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व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ता बबन सिंह चौहान के निधन से शोक की लहर, अधिवक्ता संघ ने की बड़ी मांगें

Civil Court Buxar
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बक्सर जिले के व्यवहार न्यायालय में एक दुखद खबर ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। सोमवार को अधिवक्ता बबन सिंह चौहान का आकस्मिक निधन हो गया, जिससे जिले के अधिवक्ता समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई। मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं ने उनके सम्मान में नो-वर्क का निर्णय लिया और न्यायिक कार्यों से खुद को अलग रखा। यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत नुकसान है, बल्कि पूरे कानूनी बिरादरी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। आइए, इस दुखद घटना और इसके बाद उठी मांगों को करीब से समझते हैं।

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शोक की गहरी छाया

बबन सिंह चौहान, जो सदर प्रखंड के जगदीशपुर गांव के रहने वाले थे, लंबे समय से व्यवहार न्यायालय में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनके निधन की खबर सुनते ही अधिवक्ता संघ के महासचिव विंदेश्वरी पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय ने मंगलवार को कोर्ट में नो-वर्क की घोषणा की। पप्पू पांडेय ने बताया, “बबन भाई हमारे बीच एक मजबूत कड़ी थे। उनके जाने से हम सबको गहरा दुख हुआ है।” उनकी आंखों में नमी और आवाज में दर्द साफ झलक रहा था, जो इस नुकसान की गहराई को बयान करता है।

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स्थानीय अधिवक्ता रामकिशुन चौबे, जो बबन सिंह के साथ कई सालों से काम कर रहे थे, कहते हैं, “वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। उनका हंसता चेहरा अब याद आता है।” यह बात उनके व्यक्तित्व और साथी अधिवक्ताओं के प्रति उनके लगाव को दिखाती है। मंगलवार को कोर्ट परिसर में शोकमग्न माहौल था, जहां अधिवक्ताओं ने एक-दूसरे को सांत्वना दी।

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अधिवक्ता समुदाय का एकजुट प्रदर्शन

बबन सिंह चौहान के निधन के बाद अधिवक्ता संघ ने न सिर्फ शोक जताया, बल्कि इस घटना को एक सबक के रूप में लिया। संघ के अध्यक्ष बबन ओझा ने मृतक के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए सरकार से कुछ ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक अधिवक्ता का निधन नहीं, बल्कि हमारी सुरक्षा और सम्मान की लड़ाई है।” उनकी मांगों में अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना, मृतक के आश्रितों को 50 लाख रुपये का मुआवजा, और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देना शामिल है।

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यह मांग तब और गंभीर हो गई जब अधिवक्ताओं ने पटना में एक अन्य अधिवक्ता की हालिया हत्या का जिक्र किया। बबन ओझा ने बताया, “पटना की घटना ने हमें झकझोर दिया है। अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो हम मजबूर होकर आंदोलन करेंगे।” इस बयान से साफ है कि अधिवक्ता समुदाय अपने हक के लिए एकजुट हो रहा है।

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साथियों का साथ और शोक सभा

मंगलवार को कोर्ट परिसर में अधिवक्ता मनोज प्रधान, बरमेश्वर सिंह, शोषनाथ सिंह, सुजीत कुमार समेत कई वरिष्ठ और युवा अधिवक्ता मौजूद थे। इनमें से मनोज प्रधान ने कहा, “बबन भाई हम सबके लिए प्रेरणा थे। उनके बिना कोर्ट का माहौल सूना लग रहा है।” शोक सभा में सभी ने दो मिनट का मौन रखकर बबन सिंह की आत्मा की शांति की प्रार्थना की। इस दौरान कई अधिवक्ताओं की आंखों में आंसू थे, जो उनके साथी के प्रति सम्मान और प्यार को दर्शाता है।

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स्थानीय निवासी रमेश शर्मा, जो कोर्ट परिसर के पास दुकान चलाते हैं, कहते हैं, “अधिवक्ता साहब हमेशा हमारे छोटे-मोटे विवाद सुलझाते थे। उनके जाने से इलाके में उदासी छा गई है।” यह बात दर्शाती है कि बबन सिंह का असर सिर्फ कोर्ट तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे समुदाय पर था।

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सरकार से अपेक्षाएं और भविष्य की राह

अधिवक्ता संघ की मांगें अब जिले के कानूनी और सामाजिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई हैं। बबन ओझा का कहना है कि अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है, और इस घटना ने इसे और जरूरी बना दिया है। उन्होंने सरकार से अपील की कि मृतक के परिवार को तुरंत राहत दी जाए, ताकि वे इस दुख की घड़ी में अकेले न पड़ें।

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इस बीच, कई युवा अधिवक्ता भी इस मुद्दे पर सक्रिय हो गए हैं। सुजीत कुमार कहते हैं, “हम बबन भाई के लिए न्याय चाहते हैं। अगर सरकार ने हमारी बात नहीं मानी, तो हम अपने हक के लिए और जोर से आवाज उठाएंगे।” यह एकता और संकल्प आने वाले दिनों में इस आंदोलन की दिशा तय कर सकती है।

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सम्मान और सुरक्षा की मांग

बबन सिंह चौहान निधन शोक मुआवजा 2025 ने बक्सर के अधिवक्ता समुदाय को एकजुट कर दिया है। यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत नुकसान है, बल्कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए एक बड़ी लड़ाई की शुरुआत है। सरकार की ओर से सकारात्मक कदम उठाए जाने की उम्मीद है, ताकि बबन सिंह के परिवार को न्याय मिले और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। हमारी वेबसाइट पर ऐसी ताजा खबरों और अपडेट्स के लिए जुड़े रहें, जहां आपको सही और विश्वसनीय जानकारी मिलेगी।

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