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कार्यपालक सहायकों का धरना, 11 सूत्री मांगों को लेकर सरकार पर दबाव

Buxar Executive Assistant
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बिहार के बक्सर जिले में बिहार राज्य कार्यपालक सेवा संघ के बैनर तले कार्यपालक सहायकों ने अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर रविवार, 7 सितंबर 2025 को समाहरणालय के पास जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। यह आंदोलन पांचवें दिन भी जारी रहा, जिसमें सैकड़ों कार्यपालक सहायक शामिल हुए। धरने की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष दीनानाथ सिंह ने की, जबकि संचालन सचिव राजेश कुमार ने किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार की उपेक्षा के खिलाफ नाराजगी जताई और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। यह धरना बक्सर में कार्यपालक सहायकों की लंबे समय से अनसुनी मांगों और उनके योगदान को रेखांकित करता है।

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बक्सर में कार्यपालक सहायकों का धरना-प्रदर्शन

7 सितंबर 2025 को बक्सर समाहरणालय के पास आयोजित धरना-प्रदर्शन में कार्यपालक सहायकों ने अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। यह आंदोलन बिहार राज्य कार्यपालक सेवा संघ के नेतृत्व में पांचवें दिन भी जोर-शोर से जारी रहा। धरने में सैकड़ों कार्यपालक सहायक, पुरुष और महिला, शामिल हुए, जिनमें साहब, अभय कुमार, घनश्याम, प्रेम प्रकाश, निर्मल, बबलू पासवान, रिशु लाल, आमिर हक अंसारी, बृजेश कुमार ओझा, प्रदीप कुमार, और आशुतोष मिश्रा जैसे कई लोग मौजूद रहे।

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धरने की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष दीनानाथ सिंह ने की, जबकि सचिव राजेश कुमार ने संचालन की जिम्मेदारी संभाली। इस दौरान बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला सचिव महेंद्र पासवान का कार्यपालक सहायकों ने फूलमालाओं से स्वागत किया। दीनानाथ सिंह, राजेश कुमार, और कोषाध्यक्ष जितेंद्र पासवान ने उन्हें शॉल भेंटकर सम्मानित किया।

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कार्यपालक सहायकों की मांगें और उनकी अहमियत

धरने में शामिल उपाध्यक्ष कमलेश ठाकुर ने कहा, “बिहार का डिजिटलीकरण कार्यपालक सहायकों के बिना संभव नहीं है। पंचायत से लेकर सचिवालय तक हर स्तर पर हम सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फिर भी, सरकार हमारी मांगों की अनदेखी कर रही है।”

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मीडिया प्रभारी राकेश कुमार ने बताया कि कार्यपालक सहायक सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने में अहम योगदान देते हैं। उन्होंने कहा, “पंचायत से लेकर सचिवालय तक, कार्यपालक सहायकों की मेहनत के बिना बिहार की योजनाएं अधूरी हैं। लेकिन सरकार हमारी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है, जिससे हमें यह आंदोलन शुरू करना पड़ा।”

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बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला सचिव महेंद्र पासवान ने कार्यपालक सहायकों की प्रमुख मांगों को रेखांकित किया। इनमें शामिल हैं:

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  • सेवा संवर्ग का गठन: कार्यपालक सहायकों के लिए एक स्पष्ट सेवा संवर्ग बनाया जाए।
  • स्थायीकरण और राज्य कर्मी का दर्जा: कार्यपालक सहायकों को स्थायी नौकरी और राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए।
  • सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतनमान: लेवल 4–6 के तहत उचित वेतनमान लागू किया जाए।
  • न्यूनतम योग्यता में बदलाव: कार्यपालक सहायकों की न्यूनतम योग्यता को मैट्रिक से बढ़ाकर इंटरमीडिएट किया जाए।

इनके अलावा, अन्य मांगों में नियुक्ति की तिथि से ईपीएफ का लाभ, हटाए गए कार्यपालक सहायकों का समायोजन, आकस्मिक निधन पर 40 लाख रुपये का मुआवजा, चिकित्सीय लाभ, और मृतक के परिजनों को नौकरी जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

