बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल में सरकारी जमीन पर बढ़ते अवैध कब्जों और विकास योजनाओं के लिए जमीन की कमी की समस्या को लेकर प्रशासन अब सख्त रुख अपना रहा है। शुक्रवार देर शाम अनुमंडल कार्यालय सभागार में आयोजित भूमि विवाद निवारण बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) ने सभी अंचलाधिकारियों (सीओ) और थानाध्यक्षों को स्पष्ट निर्देश दिए कि सरकारी जमीन को चिह्नित कर अवैध कब्जों को तत्काल हटाया जाए। इस बैठक में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण, विकास योजनाओं में देरी और भूमि विवादों की स्थिति पर गहन चर्चा हुई।

सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की स्थिति
बैठक में समीक्षा के दौरान सामने आया कि डुमरांव अनुमंडल के विभिन्न अंचलों में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की समस्या गंभीर है। नावानगर अंचल में 11 और डुमरांव अंचल में 6 अवैध कब्जे के मामले दर्ज किए गए हैं। अन्य अंचलों से भी इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
एसडीओ ने इस स्थिति पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि सरकारी जमीन को किसी भी कीमत पर बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने सभी अंचलाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे तत्काल अतिक्रमित जमीन की पहचान करें और कब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू करें।
विकास योजनाओं में बाधा
बैठक में यह बात भी सामने आई कि सरकारी जमीन की अनुपलब्धता के कारण कई महत्वपूर्ण विकास योजनाएं अटकी हुई हैं। विशेष रूप से ब्रह्मपुर और डुमरांव अंचल में छह स्वास्थ्य उपकेंद्रों के लिए जमीन अब तक उपलब्ध नहीं हो पाई है, जिसके चलते स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार रुका हुआ है।
इसी तरह, आंगनबाड़ी भवनों और अन्य सरकारी योजनाओं की प्रगति भी जमीन की कमी के कारण प्रभावित हो रही है। छोटका सिहनपुरा में प्रस्तावित पावर स्टेशन के निर्माण के लिए भी सिमरी अंचल के राजस्व पदाधिकारी को जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।
एसडीओ ने चेतावनी दी कि यदि अंचलाधिकारी समय पर जमीन उपलब्ध नहीं कराते, तो इसे उनकी कार्यशैली में लापरवाही माना जाएगा।
भूमि विवादों पर गंभीरता की कमी
बैठक में भूमि विवादों से जुड़ी शिकायतों की समीक्षा भी की गई। पिछले पंद्रह दिनों में केवल 12 मामले दर्ज किए गए, जबकि जमीनी स्तर पर विवादों की संख्या कहीं अधिक है। एसडीओ ने इसे गंभीरता की कमी का संकेत बताते हुए सभी अंचलाधिकारियों और थानाध्यक्षों को नियमित निगरानी करने का आदेश दिया।
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उन्होंने कहा कि भूमि विवादों को हल करने में देरी से न केवल स्थानीय लोगों को परेशानी होती है, बल्कि यह कानून-व्यवस्था के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है। संयुक्त रूप से अंचल और थाना स्तर पर इन मामलों की नियमित समीक्षा करने पर जोर दिया गया।
वारंट तामील में ढिलाई पर नाराजगी
बैठक में यह भी खुलासा हुआ कि एसडीओ कार्यालय से 69 और डीसीएलआर कार्यालय से 49 वारंट जारी किए गए हैं, लेकिन इनकी तामील में पुलिस की ओर से अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई है। इस पर एसडीओ ने कड़ी नाराजगी जताई और सभी थानाध्यक्षों को कम से कम एक गिरफ्तारी करने का निर्देश दिया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वारंट तामील में देरी से अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं, और यह प्रशासन की कार्यक्षमता पर सवाल उठाता है।
विधानसभा चुनाव से पहले सख्ती
आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एसडीओ ने शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष सख्ती बरतने की बात कही। उन्होंने धारा 107 के तहत कार्रवाई को अनिवार्य बताया, ताकि विवादों को समय रहते नियंत्रित किया जा सके। सभी थानाध्यक्षों को इस कानून के तहत कदम उठाने और संभावित तनाव को रोकने के लिए सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया।
बैठक में शामिल लोग और मुख्य एजेंडा
बैठक में डीसीएलआर, सातों अंचलों के अंचलाधिकारी और सभी थानाध्यक्ष मौजूद रहे। बैठक का मुख्य एजेंडा था:
- सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को हटाना।
- भूमि विवादों का त्वरित निपटारा।
- विकास योजनाओं के लिए जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
बैठक इस संदेश के साथ समाप्त हुई कि सरकारी जमीन पर किसी भी तरह का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही, विकास योजनाओं में बाधा बनने वाली समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाएगा।

डुमरांव अनुमंडल प्रशासन ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों और भूमि विवादों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। यह कदम न केवल सरकारी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि विकास योजनाओं को गति देने में भी मददगार होगा। प्रशासन की इस पहल से स्थानीय लोगों में उम्मीद जगी है कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा और क्षेत्र में विकास कार्य तेज होंगे। हालांकि, अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस सख्ती को जमीन पर कितनी जल्दी लागू करता है।
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