बिहार के बक्सर जिले में रविवार, 10 अगस्त 2025 को एक महत्वपूर्ण समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें बिहार राज्य इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट (IESM) ने जिला मुख्यालय स्थित शहीद स्मारक पर बक्सर के वीर शहीदों के नाम दर्ज करने की जोरदार मांग उठाई। इस समारोह में पूर्व सैनिकों ने 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 व 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बलिदान देने वाले 16 रणबांकुरों को अमर करने की अपील की। उन्होंने प्रशासन से 15 अगस्त 2025, स्वतंत्रता दिवस से पहले शहीद स्मारक पर शिलापट्ट स्थापित करने की मांग की, ताकि इन वीरों की शहादत को सम्मान मिले और युवा पीढ़ी उनके बलिदान से प्रेरणा ले सके। इस लेख में हम इस मांग और समारोह की पूरी जानकारी सरल हिंदी में दे रहे हैं।

शहीद स्मारक पर नाम दर्ज करने की मांग
बक्सर जिला मुख्यालय के शहीद स्मारक पर आयोजित समारोह में इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट (IESM) के पूर्व सैनिकों ने एक स्वर में मांग की कि जिले के उन 16 वीर शहीदों के नाम शहीद स्मारक पर शिलापट्ट में अंकित किए जाएं, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। इन शहीदों ने 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 व 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने साहस और बलिदान से बक्सर का नाम रोशन किया।
पूर्व सैनिकों ने बताया कि इन शहीदों के नाम शिलापट्ट पर पहले से ही तैयार किए जा चुके हैं, और अब केवल उन्हें शहीद स्मारक पर स्थापित करने की प्रक्रिया बाकी है। IESM के जिला उपाध्यक्ष ने कहा कि यदि इन शहीदों के नाम शहीद स्मारक पर दर्ज हो जाएं, तो बक्सर आने वाला हर व्यक्ति इन वीर सपूतों की शहादत के बारे में जान सकेगा। इससे न केवल शहीदों को सम्मान मिलेगा, बल्कि युवा पीढ़ी भी उनके बलिदान से प्रेरित होगी और देशभक्ति की भावना को आत्मसात करेगी।
15 अगस्त से पहले शिलापट्ट स्थापित करने की अपील
पूर्व सैनिकों ने जिला प्रशासन से विशेष आग्रह किया कि स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 2025) से पहले शहीद स्मारक पर शिलापट्ट स्थापित कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जब लोग शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचेंगे, तो वे इन वीर शहीदों के बलिदान से परिचित हो सकेंगे। यह कदम न केवल बक्सर के गौरव को बढ़ाएगा, बल्कि पूरे जिले में देशभक्ति की भावना को और मजबूत करेगा।
IESM के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, “हमारे शहीदों ने देश के लिए अपनी जान दी, लेकिन उनकी शहादत को वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार हैं। शिलापट्ट स्थापित करना उनकी शहादत को अमर करने का एक छोटा सा प्रयास है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह मांग पूरे बक्सर जिले की भावनाओं से जुड़ी है और इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।

समारोह का आयोजन और भावनात्मक माहौल
जिला मुख्यालय के शहीद स्मारक पर आयोजित इस समारोह में सैकड़ों पूर्व सैनिकों और स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया। समारोह की अध्यक्षता IESM के जिला अध्यक्ष ने की, जबकि मंच संचालन जिला उपाध्यक्ष ने किया। इस दौरान पूर्व सैनिकों ने भारत माता की जय और सैनिक एकता जिंदाबाद के नारे लगाए, जिससे पूरा वातावरण देशभक्ति से गूंज उठा।
कार्यक्रम में मौजूद एक अन्य वरिष्ठ पूर्व सैनिक ने कहा कि बक्सर के इन 16 शहीदों ने न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए बलिदान दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक इन वीरों के नाम शहीद स्मारक पर दर्ज नहीं हो जाते, तब तक उनका अभियान जारी रहेगा। समारोह में उपस्थित लोगों ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
बक्सर के शहीदों का गौरव
