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भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार सौदा: भारतीय किसानों और खाद्य सुरक्षा पर बड़ा खतरा!

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भारत और अमेरिका के बीच भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार सौदा पर चर्चा तेज हो गई है। खबरों के अनुसार, दोनों देशों के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है, जो आगे चलकर एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में बदल सकता है। यह सौदा सभी क्षेत्रों को कवर करेगा, जिसमें शुल्क मुक्त पहुंच भी शामिल हो सकती है। हालांकि, यह कदम भारतीय किसानों, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर सकता है।

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इस समझौते के तहत अमेरिकी कृषि उत्पादों को भारतीय बाजार में बिना शुल्क के प्रवेश मिल सकता है, जो स्थानीय किसानों के लिए खतरे की घंटी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय बाजार में सस्ते आयातित उत्पादों की बाढ़ आ सकती है, जो छोटे और मझोले किसानों की आजीविका को प्रभावित करेगी। आइए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं और इसके दूरगामी परिणामों पर नजर डालते हैं।

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अमेरिकी व्यापार युद्ध का प्रभाव

अमेरिका ने 2018 में चीन, मैक्सिको और कनाडा के साथ व्यापार युद्ध शुरू किया, जिसका असर उसकी अर्थव्यवस्था पर साफ दिखाई देता है। इस युद्ध ने अमेरिकी कृषि निर्यात को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। यूएस सेंसस ब्यूरो के ट्रेड डेटा के अनुसार, 2024 में सोयाबीन निर्यात $24.5 बिलियन रहा, जो 2022 के $34.4 बिलियन से काफी कम है। इसी तरह, मक्का निर्यात 2021 के $18.6 बिलियन से घटकर 2024 में $13.9 बिलियन हो गया। गेहूं निर्यात में भी 2% की कमी आई, जो 2023 के $5.9 बिलियन से 2024 में $5.9 बिलियन पर स्थिर रहा।

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इसके अलावा, अमेरिका का कृषि व्यापार घाटा 2023 के $16.7 बिलियन से बढ़कर 2024 में $31.8 बिलियन हो गया। यह वृद्धि बताती है कि अमेरिकी कृषि उत्पादों की मांग में कमी आई है, खासकर चीन जैसे बड़े बाजारों से। चीन अमेरिकी कृषि निर्यात का 17% हिस्सा था, लेकिन व्यापार युद्ध के कारण यह रिश्ता कमजोर हुआ। नतीजतन, अमेरिका अब नए बाजारों, जैसे भारत, की तलाश में है।

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कृषि निर्यात में गिरावट और संकट

अमेरिकी व्यापार युद्ध ने गेहूं, मक्का, सूअर का मांस, चिकन, सोयाबीन और दूध उत्पादों का भंडारण बढ़ा दिया है। चीन के साथ संबंधों में आई दरार ने अमेरिका को अपने अतिरिक्त उत्पादों को कहीं और बेचने के लिए मजबूर किया है। भारत, जो एक विशाल उपभोक्ता बाजार है, अमेरिका के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया है। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या भारत को इस सौदे से फायदा होगा या नुकसान?

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अमेरिकी किसानों को भारी सब्सिडी मिलती है, जिससे उनके उत्पाद सस्ते हो जाते हैं। अगर भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार सौदा के तहत शुल्क मुक्त पहुंच मिलती है, तो भारतीय बाजार में अमेरिकी सोयाबीन, मक्का और डेयरी उत्पाद सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगे। यह स्थिति भारतीय किसानों के लिए प्रतिस्पर्धा को कठिन बना सकती है, जिनके पास छोटी जोत और सीमित संसाधन हैं।

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भारतीय किसानों पर संभावित असर

भारत में कृषि क्षेत्र 1.4 अरब आबादी के लगभग आधे हिस्से का सहारा है, जो अर्थव्यवस्था में 16% योगदान देता है। छोटे और मझोले किसान, जिनकी औसत जोत 1.08 हेक्टेयर है, अमेरिकी किसानों (जिनकी औसत जोत 187 हेक्टेयर है) के साथ मुकाबला करने में सक्षम नहीं होंगे। अमेरिकी उत्पादों की सस्ती कीमतें स्थानीय बाजार में मांग को कम कर सकती हैं, जिससे किसानों की आय प्रभावित होगी।

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2010 में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) बैंगन की खेती पर रोक और 2020-21 के किसान आंदोलन इस बात के प्रमाण हैं कि भारतीय किसान अपनी आजीविका और खाद्य सुरक्षा को लेकर संवेदनशील हैं। अगर भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार सौदा GM फसलों जैसे सोयाबीन और मक्का की अनुमति देता है, तो यह पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है।

खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था

खाद्य सुरक्षा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। डेयरी क्षेत्र, जिसमें 8 करोड़ से अधिक लोग कार्यरत हैं, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। अमेरिका में डेयरी उत्पादों के लिए पशुओं को पशु-आधारित चारा खिलाया जाता है, जो भारतीय खाद्य आदतों और धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है। अगर डेयरी उत्पादों पर शुल्क हटता है, तो स्थानीय डेयरी उद्योग को नुकसान हो सकता है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जो कृषि पर निर्भर है, भी इस सौदे से प्रभावित होगी। सस्ते आयात से कीमतों में कमी आएगी, लेकिन इससे किसानों की आय घटेगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी बढ़ने का खतरा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस सौदे में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि भारतीय हितों की रक्षा हो सके।

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चीन के साथ व्यापार युद्ध का सबक

चीन के साथ अमेरिकी व्यापार युद्ध से सबक लिया जा सकता है। 2018 के बाद से चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों का आयात कम कर दिया, जिससे अमेरिका को अपने भंडार को संभालने के लिए सब्सिडी बढ़ानी पड़ी। अगर भारत भी इसी रास्ते पर चलता है, तो वह अमेरिकी उत्पादों के लिए एक डंपिंग ग्राउंड बन सकता है। यह स्थिति भारतीय किसानों के लिए विनाशकारी हो सकती है, जैसा कि 2020-21 के किसान आंदोलन में देखा गया था।

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भविष्य की राह: क्या करें भारत?

भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार सौदा को लेकर भारत को अपनी “रेड लाइन्स” बनाए रखने की जरूरत है, खासकर कृषि और डेयरी क्षेत्र में। सरकार को किसानों के साथ विचार-विमर्श कर नीतियां बनानी चाहिए। साथ ही, GM फसलों और डेयरी उत्पादों पर सख्त नियम लागू करने की जरूरत है।

बाहरी संसाधनों के अनुसार, भारत सरकार की वेबसाइट और खाद्य सुरक्षा पर रिपोर्ट इस मुद्दे पर और जानकारी दे सकते हैं। साथ ही, हमारी अर्थव्यवस्था सेक्शन में इस विषय पर और लेख पढ़ें।

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भारत-अमेरिका अंतरिम व्यापार सौदा एक दोधारी तलवार है। यह व्यापारिक संबंधों को मजबूत कर सकता है, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारतीय किसानों और खाद्य सुरक्षा की रक्षा के लिए संतुलित नीति जरूरी है। क्या भारत इस चुनौती से निपटने में सफल होगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।

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