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डुमरांव: कोपवा गांव में 6 सितंबर को भव्य अंतर्राज्यीय कुश्ती प्रतियोगिता, यूपी-बिहार-झारखंड के पहलवान दिखाएंगे दम

Kopwa wrestling competition
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बिहार के बक्सर जिले के डुमरांव प्रखंड के कोपवा गांव में 6 सितंबर 2025 को एक भव्य अंतर्राज्यीय कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन हर साल की तरह इस बार भी अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर कोपवा धाम की पवित्र भूमि पर होगा। इस प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के पुरुष और महिला पहलवान अपनी ताकत और कौशल का प्रदर्शन करेंगे। आयोजन समिति ने इसे शांतिपूर्ण और सफल बनाने के लिए क्षेत्रवासियों से बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है।

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आयोजन का उद्देश्य

यह कुश्ती प्रतियोगिता समाजसेवी स्वर्गीय शिवकुमार सिंह, स्वर्गीय राम दरश सिंह पहलवान और स्वर्गीय सच्चिदानंद सिंह पहलवान की पुण्य स्मृति में आयोजित की जा रही है। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि कोपवा धाम के मां काली मंदिर की कृपा से हर साल इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन न केवल खेल भावना को बढ़ावा देता है, बल्कि स्थानीय समुदाय को एकजुट करने और पारंपरिक कुश्ती कला को प्रोत्साहित करने का भी माध्यम है।

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इस साल यह आयोजन राम दरश सिंह पहलवान व्यायामशाला, कोपवा में होगा। कार्यक्रम दोपहर 12 बजे शुरू होगा और शाम 4 बजे तक चलेगा। मंदिर निर्माण समिति, कोपवा धाम इस आयोजन की मुख्य भूमिका निभाएगी।

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प्रतियोगिता में भाग लेने वाले पहलवान

इस अंतर्राज्यीय कुश्ती प्रतियोगिता में यूपी, बिहार और झारखंड के कई नामी पहलवान हिस्सा लेंगे। पुरुष और महिला पहलवानों के लिए अलग-अलग वजन वर्गों में मुकाबले होंगे। आयोजन समिति ने बताया कि यह प्रतियोगिता सभी आयु वर्ग के दर्शकों के लिए रोमांचक होगी, क्योंकि इसमें अनुभवी और उभरते हुए पहलवान अपनी ताकत और तकनीक का प्रदर्शन करेंगे।

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महिला पहलवानों की भागीदारी इस आयोजन को और खास बनाती है, क्योंकि यह क्षेत्र में महिलाओं को खेलों में प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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पुरस्कार और वजन वर्ग

प्रतियोगिता में विभिन्न वजन वर्गों के लिए आकर्षक पुरस्कार रखे गए हैं, जो पहलवानों को और उत्साहित करेंगे। पुरस्कार इस प्रकार हैं:

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  • 55 किलो से 65 किलो (पुरुष): प्रथम पुरस्कार 10,000 रुपये और शील्ड, द्वितीय पुरस्कार 5,000 रुपये और शील्ड।
  • 65 किलो से 75 किलो (पुरुष): प्रथम पुरस्कार 15,000 रुपये और शील्ड, द्वितीय पुरस्कार 7,500 रुपये और शील्ड।
  • 75 किलो से अधिक (पुरुष): प्रथम पुरस्कार 21,000 रुपये और शील्ड, द्वितीय पुरस्कार 10,500 रुपये और शील्ड।
  • 50 किलो से 65 किलो (महिला): प्रथम पुरस्कार 10,000 रुपये और शील्ड, द्वितीय पुरस्कार 5,000 रुपये और शील्ड।

ये पुरस्कार न केवल पहलवानों को प्रोत्साहित करेंगे, बल्कि क्षेत्र में कुश्ती जैसे पारंपरिक खेल को बढ़ावा देने में भी मदद करेंगे।

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तैयारियां जोरों पर

आयोजन समिति ने इस प्रतियोगिता को भव्य और व्यवस्थित बनाने के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। अखाड़े को तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। इसके अलावा, दर्शकों के बैठने, सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आयोजन समिति ने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि वे इस आयोजन में शामिल हों और इसे शांतिपूर्ण माहौल में सफल बनाने में सहयोग करें।

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आयोजन स्थल पर स्वच्छता, पानी और प्राथमिक चिकित्सा जैसी सुविधाओं का भी इंतजाम किया जा रहा है, ताकि दर्शकों और पहलवानों को किसी तरह की असुविधा न हो।

कुश्ती का सांस्कृतिक महत्व

कोपवा गांव में आयोजित होने वाली यह कुश्ती प्रतियोगिता न केवल एक खेल आयोजन है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का भी हिस्सा है। कुश्ती भारत की प्राचीन खेल परंपरा है, जो शारीरिक ताकत, अनुशासन और आत्मविश्वास को बढ़ावा देती है। कोपवा धाम में मां काली मंदिर के प्रांगण में होने वाला यह आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी जोड़ता है।

इस तरह के आयोजन स्थानीय युवाओं को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में कुश्ती जैसे पारंपरिक खेलों को जीवित रखने में मदद करते हैं।

समुदाय से अपील

आयोजन समिति ने स्थानीय लोगों से इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है। समिति ने कहा कि यह आयोजन न केवल खेल का उत्सव है, बल्कि समुदाय को एकजुट करने और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने का अवसर भी है। लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे शांतिपूर्ण माहौल में इस आयोजन को सफल बनाएं और पहलवानों का उत्साह बढ़ाएं।

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डुमरांव के कोपवा गांव में 6 सितंबर 2025 को होने वाली अंतर्राज्यीय कुश्ती प्रतियोगिता एक भव्य और रोमांचक आयोजन होने की उम्मीद है। यूपी, बिहार और झारखंड के पहलवानों की भागीदारी, आकर्षक पुरस्कार और मां काली कोपवा धाम की पवित्र भूमि इस आयोजन को खास बनाती है। यह प्रतियोगिता न केवल खेल भावना को बढ़ावा देगी, बल्कि स्थानीय समुदाय को एकजुट करने और कुश्ती की परंपरा को जीवित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। बक्सर के लोग इस आयोजन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।


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