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ब्रह्मपुर पुलिस की बड़ी कामयाबी: फर्जी प्रमाणपत्र मामले में 8 साल से फरार आरोपी गिरफ्तार

hare krishna yadav
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ब्रह्मपुर थाना पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए फर्जीवाड़ा के एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी हरे कृष्ण यादव पिछले 8 वर्षों से पुलिस की पकड़ से बाहर था। यह गिरफ्तारी बक्सर कलक्ट्रेट के पास से हुई, जो फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने से जुड़े मामले में थी। आरोपी ब्रह्मपुर के कन्या मध्य विद्यालय में प्रखंड शिक्षक के पद पर कार्यरत था, लेकिन जांच में दोषी पाए जाने पर उसे बर्खास्त कर दिया गया था। पुलिस ने आरोपी से पूछताछ शुरू कर दी है।

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फर्जी प्रमाणपत्र का मामला: 2017 की घटना

यह मामला वर्ष 2017 का है, जब ब्रह्मपुर के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी करने की शिकायत की जांच की थी। जांच में हरे कृष्ण यादव दोषी पाए गए थे, जिसके बाद ब्रह्मपुर थाने में थाना कांड संख्या 83/2017 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोपी उस समय कन्या मध्य विद्यालय, ब्रह्मपुर में प्रखंड शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। जांच में पुष्टि होने के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।

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आरोपी पिछले 8 वर्षों से फरार चल रहे थे, और पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई थी। ब्रह्मपुर थानाध्यक्ष सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी की गिरफ्तारी बक्सर कलक्ट्रेट के पास से हुई, और वह अब पुलिस हिरासत में है।

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आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी

गिरफ्तार आरोपी हरे कृष्ण यादव मूल रूप से सिमरी प्रखंड के तिलक राय के डेरा थाना क्षेत्र के ग्राम तवकल राय के डेरा निवासी हैं। उनके पिता का नाम मनधीर यादव है। ब्रह्मपुर थानाध्यक्ष सुरेश कुमार सिंह ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी एक गुप्त सूचना के आधार पर हुई, और पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर उन्हें हिरासत में लिया।

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सुरेश कुमार सिंह ने आगे बताया कि आरोपी के खिलाफ कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, और उसे गुरुवार को जेल भेज दिया जाएगा। पुलिस इस मामले में आगे की जांच कर रही है, ताकि फर्जी प्रमाणपत्र से जुड़े अन्य लोगों का पता लगाया जा सके।

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जांच और पुलिस की कार्रवाई

ब्रह्मपुर पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और लंबे समय से फरार आरोपी की तलाश में जुटी रही। गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने बक्सर कलक्ट्रेट क्षेत्र में छापेमारी की और आरोपी को गिरफ्तार किया। पुलिस का मानना है कि यह गिरफ्तारी फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी हासिल करने के रैकेट पर करारा प्रहार है।

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सुरेश कुमार सिंह ने कहा, “आरोपी पिछले 8 वर्षों से फरार था, लेकिन हमारी टीम ने उसे पकड़ने में सफलता हासिल की। हम इस मामले की तह तक जाएंगे और अन्य संलिप्त लोगों को भी गिरफ्तार करेंगे।” पुलिस ने आरोपी से पूछताछ शुरू कर दी है, और उम्मीद है कि इससे फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश होगा।

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फर्जी प्रमाणपत्र का प्रभाव

फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल करना एक गंभीर अपराध है, जो न केवल सरकारी सिस्टम पर सवाल उठाता है, बल्कि योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन भी करता है। इस मामले में आरोपी हरे कृष्ण यादव ने फर्जी प्रमाणपत्र से शिक्षक की नौकरी प्राप्त की थी, जो जांच में उजागर हुआ।

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इस तरह के फर्जीवाड़े से सरकारी विभागों में विश्वास कम होता है और योग्य लोगों को अवसर नहीं मिलते। ब्रह्मपुर के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने इस मामले की जांच कर प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी को बर्खास्त किया गया।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

इस गिरफ्तारी ने बक्सर में लोगों के बीच उत्साह और राहत की भावना पैदा की है। स्थानीय लोग पुलिस की इस कार्रवाई की सराहना कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “पुलिस ने अच्छा काम किया है। फर्जीवाड़ा करने वालों को सजा मिलनी चाहिए, ताकि अन्य लोग इस तरह के अपराध से बचें।”

ब्रह्मपुर क्षेत्र में लोग इस घटना को लेकर चर्चा कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि पुलिस इस तरह के अन्य मामलों पर भी कार्रवाई करेगी।

पुलिस प्रशासन से अपेक्षाएं

बक्सर में फर्जी प्रमाणपत्र जैसे अपराधों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन से कई अपेक्षाएं हैं। लोग चाहते हैं कि पुलिस:

  • नियमित जांच अभियान चलाए।
  • फर्जी दस्तावेज बनाने वाले गिरोहों पर सख्ती बरते।
  • योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों की रक्षा करे।
  • पारदर्शी और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करे।

सुरेश कुमार सिंह ने कहा, “हम इस मामले में पूरी सख्ती बरतेंगे और अपराधियों को सजा दिलाएंगे।”

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ब्रह्मपुर पुलिस की इस कार्रवाई ने फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने वाले अपराधी को पकड़कर एक मिसाल कायम की है। आरोपी हरे कृष्ण यादव की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ चल रही जांच से उम्मीद है कि इस तरह के रैकेट का पर्दाफाश होगा। ब्रह्मपुर थानाध्यक्ष सुरेश कुमार सिंह की टीम की सक्रियता ने बक्सर में पुलिस की छवि को मजबूत किया है।

यह घटना हमें यह सिखाती है कि फर्जीवाड़ा किसी भी रूप में अस्वीकार्य है। क्या यह गिरफ्तारी बक्सर में फर्जी प्रमाणपत्र के अन्य मामलों को उजागर करेगी? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में है, जो सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता और निष्पक्षता की उम्मीद रखता है।


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