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बक्सर में आशा एवं आशा फैसिलिटेटर का धरना: पारितोषिक राशि और पेंशन की मांग

Buxar Asha Dharna 2025
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बिहार के बक्सर जिले में आशा और आशा फैसिलिटेटर संघ की जिला शाखा ने मंगलवार, 12 अगस्त 2025 को राज्य संगठन के निर्देश पर धरना-प्रदर्शन आयोजित किया। इस प्रदर्शन के दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर अपनी आवाज बुलंद की और सिविल सर्जन के माध्यम से अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग को एक मांग पत्र सौंपा। यह धरना स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाली आशा कार्यकर्ताओं की समस्याओं को उजागर करने और उनके अधिकारों की मांग करने के लिए था। इस लेख में हम इस धरना-प्रदर्शन की पूरी जानकारी सरल हिंदी में दे रहे हैं, ताकि पाठकों को आशा कार्यकर्ताओं की स्थिति और उनकी मांगों की स्पष्ट समझ हो।

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धरना-प्रदर्शन का आयोजन

बक्सर में आशा और आशा फैसिलिटेटर संघ की जिला शाखा ने मंगलवार को राज्य संगठन के निर्देश पर धरना दिया। इस धरने में आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व जिला स्तर के पदाधिकारियों ने किया, और इसमें सैकड़ों आशा कार्यकर्ता शामिल हुईं। धरने के दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य विभाग की नीतियों पर सवाल उठाए और अपनी मांगों पर जोर दिया।

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धरने के बाद प्रदर्शनकारी महिलाओं ने सिविल सर्जन को मांग पत्र सौंपा। इस मांग पत्र में आशा कार्यकर्ताओं की पारितोषिक राशि, सेवानिवृत्ति उम्र और अन्य लाभों पर ध्यान केंद्रित किया गया। यह प्रदर्शन आशा कार्यकर्ताओं की लंबे समय से लंबित मांगों को फिर से सामने लाने का एक प्रयास था।

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आशा कार्यकर्ताओं की मुख्य मांगें

धरने में आशा कार्यकर्ताओं ने कई महत्वपूर्ण मांगें उठाईं। उन्होंने बिहार सरकार के फैसले का स्वागत किया, जिसमें आशा कार्यकर्ताओं की पारितोषिक राशि को तीन गुना बढ़ाने की घोषणा की गई है। लेकिन उन्होंने मांग की कि 12 अगस्त 2023 के हड़ताल समझौते के अनुसार बढ़ी हुई राशि का भुगतान 1 सितंबर 2023 से किया जाए, और बकाया राशि को एक मुश्त दिया जाए।

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इसके अलावा, आशा कार्यकर्ताओं ने मांग की कि उनकी सेवानिवृत्ति उम्र 65 वर्ष की जाए, जैसा कि आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं के लिए है। उन्होंने रिटायरमेंट पर 10 लाख रुपये का लाभ और 10000 रुपये प्रतिमाह पेंशन देने की भी मांग की। भारत सरकार से उन्होंने प्रोत्साहन राशि को 2000 रुपये से बढ़ाकर 3500 रुपये करने और बकाया का भुगतान करने का अनुरोध किया।

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आशा फैसिलिटेटर के लिए 21 दिन के बजाय पूरे महीने का भ्रमण भत्ता देने की मांग भी उठाई गई। ये मांगें आशा कार्यकर्ताओं की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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प्रदर्शन का प्रभाव और प्रतिक्रिया

इस धरने ने बक्सर में आशा कार्यकर्ताओं की समस्याओं को एक बार फिर उजागर किया। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि वे स्वास्थ्य विभाग में गांव-गांव जाकर लोगों की मदद करती हैं, लेकिन उनकी अपनी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। धरने के दौरान सैकड़ों आशा कार्यकर्ताओं की उपस्थिति ने इस मुद्दे की गंभीरता को दिखाया।

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सिविल सर्जन को मांग पत्र सौंपने के बाद प्रदर्शनकारी महिलाओं ने उम्मीद जताई कि उनकी मांगों पर जल्द विचार किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मांग पत्र प्राप्त करने की पुष्टि की है, और कहा है कि इसे अपर मुख्य सचिव को भेजा जाएगा। यह धरना आशा कार्यकर्ताओं की एकजुटता और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष का प्रतीक बना।

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आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका

आशा कार्यकर्ता बिहार के स्वास्थ्य विभाग में एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। वे गांव स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार करती हैं, जैसे टीकाकरण, मातृ स्वास्थ्य, और परिवार नियोजन। उनकी मेहनत से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ी है, लेकिन वे खुद कई समस्याओं से जूझ रही हैं। पारितोषिक राशि, पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ जैसे मुद्दे लंबे समय से लंबित हैं, जिससे उनके मनोबल पर असर पड़ता है।

इस धरने से यह स्पष्ट होता है कि आशा कार्यकर्ता अपनी मांगों के लिए संगठित हैं और सरकार से उनके योगदान का सम्मान करने की उम्मीद कर रही हैं।

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बक्सर में आशा और आशा फैसिलिटेटर संघ का धरना स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की समस्याओं को सामने लाता है। पारितोषिक राशि बढ़ाने, पेंशन और सेवानिवृत्ति उम्र जैसे मुद्दों पर उनकी मांगें जायज हैं, और यह उम्मीद की जाती है कि स्वास्थ्य विभाग इन पर ध्यान देगा। यह धरना न केवल आशा कार्यकर्ताओं की एकजुटता दिखाता है, बल्कि बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती के लिए उनके योगदान को भी रेखांकित करता है। स्थानीय लोग और संगठन अब इन मांगों के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि आशा कार्यकर्ता और बेहतर तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभा सकें।


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