चुनाव आयोग ने 1 अगस्त 2025 को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत वोटर लिस्ट का पहला ड्राफ्ट जारी किया है। इस नई सूची में राज्य के कुल मतदाताओं की संख्या में भारी कमी देखी गई है। पहले बिहार में 7.89 करोड़ मतदाता थे, लेकिन SIR के बाद यह संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई है। यानी, करीब 65 लाख वोटर्स के नाम सूची से हटाए गए हैं। खास तौर पर शाहाबाद परिक्षेत्र, जिसमें भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास जिले शामिल हैं, में 5,08,565 वोटर्स के नाम काटे गए हैं। इस कदम ने राजनीतिक दलों और स्थानीय नेताओं में हलचल मचा दी है। कुछ नेताओं ने इसे सत्ताधारी दल की साजिश करार दिया है। आइए, इस खबर की पूरी जानकारी सरल हिंदी में जानते हैं।

SIR प्रक्रिया और वोटर लिस्ट में कमी
चुनाव आयोग ने बिहार में 24 जून 2025 से विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया था। इसका मकसद मतदाता सूची को साफ करना और केवल योग्य भारतीय नागरिकों को वोटर लिस्ट में शामिल करना था। इस प्रक्रिया के तहत मृतक, बिहार से बाहर जा चुके लोग, डुप्लिकेट पंजीकरण और अप्रवासी लोगों के नाम हटाए गए। SIR के पहले चरण में 7.24 करोड़ मतदाताओं ने गणना फॉर्म जमा किए, जो कुल मतदाताओं का 91.69% है। ड्राफ्ट लिस्ट 1 अगस्त को जारी की गई, और अब 1 सितंबर तक दावे व आपत्तियां दर्ज की जा सकती हैं। अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होगी।
शाहाबाद परिक्षेत्र में भारी संख्या में वोटर्स के नाम हटाए जाने से विवाद बढ़ गया है। इस क्षेत्र के चार जिलों—भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास—में पहले कुल 70,86,512 मतदाता थे। SIR के बाद 5,08,565 नाम हटाए गए। यह कमी स्थानीय लोगों और राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
शाहाबाद परिक्षेत्र में जिलेवार हटाए गए वोटर्स
SIR प्रक्रिया के बाद शाहाबाद परिक्षेत्र के चार जिलों में हटाए गए वोटर्स की संख्या इस प्रकार है:
जिला | कुल वोटर्स (पहले) | नाम काटे गए | बचे वोटर्स |
---|---|---|---|
भोजपुर | 22,21,986 | 1,90,832 | 20,31,154 |
बक्सर | 13,57,861 | 87,645 | 12,70,216 |
कैमूर | 12,16,242 | 73,940 | 11,42,302 |
रोहतास | 22,96,423 | 1,56,148 | 21,40,275 |
कुल | 70,86,512 | 5,08,565 | 65,77,947 |
रोहतास में सबसे ज्यादा 1,56,148 वोटर्स के नाम कटे, जबकि कैमूर में सबसे कम 73,940 नाम हटाए गए। भोजपुर और बक्सर में भी क्रमशः 1,90,832 और 87,645 वोटर्स की कमी दर्ज की गई। यह आंकड़ा क्षेत्र में मतदाता सूची की व्यापक सफाई को दर्शाता है।
राजनीतिक विवाद और आरोप
शाहाबाद परिक्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में वोटर्स के नाम हटाए जाने पर स्थानीय नेताओं ने कड़ा विरोध जताया है। बक्सर के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इसे सत्ताधारी दल की साजिश बताया और कहा कि यह कदम विपक्ष के समर्थकों को वोटिंग से रोकने की कोशिश है। उनका कहना है कि गरीब, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों के वोटर्स को जानबूझकर निशाना बनाया गया।

विपक्षी दलों, खासकर इंडिया गठबंधन (INDIA bloc) ने भी इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि SIR में आधार कार्ड, राशन कार्ड और मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार नहीं किया गया, जिससे कई योग्य मतदाताओं को परेशानी हुई। नेताओं ने यह भी पूछा कि जिन 22 लाख मतदाताओं को मृत बताया गया, उनके परिजनों से कौन से दस्तावेज लिए गए।
SIR प्रक्रिया: क्यों और कैसे?
चुनाव आयोग का कहना है कि SIR का मकसद मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना है। इसके लिए कई कारण बताए गए हैं:
- मृतक मतदाता: 12.5 लाख से ज्यादा मृतक वोटर्स के नाम सूची में थे।
- प्रवास: 17.5 लाख लोग बिहार से बाहर जा चुके हैं और अब पात्र नहीं हैं।
- डुप्लिकेट पंजीकरण: 5.5 लाख लोगों का दो जगह पंजीकरण था।
- अप्रवासी: नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के लोगों के नाम हटाए गए।
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SIR प्रक्रिया 24 जून से शुरू हुई थी, और 25 जुलाई तक मतदाताओं को गणना फॉर्म जमा करना था। जिन लोगों ने फॉर्म जमा नहीं किया, उनके नाम ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं हुए। हालांकि, आयोग ने कहा है कि 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करके नाम जोड़े जा सकते हैं।
जनता और विपक्ष की चिंताएं
शाहाबाद परिक्षेत्र के लोगों में इस बड़े बदलाव को लेकर भ्रम और डर का माहौल है। कई मतदाताओं ने शिकायत की है कि उनके नाम 2024 की वोटर लिस्ट में थे, लेकिन अब वे गायब हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “मैंने 2024 में वोट दिया था, लेकिन अब मेरा नाम लिस्ट में नहीं है। हमें बताया ही नहीं गया कि नाम क्यों कटा।”
विपक्षी नेताओं ने भी आयोग से सवाल किया है कि बिना नोटिस के इतने सारे नाम कैसे हटाए गए। उनका कहना है कि अगर किसी का नाम हटाया जाता है, तो उसे नोटिस देना अनिवार्य है। इसके बावजूद, कई मतदाताओं को कोई जानकारी नहीं दी गई।
सुप्रीम कोर्ट में मामला
SIR प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया मनमानी और असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2025 को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों को स्वीकार करने की सलाह दी थी। मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है।
क्या कर सकते हैं मतदाता?
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि 1 अगस्त की ड्राफ्ट लिस्ट अंतिम नहीं है। मतदाता 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं। अगर आपका नाम सूची से हटाया गया है, तो निम्नलिखित कदम उठाएं:
- नाम जांचें: ceoelection.bihar.gov.in पर अपनी वोटर लिस्ट जांचें।
- दावे और आपत्तियां: अपने बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) से संपर्क करें और फॉर्म 6 जमा करें।
- दस्तावेज: पासपोर्ट, आधार, राशन कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र या अन्य वैध दस्तावेज जमा करें।
- हेल्पलाइन: बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से संपर्क करें।
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बिहार में SIR प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट में 65 लाख की कमी और शाहाबाद परिक्षेत्र में 5 लाख से ज्यादा नाम हटाए जाने से राजनीतिक और सामाजिक हलचल मच गई है। भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास के मतदाताओं में भ्रम और असंतोष है। चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए जरूरी थी, लेकिन विपक्ष इसे मतदाताओं को वंचित करने की साजिश बता रहा है। मतदाताओं को सलाह है कि वे अपनी स्थिति जांचें और समय रहते दावे दर्ज करें। यह मामला बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले और गर्माने वाला है।
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