Banner Ads

बक्सर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जगह आंबेडकर को पुष्पांजलि! सोशल मीडिया पर बवाल

buxar-ambedkar-pushpanjali-shyama-prasad-mukherjee
Advertisements
Join Now
Subscribe

बिहार के बक्सर जिले में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 72वीं पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में एक अप्रत्याशित घटना ने सबका ध्यान खींचा। भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि देने के बजाय डॉ. भीम राव आंबेडकर की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। यह गलती सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसके बाद यूजर्स ने हंसी, तंज, और गंभीर सवाल उठाए।

Advertisements

गलत तस्वीर का मामला

23 जून 2025 को बक्सर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 72वीं पुण्यतिथि पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कई महिलाएँ शामिल हुईं, और स्थानीय नेताओं ने मुखर्जी के राष्ट्रवादी योगदान पर प्रकाश डाला। लेकिन एक तस्वीर ने सबका ध्यान खींचा, जिसमें कार्यकर्ता डॉ. भीम राव आंबेडकर की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित करते दिखे। तस्वीर के साथ कैप्शन में डॉ. मुखर्जी की पुण्यतिथि का उल्लेख था, जिसने इसे और विवादास्पद बना दिया। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई, और यूजर्स ने इसे लापरवाही या जानबूझकर की गई गलती करार दिया।

Join Now
Advertisements

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि: उद्देश्य

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (1901-1953), भारतीय जनसंघ के संस्थापक, ने जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, और असम को भारत का हिस्सा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी मृत्यु 23 जून 1953 को कश्मीर में रहस्यमय परिस्थितियों में हुई, जिसे भाजपा “बलिदान” मानती है। बक्सर में आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य उनके कश्मीर एकीकरण और अनुच्छेद 370 के खिलाफ संघर्ष को याद करना था। कार्यक्रम में वृक्षारोपण, पुष्पांजलि, और उनके विचारों पर चर्चा शामिल थी।

Advertisements

डॉ. भीम राव आंबेडकर: गलती से श्रद्धांजलि?

डॉ. भीम राव आंबेडकर (1891-1956), भारतीय संविधान के निर्माता और दलित अधिकारों के प्रबल समर्थक, एक ऐसी शख्सियत हैं जिनका योगदान हर भारतीय के लिए प्रेरणास्पद है। उनकी तस्वीर का इस कार्यक्रम में उपयोग एक भूल थी, क्योंकि यह उनकी जयंती (14 अप्रैल) या पुण्यतिथि (6 दिसंबर) का अवसर नहीं था। यह गलती आयोजकों की जल्दबाजी या असावधानी को दर्शाती है। कुछ यूजर्स ने इसे आंबेडकर के सम्मान के रूप में देखा, जबकि अन्य ने इसे मुखर्जी की विरासत का अपमान माना।

Advertisements

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ: हंसी से लेकर विवाद तक

सोशल मीडिया पर इस तस्वीर ने तीव्र प्रतिक्रियाएँ जन्म दीं। एक यूजर ने लिखा, “OMG, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर आंबेडकर जी की तस्वीर? ये कैसे हो गया!” एक अन्य ने तंज कसा, “मैडम, आंबेडकर की फोटो लगाकर मुखर्जी का बलिदान दिवस मना लिया?” कुछ यूजर्स ने इसे मजाक में लिया, जबकि अन्य ने भाजपा पर लापरवाही का आरोप लगाया। एक यूजर ने लिखा, “दोनों महापुरुष हैं, लेकिन आयोजकों को सावधानी बरतनी चाहिए।” यह विवाद #BuxarNews और #AmbedkarPhoto जैसे हैशटैग के साथ ट्रेंड करने लगा।

Follow Us
Advertisements

भाजपा की चुप्पी: क्या कहते हैं आयोजक?

बक्सर भाजपा इकाई ने इस गलती पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। सूत्रों के अनुसार, तस्वीर स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा जल्दबाजी में साझा की गई थी। कुछ नेताओं ने इसे “मानवीय भूल” बताया और कहा कि दोनों नेताओं का सम्मान समान है। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे भाजपा की संगठनात्मक कमजोरी और ऐतिहासिक शख्सियतों के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया। इस चुप्पी ने विवाद को और हवा दी।

Advertisements

सामाजिक और राजनीतिक निहितार्थ

यह घटना केवल एक गलत तस्वीर तक सीमित नहीं है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और डॉ. भीम राव आंबेडकर दोनों भारत के महान नेता हैं, लेकिन उनकी विचारधाराएँ अलग-अलग हैं। मुखर्जी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण भाजपा की मूल विचारधारा से जुड़ा है, जबकि आंबेडकर सामाजिक न्याय और समानता के प्रतीक हैं। इस गलती ने दोनों नेताओं के अनुयायियों के बीच गलतफहमी पैदा करने का जोखिम बढ़ाया। बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में, जहाँ दलित वोट महत्वपूर्ण हैं, यह घटना राजनीतिक बहस का विषय बन सकती है।

Advertisements
Book Your Ads With Jansanchar Bharat

सावधानी की जरूरत

बक्सर में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर डॉ. भीम राव आंबेडकर की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित करना एक ऐसी गलती है, जो आयोजकों की लापरवाही को दर्शाती है। यह घटना सोशल मीडिया की ताकत और सार्वजनिक छवि के लिए सटीकता की महत्ता को उजागर करती है। भाजपा को भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए बेहतर समन्वय और सावधानी बरतनी होगी। यह मामला हमें याद दिलाता है कि ऐतिहासिक शख्सियतों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रमों में सतर्कता अनिवार्य है।

Advertisements

Discover more from Jansanchar Bharat

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

You cannot copy content of this page

Discover more from Jansanchar Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading