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लखनऊ में AI से बनी तेंदुए की फोटो ने मचाई खलबली, छात्रों की शरारत बनी सबक

artificial intelligence (AI)-generated leopard photo
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लखनऊ कानपुर रोड स्थित रजनीखंड एलडीए कालोनी के निवासी दो छात्रों की हंसी-मजाक की एक छोटी सी शरारत ने पूरे इलाके को दहशत के साये में डुबो दिया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से जनरेट की गई तेंदुए की फोटो को वायरल करने की घटना ने न सिर्फ स्थानीय लोगों का सुकून छीन लिया, बल्कि स्कूलों तक को बंद करा दिया। वन विभाग और पुलिस ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की बात कही है, जबकि छात्रों ने अपनी गलती मान ली है। आइए, जानते हैं इस पूरी घटना की सच्चाई और इसके पीछे की पूरी कहानी।

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मजाक की शुरुआत: एआई से बनी फोटो का सफर

यह सब गुरुवार सुबह शुरू हुआ जब बीकॉम के छात्र देवांश पटेल ने अपने घर की पहली मंजिल से एक सेल्फी ली। देवांश ने बताया कि वे रुचि खंड एक, दो और तीन में तेंदुए के दिखने की अफवाहें सुन रहे थे। बस, हंसी-मजाक में उन्होंने एआई टूल का इस्तेमाल कर तेंदुए की एक फोटो जनरेट की और उसे अपनी सेल्फी के साथ एडिट कर लिया। सोचा तो बस दोस्तों के ग्रुप में शेयर करके मजे लेंगे, लेकिन दोस्त हिमांशु रावत ने इसे आगे व्हाट्सएप स्टेटस पर डाल दिया।

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कुछ ही घंटों में यह फोटो वायरल हो गई। लोग इसे असली मान बैठे और पूरे रुचि खंड व आसपास के इलाकों में दहशत फैल गई। देवांश ने पूछताछ के दौरान कहा, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि यह इतना बड़ा रूप ले लेगा। बस, दोस्तों के साथ ठिठोली करने के लिए बनाया था।” हिमांशु ने भी माना कि उन्होंने सिर्फ मजाक में फोटो भेजी थी, लेकिन अंदाजा नहीं था कि पूरा मोहल्ला घबरा जाएगा।

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दहशत का माहौल: 20 घंटे का डरावना सफर

गुरुवार रात से लेकर शुक्रवार दोपहर तक करीब 20 घंटे तक इलाके में सन्नाटा पसर गया। सड़कें सूनी हो गईं, लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे थे। दूध लेने जाने वाले भी जोड़े-तांए बनाकर निकलते, तो बच्चे स्कूल न जाने पर अभिभावक परेशान हो रहे थे। कई निजी स्कूलों ने छुट्टी घोषित कर दी, जबकि सरकारी स्कूलों में बच्चों को क्लासरूम से बाहर न निकलने की हिदायत दी गई। अभिभावक स्कूल गेट पर खड़े होकर अपने बच्चों का इंतजार करते नजर आए।

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हर घर में सीसीटीवी स्क्रीन पर निगाहें टिकी रहीं। कोई दरवाजा हल्के से खोलकर झांकता, तो कोई खिड़की से बाहर का नजारा लेता। वन विभाग की अफवाह ने तो जैसे सबके दिल में खौफ बिठा दिया। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “रात भर नींद नहीं आई। हर आवाज पर लगता था कि तेंदुआ आ गया। चाहे असली हो या न हो, लेकिन यह डर ने हमें रुला दिया।” इसी बीच, सोशल मीडिया पर फोटो की बाढ़ आ गई, जिसने अफरा-तफरी को और बढ़ा दिया।

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वन विभाग और पुलिस की सतर्कता: तहरीर और जांच

वन विभाग की टीम गुरुवार रात से ही अलर्ट मोड पर थी। डीएफओ अवध सितांशु पांडेय ने बताया कि विभाग ने लोगों से अपील की थी कि अकेले न निकलें और सतर्क रहें। लेकिन जब वायरल फोटो की पड़ताल हुई, तो पता चला कि यह पूरी तरह एआई से बनी हुई है। वन विभाग ने देवांश पटेल के खिलाफ आशियाना थाने में तहरीर दी और ठोस कार्रवाई की मांग की। हालांकि, आशियाना पुलिस ने देर रात तक मुकदमा दर्ज नहीं किया था, लेकिन शुक्रवार को दोनों छात्रों को थाने बुलाया गया।

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इंस्पेक्टर आशियाना क्षत्रपाल सिंह ने कहा, “फोटो की जांच से साफ हो गया कि यह एआई जनरेटेड है। हमने इलाके में घूम-घूमकर लोगों को समझाया कि घबराएं नहीं, तेंदुए की कोई पुष्टि नहीं हुई है।” पुलिस ने वन विभाग के साथ मिलकर पूरे इलाके का सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन कहीं कोई सुराग नहीं मिला। दोनों छात्रों से लंबी पूछताछ हुई, जहां उन्होंने अपनी गलती कबूल की।

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परिवार का साथ: थाने में ही फटकार

इस घटना ने न सिर्फ छात्रों को बल्कि उनके परिवारों को भी शर्मिंदा कर दिया। देवांश और हिमांशु के परिजन थाने पहुंचे और दोनों को खरी-खोटी सुनाई। देवांश की मां ने थाने में ही बेटे को डांट लगाते हुए कहा, “ऐसी शरारतें कभी-कभी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं। अब से सोच-समझकर कुछ करना।” परिवार वालों ने वादा किया कि वे बच्चों को अब सख्ती से समझाएंगे। यह दृश्य देखकर थाने का माहौल भावुक हो गया।

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राजनीतिक रंग: सत्यता जाने बिना सरकार पर निशाना

घटना के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बयान दे डाला। उन्होंने तेंदुए की उसी वायरल फोटो को शेयर करते हुए कहा, “अब तो राजधानी में आ गया, सरकार को पता चला क्या?” लेकिन जब सच्चाई सामने आई कि फोटो नकली है, तो यह बयान सवालों के घेरे में आ गया। राजनीतिक दलों ने सत्यता जांचे बिना प्रतिक्रिया दे दी, जिससे अफवाहें और तेज हो गईं। वन विभाग ने स्पष्ट किया कि इलाके में तेंदुए का कोई मूवमेंट नहीं पाया गया है।

सबक और अपील: अफवाहों से बचें, सतर्क रहें

यह घटना हमें सिखाती है कि आज के डिजिटल दौर में एक छोटी सी गलती कितनी बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है। देवांश और हिमांशु जैसे युवाओं को शायद अब एहसास हो गया हो कि मजाक की हद पार न हो। वन विभाग ने चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसी अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त विधिक कार्रवाई होगी। इंस्पेक्टर क्षत्रपाल सिंह ने लोगों से अपील की, “किसी भी खबर को शेयर करने से पहले उसकी सत्यता जांच लें। इससे न सिर्फ आपका, बल्कि पूरे समाज का नुकसान होता है।”

आखिरकार, शुक्रवार दोपहर तक इलाके में सामान्यcy लौट आई। स्कूल फिर से खुले, सड़कें गुलजार हो गईं। लेकिन लोगों के दिलों में बसे डर को भुलाने में अभी वक्त लगेगा। यह घटना एक चेतावनी है कि तकनीक का दुरुपयोग न हो, बल्कि इसका सही इस्तेमाल हो। रजनीखंड और रुचि खंड के निवासी अब ज्यादा सतर्क हैं, और उम्मीद है कि ऐसी शरारतें दोबारा न हों।


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