बिहार के बक्सर जिले के चौसा प्रखंड के निवासी हवलदार सुनील कुमार सिंह (46) ने देश की रक्षा करते हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपने प्राण न्योछावर कर दिए। गुरुवार दोपहर उधमपुर के सैन्य अस्पताल में 22 दिन तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी शहादत की खबर से चौसा गाँव और पूरे बक्सर जिले में शोक की लहर दौड़ गई है।

हवलदार सुनील कुमार सिंह की शहादत
हवलदार सुनील कुमार सिंह, बक्सर के चौसा गाँव के एक सच्चे सपूत, ने 6 जून 2025 को उधमपुर सैन्य अस्पताल में वीरगति प्राप्त की। वे ऑपरेशन सिंदूर के तहत जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में तैनात थे, जब 9 मई 2025 की रात पाकिस्तानी ड्रोन हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए। प्राथमिक उपचार के बाद उनकी हालत बिगड़ने पर 15 मई को उन्हें एयरलिफ्ट कर उधमपुर ले जाया गया। 22 दिन तक चिकित्सकों की कोशिशों के बावजूद, उनकी चोटें घातक साबित हुईं। उनकी शहादत ने बिहार के सैन्य बलिदान की गौरवशाली परंपरा को और मजबूत किया।
ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तानी ड्रोन हमला
ऑपरेशन सिंदूर, 7 मई 2025 को शुरू हुआ एक त्रि-सेवा सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ढांचों को नष्ट करना था। यह अभियान 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, के जवाब में शुरू हुआ। सुनील कुमार सिंह राजौरी सेक्टर में तैनात थे, जब 9 मई की रात पाकिस्तानी ड्रोन ने उनकी इकाई पर हमला किया। इस हमले में कई सैनिक घायल हुए, और सुनील की हालत गंभीर हो गई।
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सैन्य सेवा: ईएमई इकाई में योगदान
सुनील कुमार सिंह ने 2002 में इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स कोर (ईएमई) में भर्ती होकर भारतीय सेना में अपनी यात्रा शुरू की। ईएमई इकाई सैन्य हथियारों, वाहनों, और उपकरणों के रखरखाव और मरम्मत की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाती है, जो युद्धक्षेत्र में सेना की कार्यक्षमता सुनिश्चित करती है। सुनील ने अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और समर्पण से इकाई की ताकत बढ़ाई। 2023 में उनकी कड़ी मेहनत और निष्ठा के लिए उन्हें हवलदार के पद पर पदोन्नति मिली। उनकी सेवा को “अटूट साहस और कर्तव्यनिष्ठा” के प्रतीक के रूप में सराहा गया।
परिवार: माँ, पत्नी, और दो बेटे
सुनील कुमार सिंह के परिवार में उनकी माँ पावढारी देवी, जो एक रिटायर्ड प्रधानाध्यापिका हैं, उनकी पत्नी, और दो बेटे—सौरभ (15) और कृषु (8) शामिल हैं। तीन भाइयों में सबसे बड़े सुनील के छोटे भाई अनिल खेती करते हैं, जबकि सबसे छोटा भाई चंदन भी भारतीय सेना में सेवारत है। उनकी शहादत ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, लेकिन उनकी माँ और पत्नी ने उनके बलिदान पर गर्व व्यक्त किया। स्थानीय समुदाय ने परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और उनके साहस को सलाम किया।
अंतिम संस्कार और सैन्य सम्मान
शहीद सुनील कुमार सिंह का पार्थिव शरीर शुक्रवार, 7 जून 2025 की देर शाम तक उनके पैतृक गाँव चौसा पहुँचने की उम्मीद है। स्थानीय प्रशासन और सैन्य अधिकारी उनके अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुटे हैं, जो पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा। गाँव के लोग और स्थानीय नेता इस अवसर पर शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र होंगे। बक्सर प्रशासन शहीद के परिवार को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

स्थानीय ग्रामीणों की माँग
चौसा गाँव के लोगों ने सरकार से शहीद सुनील कुमार सिंह के बलिदान को उचित सम्मान देने और उनके परिवार को समुचित सहायता प्रदान करने की माँग की है। ग्रामीणों ने माँग की है कि:
- परिवार को आर्थिक सहायता और पेंशन प्रदान की जाए।
- सुनील के बेटों की शिक्षा और भविष्य के लिए विशेष प्रावधान हो।
- गाँव में उनकी स्मृति में एक स्मारक बनाया जाए।
बक्सर के जिला प्रशासन ने परिवार को सहायता का आश्वासन दिया है, और सैन्य अधिकारियों ने कहा कि शहीद के सम्मान में सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। ग्रामीणों के द्वारा यह माँग बक्सर में बढ़ती देशभक्ति और सामुदायिक एकजुटता का प्रतीक बताया।

बक्सर का गौरव: सुनील की वीरता
हवलदार सुनील कुमार सिंह की शहादत ने बक्सर के गौरव को और बढ़ाया है। चौसा गाँव, जो पहले से ही कई सैनिकों का गढ़ रहा है, अब सुनील की वीरता की कहानी से प्रेरित है। उनकी कहानी युवाओं को सेना में शामिल होने और देश की सेवा करने के लिए प्रेरित कर रही है। उनकी वीरता बिहार की सैन्य परंपरा को और मजबूत करती है।
हवलदार सुनील कुमार सिंह की शहादत बक्सर और पूरे देश के लिए एक अमर कहानी है। उनका बलिदान हमें याद दिलाता है कि भारत की सुरक्षा उन वीर सपूतों के कंधों पर टिकी है, जो अपनी जान की परवाह किए बिना मातृभूमि की रक्षा करते हैं। बक्सर के लोग और पूरा देश उनके परिवार के साथ खड़ा है। उनकी स्मृति को सम्मान देने के लिए, हमें उनके बलिदान से प्रेरणा लेकर देश की सेवा में योगदान देना चाहिए।
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