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चंदन मिश्रा हत्याकांड: दोस्ती से दुश्मनी तक, प्यार और बदले की सनसनीखेज कहानी

chandan mishra AND SHERU SINGH
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बिहार के अपराध जगत में एक समय चंदन मिश्रा और शेरू सिंह उर्फ ओंकारनाथ की जोड़ी आतंक का पर्याय थी। लेकिन एक प्रेम कहानी, जातीय टकराव और बदले की आग ने इस दोस्ती को खूनी दुश्मनी में बदल दिया। 14 जुलाई 2025 को पटना के पारस अस्पताल में चंदन मिश्रा की दिनदहाड़े हत्या ने न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस हत्याकांड के पीछे की कहानी दोस्ती, प्यार, विश्वासघात और वर्चस्व की जंग का एक दर्दनाक मिश्रण है। आइए, इस लेख में इस सनसनीखेज मामले की पूरी कहानी को सरल और रोचक भाषा में जानते हैं।

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चंदन और शेरू: अपराध की दुनिया के ‘जय-वीरू’

चंदन मिश्रा और शेरू सिंह की दोस्ती की शुरुआत 2009 में बक्सर के रिमांड होम में हुई थी। दोनों युवा, महत्वाकांक्षी और बेखौफ थे। उनकी जोड़ी ने जल्द ही भोजपुर, बक्सर, रोहतास, और कैमूर जैसे जिलों में रंगदारी, हत्या और गैंगवार के जरिए खौफ का साम्राज्य स्थापित कर लिया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, महज 20 साल की उम्र तक दोनों ने मिलकर 8 से अधिक हत्याएं की थीं। उनकी एक बाइक, दो हथियार और बेमुरव्वत रवैये की कहानियां बिहार के अपराध जगत में मशहूर थीं।

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लेकिन यह दोस्ती हमेशा की तरह नहीं रही। एक लड़की, जिसे लेकर दोनों के बीच प्रेम और अपमान का टकराव हुआ, ने इस रिश्ते में दरार डाल दी।

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प्रेम कहानी ने बनाया दुश्मन

सूत्रों के अनुसार, शेरू सिंह की नजर चंदन मिश्रा की बहन पर पड़ी। यह प्रेम कहानी एक ब्राह्मण लड़की और राजपूत लड़के के बीच थी, जो उस समय के सामाजिक और पारिवारिक नियमों के खिलाफ थी। चंदन ने इस रिश्ते को सिरे से खारिज कर दिया, जिससे शेरू के मन में अपमान और गुस्से की आग भड़क उठी। यह न केवल व्यक्तिगत झगड़ा था, बल्कि जातीय टकराव ने भी इस दुश्मनी को और गहरा कर दिया।

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2015 में बक्सर जेल में दोनों के बीच रंगदारी के पैसे के बंटवारे को लेकर बड़ा झगड़ा हुआ। इस घटना ने उनकी दोस्ती को पूरी तरह खत्म कर दिया। चंदन को बाद में भागलपुर और फिर पटना के बेउर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया, जबकि शेरू को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई, जिसे बाद में पटना हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया।

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पारस अस्पताल में फिल्मी अंदाज में हत्या

14 जुलाई 2025 को पटना के पारस अस्पताल में एक सनसनीखेज वारदात ने सबको हिलाकर रख दिया। चंदन मिश्रा, जो हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था और पैरोल पर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती था, उस पर 5 हथियारबंद शूटरों ने हमला किया। दूसरी मंजिल के कमरा नंबर 209 में घुसकर शूटरों ने 28 गोलियां बरसाईं, जिससे चंदन की मौके पर ही मौत हो गई।

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सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि शूटर हथियार लहराते हुए अस्पताल में घुसे और वारदात को अंजाम देकर आराम से फरार हो गए। इस घटना ने न केवल अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि बिहार पुलिस की कार्यशैली पर भी उंगलियां उठीं।

