बिहार के बक्सर जिले में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महिला मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता के खिलाफ कथित अभद्र टिप्पणी के विरोध में एक मौन जुलूस निकाला। यह जुलूस महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में बंगला घाट के समीप स्थित बीजेपी कार्यालय से शुरू होकर भगत सिंह पार्क तक पहुंचा। इस दौरान महिलाओं ने काली पट्टियां बांधीं और हाथों में तख्तियां लेकर अपना विरोध दर्ज किया। जुलूस में शामिल कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में इस तरह की टिप्पणियों को निंदनीय बताया और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

मौन जुलूस का आयोजन
बीजेपी महिला मोर्चा ने बक्सर नगर में सोमवार को एक मौन जुलूस का आयोजन किया, जो शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए भगत सिंह पार्क पहुंचा। जुलूस की शुरुआत बंगला घाट के पास स्थित पार्टी कार्यालय से हुई। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने अपने हाथों में काली पट्टियां बांधीं और तख्तियां थामकर अपनी नाराजगी जाहिर की। ये तख्तियां अभद्र टिप्पणी के खिलाफ विरोध और मर्यादा की रक्षा की मांग को दर्शा रही थीं।
महिला मोर्चा की नेत्रियों ने इस जुलूस के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की कि किसी भी व्यक्ति, खासकर एक महिला के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जुलूस में बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ता शामिल थीं, जिन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी।
महिला मोर्चा की नेत्रियों का बयान
जुलूस के दौरान महिला मोर्चा की कई नेत्रियों ने इस कथित टिप्पणी की कड़ी निंदा की और इसे भारतीय संस्कृति और महिलाओं के सम्मान के खिलाफ बताया। उनकी प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

- जिलाध्यक्ष का बयान: जुलूस का नेतृत्व कर रही जिलाध्यक्ष कंचन देवी ने कहा कि किसी भी नेता की माता के खिलाफ अपशब्द कहना निंदनीय है। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज इस तरह की अभद्र टिप्पणियों को कभी स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में विचारों का विरोध होना चाहिए, लेकिन मर्यादा को तोड़कर किसी की माता का अपमान करना पूरी तरह अस्वीकार्य है।
- रानी चौबे: नेत्री रानी चौबे ने कहा कि प्रधानमंत्री की माता पर अपशब्द बोलने वाले ने न केवल महिलाओं का अपमान किया, बल्कि भारतीय संस्कृति की भी अवमानना की है। उन्होंने ऐसी टिप्पणियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
- मीना सिंह: नेत्री मीना सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री की माता का अपमान देश की जनता का अपमान है। उन्होंने चेतावनी दी कि महिलाएं इस तरह के बयानों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगी।
- शीला त्रिवेदी: कार्यकर्ता शीला त्रिवेदी ने मांग की कि अभद्र टिप्पणी करने वालों को तत्काल सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मतभेदों में महिलाओं को अपमानित करना अस्वीकार्य है।
- दुर्गावती चतुर्वेदी: नेत्री दुर्गावती चतुर्वेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री की माता पर अपशब्द कहना देश की हर मां का अपमान है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसी घटनाएं दोबारा हुईं, तो महिला मोर्चा सड़क से लेकर सदन तक कड़ा विरोध दर्ज कराएगा।
- इंदू देवी: कार्यकर्ता इंदू देवी ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां करने वालों की मानसिकता बेहद गिर चुकी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं की गरिमा के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सबक सिखाना जरूरी है।
जुलूस का संदेश और उद्देश्य
महिला मोर्चा का यह मौन जुलूस न केवल एक विरोध प्रदर्शन था, बल्कि समाज में महिलाओं के सम्मान और मर्यादा की रक्षा का एक मजबूत संदेश भी था। जुलूस में शामिल सभी महिलाओं ने एक स्वर में कहा कि वे समाज में अभद्र भाषा और असम्मानजनक टिप्पणियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करती रहेंगी।
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इस जुलूस का उद्देश्य यह दिखाना था कि महिलाएं अपने सम्मान के लिए एकजुट हैं और ऐसी घटनाओं के खिलाफ चुप नहीं रहेंगी। जुलूस शांतिपूर्ण रहा और इसने स्थानीय लोगों का ध्यान आकर्षित किया, जो इस मुद्दे पर चर्चा करते नजर आए।
भारतीय संस्कृति और महिलाओं का सम्मान
महिला मोर्चा की नेत्रियों ने अपने बयानों में बार-बार भारतीय संस्कृति और महिलाओं के सम्मान पर जोर दिया। भारत में मातृत्व को पवित्र माना जाता है, और किसी की माता के खिलाफ अभद्र टिप्पणी को समाज में अस्वीकार्य माना जाता है। इस जुलूस ने न केवल इस विशेष घटना के खिलाफ विरोध जताया, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने की कोशिश भी की।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
जुलूस के दौरान बक्सर के स्थानीय लोग भी इस मुद्दे पर चर्चा करते नजर आए। कई लोगों ने महिला मोर्चा के इस कदम की सराहना की और कहा कि इस तरह की टिप्पणियां न केवल अनुचित हैं, बल्कि समाज में नकारात्मकता फैलाती हैं। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि राजनीति में इस तरह की भाषा का इस्तेमाल बंद होना चाहिए ताकि समाज में सौहार्द बना रहे।

बक्सर में बीजेपी महिला मोर्चा का मौन जुलूस एक शक्तिशाली संदेश था कि महिलाओं के सम्मान और मर्यादा के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री की माता के खिलाफ कथित अभद्र टिप्पणी के विरोध में निकाला गया यह जुलूस न केवल एक राजनीतिक प्रदर्शन था, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और भारतीय संस्कृति की रक्षा का प्रतीक भी था। महिला मोर्चा की नेत्रियों ने स्पष्ट किया कि वे ऐसी घटनाओं के खिलाफ अपनी आवाज उठाती रहेंगी और समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयासरत रहेंगी। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि राजनीति में मर्यादा और सम्मान को बनाए रखना कितना जरूरी है।
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