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9 जुलाई को बिहार में होगा चक्का जाम: राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में INDIA गठबंधन का बिहार बंद

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पटना, बिहार – बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। 9 जुलाई 2025 को बिहार की सड़कों पर जनता का सैलाब उतरेगा, जब INDIA गठबंधन के नेतृत्व में एक राज्यव्यापी बिहार बंद और चक्का जाम का आयोजन किया जाएगा। इस आंदोलन की अगुवाई लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव करेंगे। यह बंद चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और बिहार में कथित ‘गुंडा राज’ के खिलाफ एक मजबूत जन-आंदोलन के रूप में उभर रहा है।

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वोटबंदी के खिलाफ जनता की हुंकार

चुनाव आयोग द्वारा 24 जून 2025 को शुरू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत बिहार के करीब 8 करोड़ मतदाताओं को अपनी नागरिकता और पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे। इस प्रक्रिया को विपक्ष ने ‘वोटबंदी’ करार दिया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि यह गरीब, दलित, पिछड़े, अति-पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के मताधिकार को छीनने की साजिश है। तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह वोटबंदी लोकतंत्र पर हमला है। चुनाव आयोग और सरकार की नीतियां बिहार के गरीबों और वंचितों के वोट के अधिकार को खतरे में डाल रही हैं। हम सड़कों पर उतरकर इस साजिश का जवाब देंगे।”

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राहुल गांधी, जो हाल के महीनों में बिहार में कई बार दौरा कर चुके हैं, इस बंद में शामिल होकर जनता की आवाज को और बुलंद करेंगे। उन्होंने इस मुद्दे को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है और कहा, “जब वोटर लिस्ट से लोगों के नाम गायब हों, जब लोकतंत्र को डराकर चुप कराने की कोशिश हो, तो चुप रहना भी साजिश का हिस्सा है। बिहार अब चुप नहीं रहेगा।”

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बिहार बंद: एक ऐतिहासिक आंदोलन

9 जुलाई को होने वाला यह बिहार बंद केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि बिहार की जनता की एकता और ताकत का प्रतीक है। INDIA गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, RJD, और वामपंथी दल जैसे CPI(M-L) शामिल हैं, ने इस आंदोलन को व्यापक स्तर पर आयोजित करने की तैयारी की है। पटना में राहुल गांधी की अगुवाई में एक बड़ा राजभवन मार्च होने की संभावना है, जिसमें गठबंधन के नेता राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे। इसके अलावा, पूरे बिहार में चक्का जाम और विरोध प्रदर्शन होंगे, जिसमें कांग्रेस और RJD के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम जनता भी हिस्सा लेगी।

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CPI(M-L) के बिहार सचिव कुणाल ने इस प्रक्रिया की तुलना नोटबंदी से करते हुए इसे ‘वोटबंदी’ बताया और कहा, “1995 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग किसी से नागरिकता का प्रमाण नहीं मांग सकता, लेकिन SIR के नाम पर ऐसा ही किया जा रहा है। यह गरीब और प्रवासी मतदाताओं को वोट से वंचित करने की साजिश है।”

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बिहार की सियासत में क्यों है उबाल?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, और SIR का यह मुद्दा सियासी तौर पर गर्म हो चुका है। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया जानबूझकर चुनाव से ठीक पहले शुरू की गई है ताकि विपक्षी मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकें। दूसरी ओर, सत्ताधारी NDA इसे राजनीतिक नौटंकी करार दे रही है। बीजेपी सांसद रवि शंकर प्रसाद ने कहा, “यह विपक्ष का राजनीतिक ड्रामा है। बिहार को इस समय शांति की जरूरत है, न कि तनाव की।”

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हालांकि, विपक्ष का दावा है कि SIR की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है, और यह बिहार के 7.89 करोड़ मतदाताओं, खासकर उत्तर बिहार के बाढ़ प्रभावित जिलों जैसे सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया, कटिहार, पूर्णिया और किशनगंज के प्रवासी मतदाताओं के लिए भारी असुविधा पैदा कर रही है।

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INDIA गठबंधन की रणनीति

INDIA गठबंधन इस बंद को बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन के रूप में देख रहा है। गठबंधन की रणनीति में सामाजिक न्याय, कल्याणकारी योजनाओं का वादा, और ‘बिहारी गौरव’ को केंद्र में रखा गया है। गठबंधन का दावा है कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियां बिहार के लोगों के खिलाफ हैं, और SIR जैसी प्रक्रियाएं लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास हैं।

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इसके साथ ही, यह बंद केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के साथ भी जुड़ा हुआ है, जिसमें 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी सरकार की मजदूर-विरोधी और किसान-विरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल पर होंगे। INDIA गठबंधन ने इस हड़ताल को समर्थन देने का फैसला किया है, जिससे इस आंदोलन का दायरा और व्यापक हो गया है।

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जनता की भागीदारी और प्रभाव

9 जुलाई को होने वाला यह चक्का जाम बिहार में परिवहन, बैंकिंग और अन्य सेवाओं को प्रभावित कर सकता है। आयोजकों ने लोगों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में शामिल होकर अपनी आवाज बुलंद करें। सोशल मीडिया पर भी इस बंद को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। @INCBihar ने लिखा, “जब लोकतंत्र पर हमला हो, तो चुप रहना साजिश का हिस्सा है। 9 जुलाई को बिहार की सड़कों पर इंकलाब होगा!”

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स्थानीय लोगों का कहना है कि यह आंदोलन न केवल मतदाता सूची के मुद्दे को उठाएगा, बल्कि बिहार में बिगड़ती कानून-व्यवस्था और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को भी सामने लाएगा। एक स्थानीय निवासी, रमेश यादव ने कहा, “हमारी आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है। यह बंद हमारा हक मांगने का तरीका है।”

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क्या होगा इस बंद का असर?

यह बिहार बंद न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बिहार की जनता के बीच एकता और जागरूकता का भी प्रतीक है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की जोड़ी इस आंदोलन को एक नया आयाम दे रही है, जिससे नीतीश कुमार सरकार और NDA के लिए चुनौतियां बढ़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट में SIR के खिलाफ याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई होनी है, जिसके बाद इस मुद्दे पर और स्पष्टता आ सकती है।

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9 जुलाई 2025 को बिहार में होने वाला यह बंद एक ऐतिहासिक आंदोलन बनने की ओर अग्रसर है। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और INDIA गठबंधन के अन्य नेताओं की अगुवाई में यह चक्का जाम न केवल वोटबंदी के खिलाफ एक मजबूत संदेश देगा, बल्कि बिहार के लोगों को उनके हक और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट करेगा। सभी बिहारवासियों से अपील है कि वे इस आंदोलन में शामिल होकर अपनी आवाज को बुलंद करें और लोकतंत्र की इस लड़ाई का हिस्सा बनें।

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आंदोलन विवरण:

  • तारीख: 9 जुलाई 2025
  • स्थान: पूरे बिहार में, विशेष रूप से पटना
  • आयोजक: INDIA गठबंधन (कांग्रेस, RJD, और वामपंथी दल)
  • मुख्य मुद्दे: वोटबंदी, गुंडा राज, और मजदूर-किसान विरोधी नीतियां

आइए, इस ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा बनें और बिहार की आवाज को देशभर में गूंजने दें।


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