग रहा था। इस लेख में हम इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की सच्चाई को आपके सामने लाएंगे, ताकि आप समझ सकें कि यह रैकेट कैसे काम करता था और इससे क्या सबक लिया जा सकता है।

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क्या हुआ था गाजियाबाद में?

22 जुलाई 2025 की रात को, STF की नोएडा यूनिट ने गुप्त सूचना के आधार पर गाजियाबाद के कवि नगर में एक आलीशान कोठी पर छापा मारा। यह कोठी, जो किराए पर ली गई थी, एक फर्जी दूतावास के रूप में संचालित हो रही थी। इस दूतावास का संचालक हर्षवर्धन जैन था, जो खुद को वेस्ट आर्कटिका, सेबोर्गा, पौल्विया, और लोडोनिया जैसे देशों का राजदूत या कॉन्सुल बताता था। चौंकाने वाली बात यह है कि ये देश वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं हैं। ये तथाकथित माइक्रोनेशन हैं, जिन्हें हर्षवर्धन ने अपने फर्जीवाड़े के लिए इस्तेमाल किया।

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छापेमारी के दौरान पुलिस ने भारी मात्रा में संदिग्ध सामग्री बरामद की, जिसमें शामिल हैं:

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  • 44.70 लाख रुपये नकद
  • चार डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट वाली लग्जरी गाड़ियां
  • 18 अतिरिक्त डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट
  • 12 फर्जी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट
  • विदेश मंत्रालय की मोहर वाले जाली दस्तावेज
  • दो फर्जी पैन कार्ड
  • दो फर्जी प्रेस कार्ड
  • 34 विभिन्न देशों और कंपनियों की जाली मोहरें
  • कई देशों की विदेशी मुद्राएं (तुर्की लीरा, यूएई दिरहम, यूरो, डॉलर, पाउंड आदि)
  • कई कंपनियों के जाली दस्तावेज

ये सभी सामग्रियां इस बात का सबूत हैं कि हर्षवर्धन एक बड़े पैमाने पर ठगी और हवाला रैकेट चला रहा था।

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हर्षवर्धन जैन का फर्जीवाड़ा: कैसे बनाया जाल?

हर्षवर्धन जैन ने अपने फर्जी दूतावास को एकदम वास्तविक दिखाने के लिए हर संभव कोशिश की थी। उसने न केवल अपनी कोठी को विभिन्न देशों के झंडों से सजाया था, बल्कि डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियों का इस्तेमाल भी करता था। लोगों को प्रभावित करने के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ अपनी एडिट की हुई तस्वीरें दिखाता था। ये तस्वीरें उसने फोटोशॉप के जरिए बनाई थीं, ताकि लोग उसे एक प्रभावशाली और अंतरराष्ट्रीय स्तर का व्यक्ति समझें।

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हर्षवर्धन का मुख्य मकसद था लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर मोटी रकम वसूलना। वह प्राइवेट कंपनियों और व्यक्तियों को विदेश में काम दिलाने का वादा करता था और इसके बदले भारी-भरकम राशि लेता था। इसके अलावा, वह शेल कंपनियों के जरिए हवाला रैकेट भी चला रहा था, जिसके तहत अवैध रूप से पैसे का लेन-देन किया जाता था।

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हर्षवर्धन का आपराधिक इतिहास

पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि हर्षवर्धन जैन का आपराधिक इतिहास पुराना है। वह पहले भी कई गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है:

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  • 2011 में अवैध सैटेलाइट फोन का मामला: हर्षवर्धन के पास से एक अवैध सैटेलाइट फोन बरामद हुआ था, जिसके लिए कवि नगर थाने में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
  • चंद्रास्वामी और अदनान खगोशी से संबंध: जांच में पता चला कि हर्षवर्धन का विवादित तांत्रिक चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खगोशी से भी संपर्क रहा है। यह जानकारी इस रैकेट की गंभीरता को और बढ़ाती है।

अवैध दूतावास चलाना: कानूनी स्थिति

भारत में कोई भी व्यक्ति या संगठन सरकार की अनुमति के बिना दूतावास नहीं चला सकता। STF ने छापेमारी से पहले केंद्रीय एजेंसियों से संपर्क कर इसकी पुष्टि की थी। ऐसे दूतावास भारत की संप्रभुता के खिलाफ हैं और गैरकानूनी माने जाते हैं। हर्षवर्धन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (जालसाजी के इरादे से दस्तावेज बनाना), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग), और पासपोर्ट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। कवि नगर थाने में FIR दर्ज की गई है, और पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है।

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STF की कार्रवाई और बरामदगी

STF की नोएडा यूनिट ने इस ऑपरेशन को बहुत ही गोपनीय और सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया। छापेमारी के दौरान हर्षवर्धन के मकान में उनके ससुर आनंद जैन, भाटिया मोड़ निवासी ईश्वर सिंह, और घरेलू सहायक हेमंत कुमार राजवंशी भी मौजूद थे। STF ने ईश्वर और हेमंत को गवाह बनाया। बरामद सामग्री में न केवल नकदी और जाली दस्तावेज शामिल थे, बल्कि कई ऐसी चीजें भी थीं जो इस रैकेट के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की ओर इशारा करती हैं।

पुलिस ने बताया कि हर्षवर्धन का नेटवर्क काफी संगठित था। उसने अपनी कोठी को एक वास्तविक दूतावास की तरह सजाया था, जिसमें विभिन्न देशों के झंडे, जाली दस्तावेज, और डिप्लोमैटिक सामग्री शामिल थी। यह सब लोगों को भ्रम में डालने और ठगी करने के लिए किया गया था।

यह मामला हमें क्या सिखाता है?

यह घटना हमें सतर्क रहने की जरूरत को दर्शाती है। विदेश में नौकरी या निवेश के नाम पर होने वाली ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में:

  • दस्तावेजों की जांच करें: किसी भी कंपनी या व्यक्ति के दावों को स्वीकार करने से पहले उनके दस्तावेजों की सत्यता की जांच करें।
  • सरकारी पोर्टल्स का उपयोग: विदेश में नौकरी या वीजा के लिए हमेशा भारत सरकार के आधिकारिक पोर्टल्स या दूतावासों से संपर्क करें।
  • संदिग्ध गतिविधियों की सूचना दें: अगर आपको कोई व्यक्ति या संगठन संदिग्ध लगता है, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम सेल को सूचित करें।
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गाजियाबाद में फर्जी दूतावास का यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि अपराधी कितने शातिर तरीके से लोगों को ठगने की कोशिश करते हैं। हर्षवर्धन जैन जैसे लोग न केवल व्यक्तियों को ठगते हैं, बल्कि देश की संप्रभुता को भी चुनौती देते हैं। STF की इस कार्रवाई ने एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है, और अब पुलिस इस नेटवर्क के अन्य कनेक्शनों की जांच कर रही है। यह मामला हमें सिखाता है कि हमें हर उस दावे पर सवाल उठाना चाहिए जो बहुत अच्छा लगता हो। अगर आप भी विदेश में नौकरी या निवेश के लिए किसी से संपर्क कर रहे हैं, तो सावधानी बरतें और केवल विश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करें।


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