बक्सर का इतिहास हमेशा से वीरता और बलिदान से भरा रहा है। 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 व 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बक्सर के 16 रणबांकुरों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इन शहीदों ने न केवल बक्सर, बल्कि पूरे बिहार और भारत का मान बढ़ाया। उनकी शहादत आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
पूर्व सैनिकों ने बताया कि इन शहीदों में से कई ने अत्यंत विषम परिस्थितियों में देश की रक्षा की। कुछ शहीदों के परिवार आज भी बक्सर में रहते हैं और उनकी स्मृति को जीवित रखने के लिए यह शिलापट्ट स्थापित करना जरूरी है। IESM ने जिला प्रशासन से मांग की कि शहीदों के नाम और उनके बलिदान की कहानियों को शहीद स्मारक पर तैल चित्रों के साथ प्रदर्शित किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके योगदान को जान सकें।
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जिला प्रशासन से अपील
इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट ने जिला प्रशासन से अपील की कि वह इस मांग को प्राथमिकता दे और शहीद स्मारक पर शिलापट्ट स्थापित करने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करे। पूर्व सैनिकों ने बताया कि इस संबंध में सारी औपचारिकताएं पहले ही पूरी की जा चुकी हैं, और अब केवल प्रशासनिक मंजूरी और कार्यान्वयन की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि शहीद स्मारक पर शहीदों के नाम दर्ज करना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि पूरे बक्सर जिले की भावनाओं और गौरव से जुड़ा मामला है। यह कदम शहीदों के परिवारों को सम्मान देने के साथ-साथ जिले की युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना को और मजबूत करेगा।
शहीद स्मारक का महत्व
बक्सर का शहीद स्मारक जिले का एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां लोग स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, और कारगिल विजय दिवस जैसे अवसरों पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचते हैं। यह स्मारक देश के लिए बलिदान देने वाले वीर सपूतों की स्मृति को जीवित रखता है। पूर्व सैनिकों का कहना है कि अगर इस स्मारक पर बक्सर के 16 शहीदों के नाम दर्ज हो जाएं, तो यह स्थल और भी गौरवमयी बन जाएगा।
पिछले कुछ वर्षों में बक्सर में शहीद स्मारकों को लेकर कई प्रयास हुए हैं। उदाहरण के लिए, भदवर मोड़ पर बने शहीद स्मारक पर 49 शहीदों के नाम की सूची पहले ही लगाई जा चुकी है। इसी तरह, कारगिल विजय दिवस पर रेड क्रॉस सोसाइटी और रोटरी क्लब ने शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी। इन प्रयासों से प्रेरित होकर IESM ने अब बक्सर के 16 शहीदों के नाम स्थायी रूप से दर्ज करने की मांग को और तेज कर दिया है।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा
पूर्व सैनिकों ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि शहीदों के नाम शहीद स्मारक पर दर्ज करने से युवा पीढ़ी को उनके बलिदान की कहानियां जानने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को यह समझना जरूरी है कि देश की आजादी और सुरक्षा के लिए कितने बड़े बलिदान दिए गए हैं। शहीद स्मारक पर शिलापट्ट स्थापित होने से न केवल शहीदों को सम्मान मिलेगा, बल्कि युवाओं में देशभक्ति और कर्तव्य की भावना भी जागृत होगी।
बक्सर के शहीद स्मारक पर 16 वीर शहीदों के नाम दर्ज करने की मांग ने जिले में देशभक्ति की एक नई लहर पैदा कर दी है। इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट (IESM) के इस प्रयास ने बक्सर के उन रणबांकुरों की शहादत को सम्मान देने का रास्ता खोला है, जिन्होंने 1962, 1965, और 1971 के युद्धों में अपने प्राणों की आहुति दी। 15 अगस्त 2025 से पहले शिलापट्ट स्थापित करने की अपील न केवल शहीदों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है, बल्कि बक्सर के गौरव और युवा पीढ़ी की प्रेरणा का भी स्रोत बनेगी। यह अभियान पूरे जिले की भावनाओं को दर्शाता है और उम्मीद है कि जिला प्रशासन इस मांग को जल्द से जल्द पूरा करेगा।
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