बक्सर जिले के नवाडेरा निशाद टोला में रविवार, 17 अगस्त 2025 को एक दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को गम में डुबो दिया। 13 वर्षीय अंशु कुमारी की गोपलडेरा स्थित एक पोखरा में डूबने से मौत हो गई। अपने दोस्तों के साथ नहाने गई मासूम की जिंदगी खेल-खेल में अचानक खत्म हो गई। इस हादसे ने न केवल अंशु के परिवार को झकझोर दिया, बल्कि पूरे गांव में सन्नाटा पसार दिया।

रविवार की सुबह नवाडेरा निशाद टोला की रहने वाली अंशु कुमारी अपने कुछ दोस्तों के साथ गोपलडेरा के पास स्थित एक पोखरा में नहाने गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बच्चे खेल-खेल में पोखरे में उतरे थे। इस दौरान अंशु अनजाने में पोखरे के गहरे हिस्से में चली गई और डूबने लगी। उसके साथ मौजूद अन्य बच्चे डर के मारे चीखने लगे, लेकिन आसपास कोई बड़ा व्यक्ति मौजूद नहीं था।
बच्चों की चीख सुनकर पास के खेतों में काम कर रहे कुछ किसान दौड़कर मौके पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत अंशु को बचाने की कोशिश की, लेकिन गहरे पानी और देरी के कारण उनकी कोशिशें नाकाम रहीं। कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने अंशु का शव पोखरे से बाहर निकाला, लेकिन तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं।
गांव में मातम का माहौल
अंशु की मौत की खबर जैसे ही गांव में फैली, पूरे नवाडेरा निशाद टोला में मातम छा गया। अंशु के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। 13 साल की मासूम की असमय मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। ग्रामीणों ने बताया कि अंशु एक हंसमुख और जीवंत बच्ची थी, जिसकी मुस्कान हर किसी का दिल जीत लेती थी। इस हादसे ने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया।
स्थानीय लोगों ने अंशु को याद करते हुए कहा कि वह अपने परिवार और दोस्तों के बीच बेहद लोकप्रिय थी। इस हादसे ने न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरे समुदाय को गहरे दुख में डुबो दिया।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही नया भोजपुर थाना पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस ने अंशु के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बक्सर के सदर अस्पताल भेज दिया। पुलिस ने इस मामले में प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है और हादसे की परिस्थितियों को समझने की कोशिश कर रही है।

पुलिस का कहना है कि यह एक दुखद हादसा प्रतीत होता है, लेकिन वे सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं ताकि कोई महत्वपूर्ण जानकारी छूट न जाए। पुलिस ने ग्रामीणों से भी पूछताछ की और घटनास्थल का निरीक्षण किया।
बीडीसी ने जताया शोक, मुआवजे की मांग
गिलहरी पंचायत के ब्लॉक डेवलपमेंट कमेटी (बीडीसी) सदस्य ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि खेतों में धान की रोपाई के मौसम के कारण बच्चे अक्सर पोखरों में नहाने जाते हैं, जिसके कारण इस तरह की दुर्घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की कि अंशु के परिवार को इस दुखद हादसे के बाद मुआवजा प्रदान किया जाए ताकि उनके आर्थिक बोझ को कुछ कम किया जा सके।
बीडीसी ने यह भी कहा कि इस हादसे ने पूरे समुदाय को झकझोर दिया है और प्रशासन को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
सुरक्षा व्यवस्था की मांग
इस हादसे के बाद नवाडेरा निशाद टोला के ग्रामीणों ने पोखरों और तालाबों के आसपास सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि गांव के आसपास कई गहरे पोखरे और तालाब हैं, जो बच्चों के लिए खतरा बने हुए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से आग्रह किया कि इन जलस्रोतों के किनारे चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं और सुरक्षा के लिए रेलिंग या अन्य उपाय किए जाएं।
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कई लोगों ने यह भी सुझाव दिया कि बच्चों को पानी के पास अकेले जाने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए। ग्रामीणों का मानना है कि अगर समय पर उचित कदम उठाए जाएं, तो भविष्य में इस तरह के हादसों को रोका जा सकता है।
पोखरों में डूबने की घटनाओं का बढ़ता खतरा
बक्सर जिले में हाल के समय में पोखरों और तालाबों में डूबने की घटनाएं बढ़ी हैं। खासकर बरसात के मौसम में, जब खेतों में काम चल रहा होता है, बच्चे अक्सर इन जलस्रोतों की ओर आकर्षित होते हैं। इस तरह के हादसे न केवल परिवारों के लिए दुखदायी हैं, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि नवाडेरा निशाद टोला जैसे क्षेत्रों में कई पोखरे बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के हैं। इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासन का ध्यान इस समस्या की ओर खींचा है। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाएगा।

नवाडेरा निशाद टोला में हुए इस दुखद हादसे ने 13 वर्षीय अंशु कुमारी की जिंदगी छीन ली और पूरे गांव को गम में डुबो दिया। गोपलडेरा के पोखरे में डूबने से हुई इस मासूम की मौत ने न केवल उसके परिवार को तोड़ दिया, बल्कि समुदाय में सुरक्षा के मुद्दों को भी सामने लाया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, और ग्रामीणों ने प्रशासन से मुआवजे और सुरक्षा इंतजामों की मांग की है। यह हादसा समाज को यह चेतावनी देता है कि बच्चों को जलस्रोतों के पास अकेले जाने से रोकने और सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की जरूरत है। अंशु की यादें और उसकी मासूम मुस्कान हमेशा गांव वालों के दिलों में जिंदा रहेंगी।
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