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शेरू सिंह: जेल से रची साजिश

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड कोई और नहीं, बल्कि पुरुलिया जेल में बंद शेरू सिंह था। सूत्रों के अनुसार, शेरू ने अपनी गर्लफ्रेंड निशु खान के साथ मिलकर इस हत्या की साजिश रची। मुख्य शूटर तौसीफ उर्फ बादशाह को 10 लाख रुपये की सुपारी दी गई थी, जिसमें से प्रत्येक शूटर को 5-5 लाख रुपये मिले।

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पुलिस ने कोलकाता में छापेमारी कर तौसीफ, निशु खान, हरीश सिंह, सचिन सिंह, और अन्य सहयोगियों सहित कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया। तौसीफ ने पूछताछ में हत्या की साजिश को कबूल किया और बताया कि शेरू ने पुरुलिया जेल से ही इस वारदात को अंजाम देने के निर्देश दिए थे।

जमीन विवाद का भी कनेक्शन

जांच में यह भी सामने आया कि हत्याकांड के पीछे एक 14 कट्ठा जमीन का विवाद भी था, जिसकी कीमत 1.5 करोड़ रुपये से अधिक थी। चंदन मिश्रा इस जमीन से जुड़े मामलों में सक्रिय था, जिसने शेरू और उसके गिरोह को और भड़काया। यह विवाद उनकी पुरानी दुश्मनी को और हवा दे गया।

पुलिस की कार्रवाई और सस्पेंशन

इस हत्याकांड ने पटना पुलिस की लापरवाही को भी उजागर किया। शास्त्रीनगर थाने के 5 पुलिसकर्मियों, जिनमें एक सब-इंस्पेक्टर, दो असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर, और दो कांस्टेबल शामिल थे, को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा, गांधी मैदान थाने के एक सब-इंस्पेक्टर को ड्यूटी से गायब रहने के कारण सस्पेंड किया गया।

बिहार STF और कोलकाता पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में शूटरों को पकड़ा गया। पुलिस ने एक अपाचे बाइक, तीन मोबाइल फोन, और 10 हथियार बरामद किए, जो इस हत्याकांड में इस्तेमाल हुए थे।

अस्पताल प्रशासन पर भी सवाल

चंदन मिश्रा के पिता ने पारस अस्पताल प्रशासन और एक डॉक्टर पिंटू कुमार सिंह पर हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है। उनके मुताबिक, अस्पताल की लापरवाही के कारण ही शूटर इतनी आसानी से चंदन के कमरे तक पहुंच सके। इस मामले में शास्त्रीनगर थाने में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

यह हत्याकांड हमें क्या सिखाता है?

चंदन मिश्रा हत्याकांड केवल एक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि यह दोस्ती, विश्वासघात, प्रेम, और बदले की भावना का एक दुखद मिश्रण है। यह घटना हमें कई सबक देती है:

  • जातीय टकराव का असर: सामाजिक और पारिवारिक नियमों का टकराव कई बार हिंसक रूप ले सकता है।
  • अपराध की दुनिया की सजा: अपराध की राह चुनने वालों का अंत अक्सर दुखद होता है।
  • सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल: अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है।
वीडियो देखें

चंदन मिश्रा हत्याकांड बिहार के अपराध इतिहास में एक ऐसी कहानी है, जो दोस्ती से शुरू होकर प्यार और बदले की आग में खत्म हुई। शेरू सिंह और चंदन मिश्रा, जो कभी बक्सर की गलियों में आतंक का पर्याय थे, आज एक-दूसरे के खात्मे का कारण बन गए। पुलिस की जांच अभी जारी है, और उम्मीद है कि इस मामले की बाकी कड़ियां भी जल्द सामने आएंगी। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि अपराध और हिंसा का रास्ता कितना खतरनाक हो सकता है। क्या यह हत्याकांड बिहार के अपराध जगत में एक नया मोड़ लाएगा? यह देखना बाकी है।


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