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बिहार की बेटी ने माउंट एल्ब्रस पर फहराया तिरंगा, भागलपुर की नमिता ने रचा कीर्तिमान

Bihar Namita Mount Elbrus
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बिहार के भागलपुर की बेटी नमिता ने यूरोप की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एल्ब्रस पर तिरंगा फहराकर देश और बिहार का नाम रोशन किया है। पेशे से पटना में बैंक मैनेजर नमिता ने अपनी इस उपलब्धि से न केवल एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

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माउंट एल्ब्रस पर तिरंगा

माउंट एल्ब्रस, जो रूस के कॉकस पर्वतमाला में स्थित है, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 5,642 मीटर (18,510 फीट) है, और इसे फतह करना किसी भी पर्वतारोही के लिए एक बड़ी चुनौती है। नमिता ने इस कठिन चढ़ाई को पूरा कर भारत का तिरंगा इस चोटी पर लहराया, जिसने न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया।

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नमिता ने अपनी इस यात्रा में कई कठिनाइयों का सामना किया, जिसमें ठंडी हवाएं, कम ऑक्सीजन और खतरनाक रास्ते शामिल थे। लेकिन उनकी मेहनत और जज्बे ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। यह उपलब्धि बिहार की बेटियों के लिए एक प्रेरणा है, जो सपनों को सच करने की हिम्मत रखती हैं।

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नमिता की पृष्ठभूमि

भागलपुर की रहने वाली नमिता वर्तमान में पटना में एक बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। अपनी व्यस्त नौकरी के बावजूद, उन्होंने पर्वतारोहण के अपने जुनून को कभी कम नहीं होने दिया। नमिता ने इस कठिन लक्ष्य को हासिल करने के लिए महीनों तक कठिन प्रशिक्षण लिया और अपनी शारीरिक और मानसिक तैयारी को मजबूत किया।

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उनके परिवार और दोस्तों ने बताया कि नमिता हमेशा से साहसिक कार्यों की ओर आकर्षित रही हैं। पर्वतारोहण में उनकी रुचि ने उन्हें माउंट एल्ब्रस जैसे चुनौतीपूर्ण लक्ष्य की ओर प्रेरित किया। उनकी इस उपलब्धि ने भागलपुर और बिहार के लोगों में गर्व की भावना पैदा की है।

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चुनौतीपूर्ण चढ़ाई का अनुभव

माउंट एल्ब्रस की चढ़ाई बेहद जोखिम भरी होती है। इस चोटी पर चढ़ने के लिए पर्वतारोहियों को अत्यधिक ठंड, तेज हवाओं और कम ऑक्सीजन स्तर का सामना करना पड़ता है। नमिता ने अपनी इस यात्रा के लिए विशेष प्रशिक्षण लिया, जिसमें फिटनेस, हाई-एल्टीट्यूड ट्रेनिंग और पर्वतारोहण की तकनीकों का अभ्यास शामिल था।

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उन्होंने अपनी चढ़ाई की शुरुआत रूस के कॉकस क्षेत्र से की और कई दिनों तक कठिन परिस्थितियों में डटकर मुकाबला किया। नमिता ने बताया कि शिखर पर पहुंचकर तिरंगा फहराने का क्षण उनके लिए जीवन का सबसे गौरवपूर्ण पल था। इस उपलब्धि ने उन्हें और बिहार की बेटियों को यह विश्वास दिलाया कि मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

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बिहार के लिए गर्व का पल

नमिता की इस उपलब्धि ने बिहार के लोगों में खुशी और गर्व की लहर दौड़ा दी है। भागलपुर और पटना के स्थानीय लोगों ने उनकी इस उपलब्धि की खुलकर सराहना की। कई लोगों ने कहा कि नमिता ने यह साबित कर दिया कि बिहार की बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।

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स्थानीय नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने भी नमिता को बधाई दी और उनकी इस उपलब्धि को बिहार की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक बताया। नमिता की इस सफलता ने बिहार के युवाओं, खासकर महिलाओं, को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

नमिता का संदेश

नमिता ने अपनी इस उपलब्धि के बाद बिहार के युवाओं को संदेश दिया कि सपने बड़े हों या छोटे, उन्हें हासिल करने के लिए मेहनत और विश्वास जरूरी है। उन्होंने कहा कि पर्वतारोहण ने उन्हें धैर्य, अनुशासन और साहस सिखाया। नमिता ने यह भी कहा कि वह अपनी इस उपलब्धि को बिहार की बेटियों को समर्पित करती हैं, जो अपने सपनों को सच करने की हिम्मत रखती हैं।

उन्होंने बिहार के युवाओं से अपील की कि वे अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहें और किसी भी चुनौती से डरें नहीं। नमिता ने यह भी बताया कि वह भविष्य में और भी ऊंची चोटियों पर चढ़ने की योजना बना रही हैं, ताकि बिहार और भारत का नाम और ऊंचा हो।

बिहार में पर्वतारोहण की बढ़ती रुचि

नमिता की इस उपलब्धि ने बिहार में पर्वतारोहण जैसे साहसिक खेलों के प्रति रुचि को और बढ़ा दिया है। हाल के वर्षों में बिहार के कई युवा और युवतियां पर्वतारोहण में हिस्सा ले रहे हैं। नमिता की इस सफलता ने इस क्षेत्र में और अधिक लोगों को प्रेरित किया है।

बिहार सरकार और खेल संगठनों से भी अपील की जा रही है कि वे पर्वतारोहण जैसे खेलों को बढ़ावा देने के लिए और संसाधन उपलब्ध कराएं। नमिता की इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि बिहार के युवा किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं।

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भागलपुर की नमिता ने माउंट एल्ब्रस की चोटी पर तिरंगा फहराकर बिहार और भारत का नाम गौरवान्वित किया है। उनकी इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि मेहनत, लगन और साहस से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। पटना में बैंक मैनेजर के रूप में अपनी व्यस्त नौकरी के बावजूद नमिता ने पर्वतारोहण के अपने जुनून को जिंदा रखा और इस कठिन चोटी को फतह कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। उनकी यह उपलब्धि बिहार की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और युवाओं को अपने सपनों को सच करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।


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