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आंदोलन का स्वरूप और चेतावनी

धरने में शामिल रवि प्रजापति ने सरकार के प्रति गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “यह आंदोलन हमारी उपेक्षित स्थिति का प्रतीक है। हमारी मेहनत को सरकार नजरअंदाज कर रही है। अगर हमारी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो हम आंदोलन को और तेज करेंगे।”

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प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल और अनशन जैसे कड़े कदम उठाने को मजबूर होंगे। धरने में मौजूद कार्यपालक सहायकों ने नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को दोहराया और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।

कार्यपालक सहायकों की भूमिका और उपेक्षा

कार्यपालक सहायक बिहार में सरकारी योजनाओं और डिजिटल प्रशासन की रीढ़ हैं। पंचायत स्तर से लेकर सचिवालय तक, वे विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन, डेटा प्रबंधन, और प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके बावजूद, उनकी सेवा शर्तों में सुधार और स्थायीकरण की मांगें लंबे समय से लंबित हैं।

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राकेश कुमार ने कहा, “हम दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन हमें न तो उचित वेतन मिलता है और न ही स्थायी नौकरी की गारंटी। सरकार की यह उपेक्षा हमें आंदोलन के लिए मजबूर कर रही है।” धरने में शामिल कार्यपालक सहायकों ने एकजुटता दिखाते हुए अपनी मांगों को लेकर दृढ़ संकल्प जताया।

जनता और समाज का समर्थन

धरने में बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिला सचिव महेंद्र पासवान की मौजूदगी ने कार्यपालक सहायकों का हौसला बढ़ाया। उनकी उपस्थिति और समर्थन ने इस आंदोलन को और मजबूती दी। कार्यपालक सहायकों ने उनका फूलमालाओं और शॉल से सम्मान किया, जो इस बात का प्रतीक था कि उनका आंदोलन न केवल उनकी मांगों तक सीमित है, बल्कि यह अन्य कर्मचारी संगठनों के समर्थन से और व्यापक हो रहा है।

स्थानीय लोगों ने भी कार्यपालक सहायकों के इस आंदोलन का समर्थन किया। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “ये लोग सरकार के लिए दिन-रात काम करते हैं, लेकिन इन्हें उनका हक नहीं मिल रहा। सरकार को इनकी मांगें जल्द पूरी करनी चाहिए।”

सरकार से अपेक्षाएं

बक्सर में कार्यपालक सहायकों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार से निम्नलिखित अपेक्षाएं जताई हैं:

  • तत्काल कार्रवाई: सरकार को कार्यपालक सहायकों की 11 सूत्री मांगों पर जल्द से जल्द विचार करना चाहिए।
  • स्थायीकरण: संविदा पर काम कर रहे कार्यपालक सहायकों को स्थायी नौकरी और उचित वेतनमान दिया जाए।
  • सेवा शर्तों में सुधार: वेतन, चिकित्सीय लाभ, और अन्य सुविधाओं में सुधार किया जाए।
  • पारदर्शी प्रक्रिया: मांगों को लागू करने के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाए।
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बक्सर में बिहार राज्य कार्यपालक सेवा संघ के बैनर तले आयोजित धरना-प्रदर्शन ने कार्यपालक सहायकों की उपेक्षित स्थिति को सामने ला दिया है। जिलाध्यक्ष दीनानाथ सिंह, सचिव राजेश कुमार, उपाध्यक्ष कमलेश ठाकुर, रवि प्रजापति, राकेश कुमार, और महेंद्र पासवान जैसे नेताओं के नेतृत्व में यह आंदोलन बक्सर में चर्चा का विषय बन गया है। कार्यपालक सहायकों की 11 सूत्री मांगें, जिसमें स्थायीकरण, उचित वेतनमान, और सेवा शर्तों में सुधार शामिल हैं, सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती हैं। यदि सरकार ने इन मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन और तेज होने की संभावना है। क्या सरकार कार्यपालक सहायकों की मांगों को पूरा करेगी और उनकी मेहनत को सम्मान देगी? यह सवाल बक्सर के हर कार्यपालक सहायक के मन में है।


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